इतने का तो बाबा नहीं है

इतने का तो बाबा नहीं है

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उस दिन दादा की तबियत थोड़ी खराब थी इसलिए कॉलेज से छुट्टी ले मैं और दादा दोनों हस्पताल में थे.

बड़ा अजीब सा माहौल होता है यार अक्सर अस्पतालों में उदास परेशान चेहरे, रोते लोग, घबराए रिश्तेदार काफी दर्द मतलब बहुत दर्द होता है अस्पतालों की दीवारों में।

इस बार भी हर बार की तरह सिस्टर ने दादा को खांसने को बोला, कैसा लग रहा है पूछा और नई ग्लुकोस की बोतल लगा कर चली गई, और अगले मरीज को भी यही सब करवाया कल से तीन बोतले हो चुकी है, मगर डॉक्टर नहीं आये आई तो केवल ग्लुकोस की बोतल और खांसने को बोलने वाली सिस्टर.

हमारे बगल वाले पलंग पर एक भगवा धारी बाबा लेटे हुए थे और उन्ही के साथ एक भाई बैठा हुआ था. वो भाई एकदम घोचू सा प्रतीत हो रहा था या पता नहीं शकल ही ऐसी थी.

तभी अचानक से कमरे में एकदम हलचल बढ़ गयी और सिस्टर लोग डॉक्टर मैडम के आगे पीछे फाइल लेकर ऐसे घूमे जैसे प्रधानमंत्री के अगल-बगल सेक्रेट्री लोग घूमते है.

तभी डॉक्टर मैडम उन भगवा धारी बाबा के बगल में आकर रुकी और बोली.मै: बाबा तबियत कैसी है ?

बाबा: मैडम कमजोरी है

मैडम: खांस के दिखाओ ??

बाबा: खा खा ( बिलकुल धीरे से )

मैडम ने उनके साथ बैठे घोचू भाई को बोला.

मैडम: खून लगेगा बाबा को ... देगा ??

भाई घोचू: खड़ा होकर बुरी तरह से सर हिलाने लगा जैसे चीख चीख कर कह रहा हो ( नहीं दूँगा नहीं दूँगा )

( वैसे अगर उस घोचू भाई का खून लेते भी तो उतना लेते नहीं जितना उसे चढाना पड जाता )

मैडम: तुम्हारे साथ ही है क्या बाबा ??

घोचू: हां पर मैं खून नहीं दूँगा !!

मैडम: बाबा दो यूनिट खून लगेगा 5 हजार लगेंगे...है ???

बाबा: लो मैडम ( वायु गति से बाबा ने अपनी पोटली से एक बैग निकला और उसमे से गिन कर 5000 देने लगा )

और वह मौजूद सभी लोग बुरी तरह सदमे में थे और भाई घोचू के तो पैरों तले जैसे जमीन खिसक गयी थी. वो पाच हजार रुपयों को आखे फाड फाड ऐसे देख रहा था मनो कह रहा हो

“ मैडम इतने का तो बाबा नहीं है ”


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