हवा हवाई प्यार

हवा हवाई प्यार

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पारुल की आँखें कम्प्यूटर स्क्रीन पर थी पर पूरा ध्यान अरुण की ओर लगा हुआ था ।जब पिछले छः माह पहले वो कम्प्यूटर सीखने के लीए यहाँ आई थी तब से अरुण के प्रति अपना दिवानापन महसूस कर रही थी जो लगातार बढ रहा था पर अरुण के मन में क्या है ये वो नहीं जानती न ही उसने अपने मन की बात कभी अरूण को बताई है बस अपना दिल चुपचाप उसे दे बैठी जो इस इंस्टीट्यूट में उसके साथ एक सर की हेसियत से है।

सर है तो क्या हुआ मेरी हम उम्र ही तो होगा अरुण सोचते हुए पारुल ने अपने खुले बालों को एक झटका देकर लहराया तो शेम्पू की भीनी - भीनी खुशबू उसके नथूनों में समा गई जैसे अरूण से मुलाक़ात के बाद सपनें समा गये है उसकी आँखों में।

अब बस , उसका कोर्स समाप्त होने वाला है। उसे अपने मन की बात अरुण को बता देनी चाहिए पारुल मन ही मन बुदबुदाई।

पर कैसे पारुल, कैसेउसने खुद से सवाल किया।

ये अरुण तो अपने काम से काम रखता है न ही किसी से बेमलब की गपशप , न ही हंसी- मजाक।आज तक पारुल की उससे दो - चार बार से ज्यादा बात भी नहीं हुई होगी।वो यहाँ का हेड सर है और मालिक भी वही है ।सीखाने का ज्यादातर काम दूसरे सर ही करते है।अरुण तो हमेशा अपनी चेयर पर बैठा या तो कम्प्यूटर पर कुछ कर रहा होता या फिर अपने स्टाफ को इंस्ट्रेक्शन दे रहा होता है ओर हाँ ,वो शायद शेयर मार्केट का भी कुछ काम करता है जिसे इसी ऑफिस से हैडल करता है। उसकी ऑफिस अलग है और सारे स्टूडेंट्स हॉल में बैठते है ।यही कारण है की पारुल चहाते हुए भी ज्यादा बातें नहीं कर पाती अरुण से।

पर अबकुछ तो करना होगा पारुल ने सोचा।

पर क्या?अंतर आत्मा ने पूछा ।

पारुल ने अपनी कुर्सी घुमाई ओर भरपूर नजरों से अरुण को निहारा- ग़ोरा - चिट्टा रंग, हल्के घुंघराले बाल, सधे हुए तीखे नाक - नक्श,मीठी मुस्कान और बोलने का ऐसा शानदार अंदाज कि जैसे शहद टपक रहा हो,आँखों पर चढा हुआ पतला सा सफेद फ्रेम भी उसके व्यक्तित्व को चार चाँद लगता रहता है।

क्या अरुण उसे पसंद करेगा ? पारुल ने खुद से पूछा।

क्यों नहीं करेगा अगर अरुण शहजादा लगता है तो वो क्या अप्सरा से कम है सोचते हुए पारुल ने एक भरपूर नजर खुद पर डाली और अपनी सुन्दरता पर मुग्ध होकर खुद ही शरमा गई।

जिस पारुल पर पूरी कॉलेज के लङके फिदा थे वो आज किसी लङके को प्रपोज करने से पहले खुद को परखना चहाती है पागल कहीं कीउसने बालों को झटका देकर लहरा दिया।

चल पारुल उठ जा,कह दे अपने दिल की बात ,सोचते- सोचते पूरे छः महिने हो गये तुझे । अब भी अगर सोचती रहेगी तो कोई ओर चिङिया तेरा खेत चुग जाएगी डार्लिंग सोचते हुए वो मन ही मन मुस्कुरा दी।

उसने घङी देखी सात बज रहे थे ।ज्यादातर स्टुडेंट जा चुके थे इक्का - दुक्का ही बाकी थे जो बस जाने की तैयारी कर रहे थे।वो भी अपना काम समेटने लगी पर काम में मन नहीं लग रहा था।

उसने चोर नजरों से फिर अरुण को निहारा, एक बार फिर खुद की पसंद पर खुद ही मोहित हो गई अब वो देर नहीं करना चहाती थी।

उसने कम्प्यूटर का शटडाउन किया और उठ खङी हुई।

हॉल खाली था ।स्टाफ भी जल्दी ही चला जाएगा वो आराम से अरुण को अपने मन की बात कह पाएगी उसने सोचा।

नहीं - नहीं ऐसे नहीं वो अरुण के सामने कॉफी का प्रस्ताव रखेगी और वहीं पर कहेगी अपने दिल की बात ,उसने पर्स उठाया और अरुण के केबिन की ओर बढ़ गई।

