Kameshwari Karri

Inspirational

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Kameshwari Karri

Inspirational

जीरो साइज

जीरो साइज

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मानवी रोते हुए घर के अंदर आती है और अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लेती है। मानवी की माँ सरस्वती रसोई में खाना बनाने में व्यस्त थीं उन्हें मालूम ही नहीं चला कि मानवी कब घर आ गई है। दोपहर हो गई और मानवी का कहीं पता नहीं था। उसको फ़ोन भी किया पर उसने नहीं उठाया। अब सरस्वती को डर लगने लगा था कि मानवी अब तक क्यों नहीं आई है।

उसने सुबह कॉलेज जाने की बात की थी। और यह भी कहा था कि वह अपनी सहेली शोभा के घर जाकर उसके साथ कॉलेज जाएगी और दो तीन घंटों में वापस आ जाएगी। अब तो शाम होने को हो गई है। सरस्वती ने फिर से मानवी को फ़ोन किया तो उसे लगा जैसे मानवी के कमरे से रिंग टोन की आवाज़ सुनाई दे रही है। सरस्वती भाग कर उसके कमरे के पास गई देखा तो कमरा अंदर से बंद था और मानवी का फ़ोन कमरे के अंदर ही बज रहा था। इसका मतलब मानवी घर आ गई है या अपना फ़ोन घर पर ही भूल गई है। सरस्वती को कुछ भी सूझा नहीं तो उस ने मानवी के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया और आवाज़ भी देने लगी कि मानवी बेटा दरवाज़ा खोलो और तुम क़ब आई मुझे पता ही नहीं चला। कमरे के अंदर से मानवी ने कहा माँ आप थोड़ी देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दीजिए। मैं थोड़ी देर बाद खुद दरवाज़ा खोलूँगी।सरस्वती के जान में जान आई उसको लगा कि क्या बात हुई होगी जिससे मानवी बहुत ही दुखी है। कुछ तो गड़बड़ है वरना मानवी ऐसा व्यवहार कभी भी नहीं करती है। सरस्वती के पति विजय भी ऑफिस से आ गए। मानवी के लिए पूछते इससे पहले ही सरस्वती ने उन्हें सब कुछ बता दिया था। उन्होंने कहा कि सरस्वती उसका बचपना है ठीक हो जाएगी घबराओ मत ,ग़ुस्से में है ना शायद ग़ुस्सा ठंडा होते ही वह बाहर आ जाएगी। सरस्वती ने पति की बात मान ली थी पर दिल को समझा नहीं पा रही थी। मानवी बहुत बार बुलाने पर रात को डिनर टेबल पर खाना खाने आ तो गई थी परंतु कुछ बिना कहे बिना पापा या मम्मा की तरफ़ देखे मुझे ज़्यादा भूख नहीं है कहकर थोड़ा सा खाकर चली गई। सरस्वती को रात भर नींद नहीं आई थी।अकेली लड़की है बहुत ही होनहार है। आई आई टी में पढ़ना चाहती थी इसलिए बहुत मेहनत कर रही थी। कॉलेज की टॉपर है। ऐसा क्या हुआ होगा कि वह इतनी उदास हो गई है।

विजय ने ऑफिस जाते समय सरस्वती को समझाया कि अब वह छोटी बच्ची नहीं है उसे थोड़ा स्पेस दो समझी अपने आप तुम्हें सब कुछ बता देगी फ़िक्र मत करो कहते हुए ऑफिस चले गए।विजय के जाते ही सरस्वती मानवी के कमरे की तरफ़ गई देखा वह रो रही थी। सरस्वती ने उसके सर को अपनी गोदी में रखा और सहलाते हुए कहा- क्या हो गया है बेटा मुझे भी कुछ नहीं बताओगी। मुझे पता चले तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।

मानवी ने मुँह फुलाकर कहा- माँ मैं मोटी हो गई हूँ क्या?

सरस्वती ने उसकी तरफ़ नज़र फेरी और सोचा मानवी अभी यह मुझसे क्यों पूछ रही है।

सरस्वती ने उसे प्यार किया और कहा——तुम तो बहुत ही सुंदर हो बच्चा,दुबली पतली लंबी सी हो।परंतु हाँ कॉलेज के बंद होने के बाद थोड़ी सी मोटी हुई हो पर तुम्हारी हाइट के लिए यह बहुत ठीक लग रहा है और तुम और भी सुंदर दिख रही हो।

मानवी ने रूठते हुए कहा— माँ अपने बच्चे सब को अच्छे लगते हैं। आप तो हमेशा मेरी तारीफ़ों के पुल बाँधती रहती हो बस।

आपको मालूम है न कल मैं शोभा के घर गई थी। जैसे ही मैंने डोर बेल बजाई उसने 

ही दरवाज़ा खोला और मुझे देखते ही कहा अरे ! मानवी यह क्या है ? कितनी मोटी हो गई है तू। मैंने कुछ नहीं कहा मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि न हाय न हेलो सीधे कह दिया था कि मोटी हो गई हो वहीं पर मेरा मूड ख़राब हो गया था। उसने कहा चलो सेल्फ़ी लेते हैं। मैंने भी बिना कुछ कहे सेल्फ़ी ले लिया।

