उन दिनों मुखौटों का चलन कुछ ज्यादा हो चुका था। उन दिनों मुखौटों का चलन कुछ ज्यादा हो चुका था।
नम आंखों नम आंखों के साल तक मनाते हुए कदमों से मैं अपने घर की ओर चल दी। नम आंखों नम आंखों के साल तक मनाते हुए कदमों से मैं अपने घर की ओर चल दी।
नीले रंग में तुम परी जैसी लगती हो, इसलिये ” मनीष ने प्यार से कविता को देखते हुये कहा। नीले रंग में तुम परी जैसी लगती हो, इसलिये ” मनीष ने प्यार से कविता को देखते हुये...
आसमान की ऊंचाइयों को छूने का समय आ गया था। आसमान की ऊंचाइयों को छूने का समय आ गया था।
वह हमेशा की तरह उन्मुक्त और प्रसन्न नहीं थी पिछले तीन वर्षो से वे दोनो एक साथ थी वह हमेशा की तरह उन्मुक्त और प्रसन्न नहीं थी पिछले तीन वर्षो से वे दोनो एक साथ थी
बीच फँसे अपने आसुंओं को समेटकर वो चल दिए, पता नहीं उन्हें सब याद है या नहीं। बीच फँसे अपने आसुंओं को समेटकर वो चल दिए, पता नहीं उन्हें सब याद है या नहीं।