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Neeraj Agarwal

Crime Inspirational Thriller

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Neeraj Agarwal

Crime Inspirational Thriller

इश्क़ या जुनून................. एक सोच

इश्क़ या जुनून................. एक सोच

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 आज हम सभी किसी न किसी रुपये में अपने जीवन के साथ इश्क या जुनून  के साथ जीते हैं या बस कोई अपने जीवन के लक्ष्य के साथ होता है वह भी एक सोच और जुनून होता है यह कहानी भी एक ऐसे ही सच के साथ है           

रानी एक पका हुआ है लेकिन जीवन के भविष्य के बारे में कोई भी नहीं जानता है कि हम सभी आशा के साथ जीवन जीते हैं ऐसा ही रानी के साथ भी था वह अपने रूप रंग के साथ पकाने वाला था। और उसकी सोच भी एक अच्छा जीवन की जुनूनी है। और एक नारी की इच्छा भी रहती है कि उसका जीवन साथी या हमसफर भी एक अच्छी सोच और योग्यता के साथ हो। बस उनका विवाह भी एक ऐसे परिवार में हो जाता है जहां उनकी इच्छा के अनुरुप परिवार मिलते हैं        

रानी शिक्षित होने के बावजूद घर गृहस्थी में शामिल हो गई जीवन की छोड़ छोड़ घर परिवार में जंगल है और समान मार्ग सुबह से शाम होने से घर के काम काज और रात को पति के साथ हमबिस्तर बस वही पेट पड़ा और दो बच्चों के साथ परिवार बन गया और उसके कुछ साल बाद एक बीमारी से उसके पति का देहांत हो जाता है। और उसके पति की नौकरी उसे मिल गई है और अब उसकी खूबसूरती के साथ आँफिस में ख़ास दौर की कारीगरी कर रही थी और जवान हो रही थी। बस आफिस में राजू एक बजार प्रतिनिधि के रुपये में काम करता था और रानी की हम उम्र थी। जीवन तो बस अकेला रह नहीं पाता है एक न एक सहयोग तो जीवन में जीने का अंदाज़ होता है।          

रानी को अपने जीवन में अब संतान के साथ साथ उनके भविष्य को भी देखना था उसने मन में इश्क़ या जुनून के साथ राजू के प्रेम को स्वीकार एक समझौते के साथ कर लिया था। और राजू भी बस जब भी अवसर मिलता रानी को अपने कमरे पर ले जाता और दोनों अपने दिल और चाहत को बुलंद करते। फिर रानी अपने घर और वही संस्कारी नारी बन जाती। इधर उसके बच्चे भी उम्र के साथ बढ़ रहे थे।और उनके खर्चे भी और उमंग और सोच भी आज के समय की मांग और फैशन के साथ आधुनिक समाज के रंग चढ़ रहे थे।         

रानी भी अपने इश्क या जुनून कहे वह भी राजू के साथ जीवन के आनंद को सहयोग कर रही थी। अब रानी का जीवन एक खुली किताब बन गया था और उसने जीवन के सच को समझ लिया था। कि अकेली नारी को सभी वासना और बाजार की वस्तु समझते है। बस उसकी सोच कहे या जिंदगी की राहों में पेट का सच उसने अपने जीवन का मकसद शरीरिक अनुभूति के साथ जीवन की खुशियों इश्क़ या जुनून का मतलब समझ लिया था।        

रानी आज समझ चुकी थी कि जीवन में उपदेश और राय देने वालों की कमी नही होती है बस जीवन अपने इश्क़ या जुनून से ही जीना पड़ता है। और वह भी अब जीवन के इसी समझौते से जीवन जीए जा रही थी और अब उसे इश्क़ या जुनून का मतलब समझ आ गया था। 


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