हम दोनों कॉलेज पहुँच गए जैसे ही मैंने कॉलेज में कदम रखा सबने कहा- मानवी हमारे कॉलेज की ब्यूटी और इतनी मोटी हो गई है। मुझे समझ में ही नहीं आया कि कॉलेज के गेट के अंदर कदम भी नहीं रखा और सब मेरे मोटे होने की बात ही क्यों कह रहे थे। वहीं पर बैठी पूजा के कहने पर मुझे पता चला कि शोभा ने अपने घर में खींचे गए फ़ोटो को ऑलरेडी फ़ेसबुक पर पोस्ट कर दिया था। वह भी मेरी पुरानी फ़ोटो और आज के फ़ोटो की तुलना करते हुए। नीचे लिखा था कि हमारे कॉलेज की टॉपर की खाने के पहले खाने के बाद की फ़ोटो देखिए।आप सोचिए मेरी क्या हालत हुई होगी। सरस्वती सिर्फ़ सुनतीं रही कुछ भी नहीं कहा।

दूसरे दिन सुबह उठकर मानवी ने रसोई में आकर कहा- माँ कल रात भर मैंने यूट्यूब में पतले होने के लिए जो वीडियो होते हैं उन्हें देखा है मुझे बहुत ही अच्छा प्रोग्राम मिल गया है तो आज से मैं लिक्विड डायट पर हूँ पंद्रह दिन में कम-से कम पाँच से सात किलो कम हो जाऊँगी बस फिर मुझे फ़िक्र नहीं रहेगी।

सरस्वती ने कहा— परंतु मानवी तुम तो आई आई टी के लिए प्रिपेयर हो रही हो बेटा कमजोरी आ जाएगी और पढ़ाई में दिल नहीं लगेगा और अब तक की तुम्हारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

नहीं माँ मैं पढ़ाई भी कर लूँगी परंतु पहले मुझे इन सबको दुबली हो कर दिखाना है।

चार दिन के बाद मानवी की हालत ख़राब हो गई थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं के एक डॉक्टर से सरस्वती ने बात की और उन्हें बताया कि मानवी की हालत ऐसी क्यों हो गई है तब उन्होंने कहा आप फ़िक्र मत कीजिए मैं मानवी से बात करती हूँ।

दूसरे दिन डॉक्टर मोनिका मानवी के कमरे में पहुँच गई। मानवी ने देखा वे बहुत मोटी थी पर खुश थी। उन्होंने मानवी से कहा मानवी मेरी केबिन में चलो हम वहाँ बात करते हैं।

मोनिका ने बताया था कि मानवी मैं भी बचपन में अपने साथियों की बातों से बहुत दुखी हो जाती थी। सब लोग मुझे हाथी कहकर पुकारते थे।मैं रोज़ घर आकर रोती थी। इसका नतीजा यह हुआ कि मेरी कोई भी सहेली नहीं बनी जिससे मैं अकेली सबसे अलग रहने लगी। एक दिन मेरे पिताजी ने मुझसे कहा बेटा वे लोग आपके क्या लगते हैं। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पिताजी क्या कहना चाहते हैं। मैंने पूछा कौन लोग पापा। उन्होंने कहा कि वे ही लोग जो तुम्हारे फिगर पर कलर पर कमेंट करते हैं।

मैंने कहा — वे मेरे कुछ नहीं लगते हैं वे तो सिर्फ़ कॉलेज में मेरे साथ पढ़ते हैं बस ! उन्होंने कहा कि जो लोग हमारे लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। उनकी बातों को हम हवा क्यों दें। मेरी बात मानो बेटा तुममें जो खूबी है उसे तराशो उसके लिए मेहनत करो मेरी बात मानो जब हम मेहनत करके कुछ बन जाते हैं तो लोगों को हमारे फिजिक से कोई मतलब ही नहीं रहता है वे लोग सिर्फ़ आपके टेलेंट को देखते हैं और आपके आगे पीछे घूमते हैं। तुम्हें मालूम है मानवी 

उस दिन से मैंने लोगों की बातों पर ध्यान देना बंद कर दिया था। थोडे दिनों बाद उन्होंने भी मुझे चिढ़ाना बंद कर दिया था। क्योंकि जब आप उनकी बातों पर ध्यान देते हो तो वे तुम्हें चिढ़ाते हैं जब हम अनसुना कर देते हैं तो वे खुद किसी और की तरफ़ बढ़ जाते हैं। मेरी मेहनत रंग लाई और आज मैं इतनी सफल डॉक्टर बन गई हूँ। तुम्हें मालूम है न कि अब सब मुझसे दोस्ती रखना चाहते हैं। इसलिए बेटा अपने आप को प्यार करो दूसरों की बातों पर ध्यान देकर अपना केरियर बर्बाद मत करो।

मानवी ने डॉक्टर की सारी बातों को सुना और मन ही मन ठान लिया कि वह भी इन लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देगी और अपने गोल तक पहुँचने के लिए मेहनत करेगी और कुछ बनकर दिखाएगी।

दूसरे दिन सुबह उठकर माँ से कहा— माँ आज मुझे पूरी और भाजी चाहिए जैसे ही हो जाता है मुझे आवाज़ लगा दीजिए मैं पढ़ाई करने जा रही हूँ।। सरस्वती बहुत खुश हो गई उसका मन हलका हो गया था उसने डॉक्टर को तुरंत फ़ोन किया और उनसे सब बता दिया था।

दोस्तों आजकल के बच्चे के दिलो दिमाग़ पर जीरो साइज का भूत चढ़ गया है इसके चक्कर में वे अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। हम बड़ों का काम है उन्हें समझाना चाहिए कि सेहत का ख़्याल रखना चाहिए परंतु ज़ीरो साइज़ के चक्कर में अपने लिए मुसीबत खड़ी करके अपनी जान को दाँव पर रखना बेवक़ूफ़ी है।


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