इंसानियत बेजुबानों की
इंसानियत बेजुबानों की
घर के सामने खड़ा एक विशाल वृक्ष जो कभी अनगिनत पछियों का बसेरा हुआ करता था
आज पूरी तरह से सुख चूका है वहाँ घोंसले तो क़्या
अब एक पक्षी भी आना पसंद नहीं करते
वो बूढ़ा हो चूका वृक्ष अपनी उम्र के साथ ढल चूका है
सुबह के 7 बजे थे मै हर रोज की तरह अपनी छत की
बालकनी में बैठकर सुबह की ताजी हवा का आनंद ले रही थी।
याकायक मेरी नज़र उस वृक्ष पर पड़ी जिस पर एक तोता बैठा हुआ था नहीं पर एक नहीं ये 2,3,4,5हाँ ये पांच तोते का झुण्ड था उस खाली हो चुके सूखे वृक्ष में वो तोते ऐसे लग रहे थे मानो किसी ने उस पर अमृत के छींटे डाल दिए हो और
उस पर जान आ गई हो
वो हरे-हरे तोते बड़े ही सुंदर लग रहे थे मानो वो वृक्ष खिलखिला का कह रहा हो धन्यवाद तुम्हारा जो इस ठुट पर आकर मुझ पर उपकार किया हो...
वो पांचो तोते जोर-जोर से चिल्लाकर सब का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहे थे मेरी नजरें तो उनकी अठखेलिया देखकर खुशी से समा नहीं रही थी
थोड़े देर बाद एक-एक करके उस वृक्ष के पास में एक घर था उस घर पर पहले से एक तोता आंटी के पास था पर ये तोते कुछ अलग प्रजाति के थे बारी-बारी वो सभी तोते वहाँ जाकर बैठ रहे थे जैसे कुछ बाते कर रहे हो
सारे तोते वहाँ उनकी छत की मुंडेर पर जाकर बैठ रहे थे मुझसे रहा नहीं गया मैंने जोर से आवाज लगाई-
आंटीजी बाहर आकर देखिए कितना सुंदर नजारा है.
आंटी आई एक छोटा सा पिंजरा लेकर जिसमे उन्ही की प्रजाति का एक तोता था
में देखकर चौक गई आंटी से पूछा मैंने ये तो इन्ही की तरह दिख रहा है
आंटी ने बताया-
ये सारे तोते हर दिन आते है
कुछ दिन पहले हमारे छत की बालकनी में ये तोता घायल पड़ा था मैंने इसे उठाकर इसकी देखवार की और इसकी चोट पर मरहम लगाया
ये अभी भी उड़ नहीं सकता है इसके पंख पर चोट है
हर दिन ये तोते आकर उससे बतियाते है
मुझे सुनकर थोड़ा अजीब लगा मुझे विश्वास नहीं हो रहा मै ये सोचकर की ये सब इत्तीफ़ाक़ हो सकता है।
पर सारा दिन मेरे ज़ेहन में यही बाते चल रही थी।
सोचा कल सवेरे उठकर देखूंगी क़्या सच में ये तोते रोजाना आते है।
सुबह उठने में मुझे थोड़ी देर हो चुकी थी
मै उठकर सीधे अपनी बालकनी में पहुँच गई
वहाँ कुछ नहीं था अचानक थोड़ी देर में वही तोते कही से आकर उसी वृक्ष पर बैठ जाते है
और सारे बारी बारी करके आंटी की बालकनी में जाकर कुछ कुछ देर रुककर वहाँ बैठकर उन्ही की भाषा में कुछ जोर से चिल्ला रहे थे
मै ये सारा नजारा देखकर स्तबध थी।
अब हर रोज मेरी सुबह वही से शुरू होने लगी उनका नजारा देखकर बड़ी खुशी मिलती थी वो हर दिन आते कुछ देर अपने साथी के पास रुकते फिर चले जाते
एक दिन आंटी ने उस तोते को बाहर नहीं निकाला चारो तोते देखकर उड़ गए पर उनमे से पांचवा तोता वही बैठा रहा चिल्लाता रहा कुछ देर बाद वो खिड़की के पास अपनी चोंच मरने लगा उसे ऐसा लग रहा था जैसे बहुत दुखी हो
वो दृश्य देखकर मेरी ऑंखें भी भरने लगी
मै मन ही मन सोचने लगी की
"कितनी भावनाए है इन जीवो में भी कितना कोमल ह्रदय है "
पहली बार लग रहा था की हम मानव तो शायद अपने जज्बातों को कही छोड़ आए है पर इन बेज़ुबान को देखो कितना मर्म ह्रदय है।
उसकी हालत देखकर मुझसे रहा नहीं गया में जोर से चिल्लाई आंटीजी जरा दरवाजा खोलिये पर कोई आवाज नहीं आई फिर उनके किरायेदार ने बताया वो कुछ दिन के लिए बाहर गए है।
ये सुनकर मेरा मन भी उदास हो गया फिर कुछ देर के बाद वो तोता वहाँ से जा चूका था पर हर रोज वो आता और वहाँ देखता दरवाजा बंद होता तो वो दरवाजे पर अपनी चोंच से मारता थोड़ी देर वहाँ बैठता और उड़ जाता उसे देखकर लगा की
"प्राण जाए पर साथ ना जाए "
आज भी वो आया था पर 5 नहीं ये सारे आठ तोते का झुण्ड था आंटीजी भी वहाँ आ चुकी थी सारे वहाँ जाकर बैठ जाते है उनकी खुशी उनकी आवाज में झलक रही थी सारे एक साथ जोर से चिल्ला रहे मुझे भी बड़ी खुशी हो रही थी की चलो आज ये अपने साथी से मिलकर खुश तो है
मैंने आंटी से पूछा अब इसकी चोट ठीक है आंटीजी ने कहा हा अब ठीक है मैंने कहाँ अगर ये ठीक है तो इसे छोड़ दीजिये ना प्लीज
आंटीजी ने भी मेरी बात मान ली उसे छोड़ दिया
सारे तोते उड़ चुके थे पर वो दोनों अपनी चोंच को एक दूसरे से लगा रहे थे जैसे
इतने दिनों बाद प्रेम मिलाप हो रहा हो
अपने साथी को साथ में देख वो दोनों अपने
प्रेम की वर्षा एक दूसरे पर कर रहे थे।
बड़ा ही प्यारा नज़ारा था।
मै अपने कमरे मै आ गई पर सोचने लगी की
"इंसानों का दिल अब बचा नहीं वो तो एक को छोड़ तो दूसरे का हाथ थाम लेते है रिश्ता हो साथ हो तो इन बेज़ुबान पक्षियों की तरह जो किसी भी हालत में साथ छोड़ने को तैयार नहीं
जियेंगे साथ
मरेंगे साथ
मरने की बात तो नहीं है पर जब तक है
साथ तो दो
पर कुछ रिश्ते चार कदम भी कहाँ चल पाते है
मन भर जाये तो ब्रेकअप का नाम देकर
फिर नया रिश्ता बना लेते है "
साथ रहो तो ऐसे जैसे मछली पानी के साथ रहती है
बिना पानी के वो भी तड़प कर मर जाती है।

