जाम का झाम
जाम का झाम


प्रयागराज में आजकल महाकुंभ चल रहा,
उसी से लगे जाम में लोगों का तेल निकल रहा,
हर राज्य से हजारों लोग प्रयागराज आ रहे,
बॉर्डर पर रोके जा रहे सब घुस नहीं पा रहे।
उनके वाहन रोककर उनको पैदल चलाया जा रहा,
संगम अभी कितनी दूर है? कुछ समझ नहीं आ रहा,
बूढ़े, बच्चे, जवान सभी, थककर चकनाचूर हैं,
लेकिन महाकुंभ की महिमा के आगे सब मंजूर है।
क्या गांव?, क्या शहर? भक्ति में सब तर-बतर,
हर-हर गंगे का उद्घोष है, इधर देखो या उधर,
सबकी मंजिल एक है, भले सबके मार्ग अलग,
सबको डुबकी लगानी है, कैसे भी मिल जाए गंगाजल।
संगम तक पहुंचने
को करने पड़ रहे सौ जतन,
वीआईपी की तो मौज है,
जहां मन किया वहीं नहा रहे,
आमजन का क्या ही कहें,
संगम क्षेत्र में घुस न पा रहे।
झूंसी, नैनी और फाफामऊ के पुल पर भारी भीड़ है,
तिल रखने तक की जगह नहीं,
मामला बड़ा गंभीर है।
एक नया जिला बसाया गया,
महाकुंभनगर जिसका नाम है,
चाय की दुकान के टेंडर का जहां,
करोड़ों में दाम है।
कई सेक्टर बने हैं, तंबू हजारों तने हैं,
नागा साधु भक्ति में लीन देखो चल पड़े हैं।
सदियों से ये मेला यहां लगता आ रहा,
चाहे कितनी बाधाएं आएं, कभी नहीं यह रुका।