मे आइ कम इन सर दरवाजा खोलते हुए उसने पूछा।

आओ पारुल, बैठो , चाश्नी सी मीठी आवाज में अरुण ने कहा।

पारुल बैठ गई पर समझ नहीं पा रही थी कि बात कहाँ से शुरु करे।

कहो क्या बात है एनी प्रोब्लम अरुण ने पूछा।

नहीं पर मैं कुछ कहना चहाती हूँअचकचाते हुए पारुल बोली।

हाँ - हाँ कहो।

जरा पर्सनल हैउसने इधर- उधर देखते हुए धीरे से कहा।

डॉन्ट वरी, कहो।

मैं आपको पसंद करने लगी हूँ ।अपनी बढी हुई साँसों पर नियंत्रण करते हुए एकदम से एक झटके में पारुल ने कहा।

अच्छा , पर तुम मेरे बारे में क्या जानती हो पारुल? बिना किसी लाग लपेट के अरुण ने सीधे उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

मैं ज्यादा जानना - समझना नहीं चहाती अरुण ।तुम मुझे अच्छे लगते हो ,अनमैरिड हो और मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ क्या इतना कॉफी नहीं है पारुर ने भी बिना डरे, बिना रुके अपनी बात एक ही साँस में कह डाली।

अच्छाप्यार का मतलब भी जानती हो अरुण ने पारुल से पूछा ।

मैं पच्चीस साल की हो रही हूँ क्या इतना भी नहीं समझती पारुल ने अब रोमांटिक होकर आँख मारते हुए कहा।

अरुण कुछ कहने ही वाला था कि पारुल ने बात को आगे बढाते हुए कहा- चलो कहीं चलकर कॉफी पीते है।

ठीक है चलो ।।कहते हुए अरुण कुर्सी के नीचे झुका और एक बैसाखी बाहर निकाल कर उसके सहयता से खङा हो गया।

पारुल की आँखें फटी की फटी रह गई ,मँह खुल्ला का खुल्ला बस गश खाकर गिरते- गिरते बची।

अरुण ने सहारा देकर सम्हाला और कुर्सी पर बिठाया।

दो मिनट बाद पारुल को होश आया तो बोली - ये येक्या है अरुण।

ये सच्चाई है पारुल जिसके सहारे मैं पिछले पंद्रह सालों से जी रहा हूँ ।एक एक्सीडेंट में मैं अपना एक पाँव आधा खो चुका हूँआँखों की नमी को छुपाते हुए अरुण ने कहा।

मुझे तो पता ही नहीं थापारुल थे थूक निगलते हुए मुश्किल से कहा।

मुझे जानता था पारुल इसलिए मैंनें कहा था तुम मेरे बारे में क्या जानती हो। मैं समझता हूँ कि मेरी सच्चाई जानने के बाद तुम्हारा प्यार हवा हवाई हो जाएगा।

मुझे तुमसे शिकायत नहीं है और न ही अपने भाग्य से ।जो मिला उसे स्वीकार कर मैं तो आगे बढ गया हूँ।

पारुल कोई जबाव नहीं दे पाई ।सारे सपने छन्न करके एक ही चोट से बिखर गये थे ।कैसी गलती कर बैठी वो ।जहाँ पिछले छः महिनों से आ रही है ,जिसे रोज अपनी नजरों के सामने देखती रही उसकी इतनी बङी हकीकत नहीं जान पाई वो। बेवकूफ कहीं कीउसे स्वयं पर गुस्सा आने लगा।

बङी मुश्किल से खुद को संयत करते हुए पारुल धीरे - धीरे अपनी बात कहने लगी।

अरुण जी मैं नहीं जानती आप क्या सोच रहे हैं, पर ये तय है कि मैं आपसे शादी नहीं कर सकती पर आपको अपना भाई बनाकर मुझे खुशी होगी।

क्या कहा पारुल कभी सैया कभी भैया कहकर मेरा ये मजाक बनाना बंद करो।मुझे किसी सहानुभूति की जरुरत नहीं है ।मैं सभी स्टूडेंट्स के लिए सर था और वही मेरे लिए बहुत है अरुण ने गुस्से से कहा।

अब अब चली जाओ मेरे सामने से । सच्चाई की कङवाहट के  एक थप्पङ से जो इंसान अपना प्यार कायम न रख पाए मैं उनसे नफरत करता हूँ पारुल।

कब ,किसके साथ ,क्या होगा कोई नहीं जनता पर मैं जानता हूँ तुम्हारे जैसा ये हवा - हवाई वाला प्यार मेरा मजाक कई बार बनायेगा , बना चुका है पर मैं हर बार ज्यादा मजबूत होकर निकल आता हूँ ।

अब जाओ पारुल मुझे अकेला छोड़ दो अरुण ने एक गहरी निःश्वास छोङते हुए कहा।

पारुल उठ खङी हुई क्या उसका प्यार वाकई हवा-हवाई था, क्या उसने कोई गलती की , अरुण कैसे झेल पाया होगा इतना बङा हादसा, क्या वो असाधारण इंसान है जिसे उसने अपनी एक गल्ती से खो दिया उसके दिल में प्रश्नों का भूचाल मचल रहा था जिसका जबाब उसके पास नहीं था।


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