तुम्हारा झुमका
तुम्हारा झुमका
सुनो प्यारे,
पता है तुम्हें आज मैंने तुम्हारा दिया हुआ वही झुमका पहना है, हाँ बाबा वही झुमका जो तुम पहली बार मेरे ज़िद करने पर अपनी पसंद का लेकर आए थे, पर शायद तुम्हें याद नहीं होगा ना, जानती हूँ मैं अच्छी से हर बात भूलने की तुम्हारी पुरानी आदत है। हाँ ये वही झुमका है, हाँ मैंने अब तक इसे संभाले रखा है, और क्यूँ ना रखूँ भला, इसमें तुम्हारा बहुत सारा प्रेम छुपा हुआ है, बहुत सारी यादें जुड़ी है इस झुमके से, जब तुम इसे मेरे लिए खरीद कर लाए थे, और खुद इसे अपने हाथों से पहनाया था तब क्या कहाँ था, तुमने कहाँ था तुमने इसे पहनकर इस झुमके की सुंदरता को और बढ़ा दिया है, तुम्हारी इतनी प्यारी बातों को, सुनकर मैं शरमा जो गई थी और तुम भी देखकर धीरे से मुस्कुराए थे, तुम दूर जरूर हो मुझसे पर आज भी इस झुमके की तरह तुम मेरे दिल के बहुत करीब हो।
तुम्हारा ये झुमका हमेशा तुम्हारे मेरे पास होने का एहसास कराता है, तुम्हारे प्रेम का एहसास कराता है हमारे दरमियाँ ये जो कुछ छोटे छोटे पल बने बस उन्हीं के एहसास है ये जिसने आज तक हमें एक दूसरे से बाँधा रखा है दूर होने के बावजूद भी हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब है, और हमेशा रहेंगे, तुम सोच रहे होंगे ये online chat की दुनिया में, मैं तुम्हें चिट्ठी क्यूँ लिख रही हूँ।
पता है जो मेरा मेरी भावनाएँ इस चिट्ठी में तुम्हें दिखाई देगी, वो शायद कोई msg या व्हाट्सप्प नहीं बता सकता।
तुम्हारी प्यारी काजु

