जैसी करनी वैसी भरनी
जैसी करनी वैसी भरनी
मानसी के घर आरुषि कई अरसे बाद गई । हाल-चाल पूछ ही रही थी कि इतने में मानसी उठी और झंडू बाम ले सारे बदन पर मलने लगी पूछने पर बताया कि रीढ़ की हड्डी का आपरेशन लड़की के विवाह के बाद करवाना था जो विवाह के दो महीने पूर्व करवाया और डाक्टर ने छ: महीने आराम की सलाह दी थी।
परंतु विवाह की खरीदारी और कामों में इस ओर ध्यान नही दिया और अब आपरेशन बिगड़ गया व सारे बदन में ही नहीं ब्रेन तक की नसों में भयंकर असहनीय दर्द रहता है।जो किसी बाम या दवा से कम नही होता। आरूषि ने पूछा तुम्हारी बहू है ना उसकी मदद लेनी चाहिए थी।मानसी ने अश्रुपूरित नेत्रों से बताया कि आपरेशन के पंद्रह दिनों बाद ही वह बैंगलुरू यह कह कर चली गई की बच्चों की पढ़ाई खराब हो जायेगी जो पहली और तीसरी कक्षा में पढ़ते हैं। मेरे आश्चर्य प्रकट करने पर मानसी ने छूटते ही कहा अरे यार क्या कहूं घर में गलत लड़की घुस गई ।
और यकायक मुझे बीस साल पूर्व की बात याद आ गई जब मानसी के विवाह को बारह वर्ष ही हुए थे कि अचानक हार्ट अटैक से पति की मृत्यु हो गई थी और वह सारा धन-दौलत एल आई सी के पैसे, गहने, मकान के पेपर तथा दुकानों को खुद के नाम करके सास-ससुर को भूखा नंगा छोड़ हमेशा के लिए बच्चों को ले मायके आ गई थी। तब मानसी के सास-ससुर ने रोते-बिलखते हुए कहा था कि गलत लड़की घर में घुस गई है ।तब मैं विमूढ़ सी सोचने पर मजबूर हो गई कि क्या इतिहास खुद को दोहराता है। हां सच ही कहा गया है कि जैसी करनी वैसी भरनी।