Prashi Joshi

Romance

1.0  

Prashi Joshi

Romance

इत्तेफाक़

इत्तेफाक़

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उस दिन मौसम काफी सुहाना सा था । सूरज भी आग कम ही बरसा रहा था , चारो ओर एक नई ऊर्जा सी थी । हवाए भी जोर से बहने लगी थी, में भी गुनगुनाते हुए घर की ओर चली जा रही थी । पर उस दिन कुछ अजीब सा हुआ । पर जो भी हुआ बहुत प्यारा और खूबसूरत अहसास था वो । आज भी याद है मुझे वो । में अचानक गिर पड़ी थी । मेरा सामान बिखर गया था । वो जो कोई भी था मुझे सॉरी बहन जी से संबोधित करते हुए आगे को बढ़ गया था । वो बहुत जल्दी में लग रहा था, पर उसे देखने के बाद मेरे साथ जो हुआ , वो बहूत अजीब था । में उसे ऐसे देख रही थी जैसे में उसे जानती हूँ । पहली मुलाक़ात कह लो या एक इत्तेफाक़ , पर ऐसा लग रहा था जैसे जानती हूँ उसे में इस जनम से या कुछ दिनों से नही , बल्कि जन्मो जन्मो से । वह मुझे जैसे पहली नज़र में पसंद आ गया था , पहले मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था । ये पहला पर काफी अलग सा ही अहसास था । शायद मुझे उससे पहली नज़र वाला प्यार हो गया था । मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला , सारी बिखरी चीजे उठाई और घर की और चल दी । मेने रात का खाना खाया और सोने जा ही रही थी की उसका चेहरा आँखों के सामने बार बार आ रहा था । उस दिन कुछ काम में मन ही जैसे नही लग रहा था । में चांदनी रात में घर की छत पर जा खड़ी हुई और उसकी कल्पनाओं के सागर में डूब सी गयी थी । कुछ दिन बीत गए , उसके बात कभी नहीं दिखा वो। अब कम ही याद आने लगा था वो मुझे । एक दिन जब में नौकरी की तलाश में रोज़ की तरह घर से निकली , वो दिन फिर से अजीब था , एक आभास सा हो रहा था बिलकुल वैसा ही जैसा पहले हुआ था । मुझे उस दिन एक न्यूज़ चैनल में एंकर की नौकरी मिल गयी थी । पर इत्तेफाक़ तो देखिये , वह लड़का भी उसी न्यूज़ चैनल के लिए काम करता था , जिसमे मुझे नौकरी मिली थी । अब हमारी रोज़ बात होने लगी । हम एक दूसरे को जानने पहचानने लगे थे । कभी कभी तो ऑफिस के कामो से वह मेरे घर भी आता रहता था । माँ बाप भी जानने लगे थे की में उसे चाहती हूँ । सो हमारा रिश्ता तय हुआ , बहती गंगा में हमने भी हाथ धो लिए , हमने हामी भर दी । अब वो भी मुझे चाहने लगा था । इस तरह हमारा रिश्ता पक्का हो गया था । अब समझ आता है कि ये कोई इत्तेफाक़ नही , उस खुदा की सोची समझी साजिश थी । कहते है न किसी को सच्चे दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलने में जुट जाती है । और फिर जोड़ियां तो ऊपर वाला ही बनाता है ।



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