जादूगर बेटी
जादूगर बेटी
मरीज़ संख्या - २१२। सचमुच वो जादूगर ही थी। नौ साल के बाद हमें संतान सुख मिला था। बहुत खास थी।नंदिनी...नंदिनी नाम रखा था हमने उसका। सातवें महीने में ही जन्म हो गया था। डेढ़ किलो की थी। कमजोर थी इसलिये डिलीवरी रूम से निकलते ही डॉक्टर ने कहा इसे आईसीयू में रखना होगा। आईसीयू में पहले से ही बयालीस बच्चे थे। बेड खाली नहीं था फिर भी नर्स उसे लेकर आईसीयू में गई। लेकिन जादूगर थी न उसके लिए जगह बन गई।
कमजोर होने के बावजूद उसमें एक अजब सा ओज था। सभी डॉक्टर नर्स उसकी देखभाल करते थे। दूसरे दिन से वो बेड के चारों तरफ़ चक्कर लगाने लगी।घुटने मोड़कर पेट के बल सोती।तरह तरह की भावभंगिमाएं बनाती। उसके इस अनोखे अंदाज़ से सभी उसकी ओर आकर्षित हो जाते। अन्य बच्चों की माएं और परिजन अपने बच्चों से ज्यादा उसे ही देखते। सबकी चहेती हो गई थी।
अस्पताल में नर्स और डॉक्टर को भावनाओं से कोई मतलब नहीं होता लेकिन नंदिनी उन सबके लिए बहुत खास हो गई थी। नंदिनी की देखभाल सब अपने बच्चे की तरह करते। हम-दोनों को भी सब उसी के कारण पहचानते थे। उसकी वजह से नर्स और वार्डन हमेशा उसी के आसपास रहती। एक आवाज पर उसकी सेवा में सब लग जातीं। उसके अस्पताल से छुट्टी के समय सब प्रसन्न थे। सबने उसे लंबी आयु और स्वस्थ रहने का आशीर्वाद दिया। डेढ़ महीने के बाद स्वस्थ हो कर घर आ गई।
महीने भर बाद वो बीमार हो कर फिर उसी अस्पताल में पहुंची। सब ने उसे तुरंत पहचान लिया। ये नंदिनी है। सबसे खास बच्चा।सब उसे घेरकर देखने लगे। जाँच पड़ताल करके दवाइयां दे दीं। उसकी हालत गंभीर रूप धारण कर रही थी।डॉक्टर ने कहा चौबीस घंटे में यदि सब ठीक रहा तो ठीक नहीं तो.....। सब प्रार्थना में लग गए उसके लिए। दूसरे दिन उसकी साँसें टूटने लगी। लाख प्रयास के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। उसकी मृत्यु पर सभी डॉक्टर नर्स और अन्य कर्मी रो पड़े थे। हम-दोनों की हालत तो मत पूछिए। नौ साल के बाद एक संतान पाया था वो भी बिछड़ गया। हम सबके साथ सबने उसे नम आंखों से विदाई दी।