BinayKumar Shukla

Inspirational

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BinayKumar Shukla

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जीत किसकी

जीत किसकी

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आकाश का जन्मदिन था। सोचा बाजार से उसके लिये कुछ नये कपड़े लेता आऊँ। काफी दिनों के लॉकडाउन के बाद दो चार दिन से बाजार खुलने लगे थे।

कुछ कपड़े पसंद किया, दुकानदार से कीमत पूछी। दुकानदार ने जो कीमत बताई वह उन कपड़ों के वास्तविक कीमत से अधिक लग रहा था।

मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, 'भैया कुछ ज्यादा नहीं माँग रहे हैं?'

दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा, 'नहीं, आपसे भला अधिक क्यों लूँगा!'

 मैंने भी मोलभाव किये बिना ही पैसे चुकाये और सड़क की ओर चल पड़ा।

दुकानदार खुश था कि आज महीनों बाद कोई बिक्री हुई है, मैं मुस्कुराता हुआ जा रहा था कि आज आकाश के जन्मदिन के शुभ अवसर पर कपड़ों के लिये चुकाये अधिक कीमत के पैसे से आज उस दुकानदार के बच्चे भी कुछ मीठा खा लेंगे।


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