saurav ranjan

Tragedy Crime Thriller

4  

saurav ranjan

Tragedy Crime Thriller

हत्या की गुत्थी (भाग -4)

हत्या की गुत्थी (भाग -4)

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कुछ देर चलने के बाद वे दोनों उस मैदान पर पहुँच जाते हैं 

जहां पर वे लड़के खेलने की तैयारी कर रहें थे। मैदान काफ़ी बड़ा था जिसके दूसरे तरफ गांव के ही कुछ बड़े बुजुर्ग लोग बातें कर रहें थे।


ये दोनों भी उन्हीं बच्चों के साथ में क्रिकेट खेलते हैं और खेल ख़त्म होने के बाद उन्हीं बुजर्गो के साथ बैठ कर गांजे का सेवन करते हैं और किसी को पता ना चले इसलिए अजित के सुझाव पर वे दोनों गॉव के ही सरकारी स्कूल के बरामदे में ही सो जाते हैं। रात में चढ़ने के बाद दोनों एक दूसरे को इंग्लिश में गाली देना शुरू करतें हैं तो कभी धकामुकि


सुबह जब सोनू की नींद खुलती है तो देखता है कि अजीत वहां नहीं था, वह भी जल्दी से हवेली पहुंचता है और अपने कमरे में जाता है, रंजीत उसे देखकर -


रंजीत (गुस्से से )- रात भर कहाँ थे?? 


सोनू (हकलाते हुए )-वो अजित भैया ने नहीं बताया?? 


रंजीत - नहीं वो तो अभी तक आया भी नहीं मैं तो उसे खोज रहा हूँ और ड्यूटी पर हो कर गांव वाले लोगों के सामने जाकर ड्रामा करना ठीक नहीं है इसका ध्यान रखो।


तभी अचानक बाहर किसी के गिरने की आवाज जोर से सुनाई देती है सभी लोग घर के पीछे की ओर भागते हैं तो वहां पहुंच कर देखते हैं की कुंदन सिंह और उनका नौकर पहले से ही वहां पहुंचे हुए हैं और अजीत कपड़े साफ कर रहा था।


कुंदन सिंह- आप कैसे गिर गए और आपको चोट तो नहीं लगी।

अजित - नहीं चिंता की कोई बात नहीं है ज्यादा चोट नहीं आई है वह तो मैं बस उस ग्रिल पर सबूतों की ताक में था अचानक पैर फिसलने से मैं नीचे गिर गया।


इतना कहकर अजीत कमरे में जाकर नहाने लगता है, रंजीत धयान से ऊपर की ओर देखता है तो पाता है की ऊपर पीछे वाली ग्रिल के बगल से एक संकरी सी डिज़ाइन बना हुआ था जो की दीवाल से थोड़ा बाहर था। रंजीत कुछ सोचने के बाद हलकी मुस्कान देता है जैसे की वो अपने भाई के चढ़ने का कारण समझ गया हो फिर प्रभात को साथ लेकर पुलिस स्टेशन की ओर चला जाता है, उसे पुलिस स्टेशन से कॉल आई थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है।

रिपोर्ट लेकर आने के बाद अपने कमरे में सभी मित्रों को बताता है कि जैसा कि उन्हें शक था हत्या से पूर्व उसे बेहोश किया गया था। तभी घर का नौकर सुबह का नास्ता लेकर उनके पास पहुँचता है।सभी नास्ता करते हैं और फिर वे सभी हवेली के छत पर पहुँच जाते हैं।


छत काफ़ी बड़ा और सुन्दर था, उसपर मार्बल लगी हुई थी पीछे आम के पेड़ की डालियाँ छत पर आयी हुई थी और रेलिंग पर छोटे पौधे के फूल रखे हुए थे।


वे सभी वस्तुओं को धयान से निहारने लगते हैं ;इतने में रंजीत का ध्यान आता है की छत से पानी निकलने के लिए एक छोटी पाइप घर से बाहर की ओर निकली हुए थी वह उस पर अपने शरीर का वजन देके देखता है पर तभी पाइप टूट जाती है और वह बस गिरते गिरते बच जाता है। फिर कुछ खास ना मिलता देख वे सभी निचे आ आने लगते हैं 


तभी वे पाते हैं की रेशमा के डॉक्टर आए हुए थे और वो उसे इंजेक्शन लगा रहे थे ,उसकी मां और कुंदन सिंह भी वहीं थे । उसका कमरा सीढ़ियों के पास ही था। रंजीत निशा को लेकर अंदर चला जाता है और बाकि सभी लोग अपने कमरे में आराम करने चले जाते हैं। सभी लोग गहरी नींद में चले जाते हैं और जब उनकी आँख खुलती हैं तो पाते हैं की रंजीत और अजित वहाँ नहीं थे, नौकर सबके लिए खाना लेके आया था सभी खाना खाने लगते हैं।

शाम होने पर दोनों भाई आते हैं तो उन्हें देखकर निशा कहती है, 

निशा -सर क्या केस सोल्व हो गया? 


रंजीत -नहीं तो पर ऐसा क्यों??

सोनू -क्युकी जब भी आप दोनों साथ में टहलने जाते हो और इतनी देर तक नहीं आते तो इसका मतलब तो यही होता है की आप दोनों अपने प्रकार से केस को समझ चुके होते हैं और एक दूसरे को अपने तथ्य समझाते हैं और जल्द ही केस सोल्व हो जाता हैं।


अजित (मुस्कुराते हुए )- अभी तक तो यही होता आया था पर इस केस में नहीं ये थोड़ा हटके हैं अभी तक तो यही पता कर पाए हैं की क़त्ल कैसे हुआ पर कातिल कौन है इसमें अभी थोड़ा समय और लगेगा।

सोनू - पर वो तो सबको पता है की क़त्ल कैसे हुआ हैं,।


रंजीत (मुस्कुराते हुए )- भाई मेरे कभी कभी जो दिखता है वो होता नहीं हैं थोड़ा इंतजार और करो जल्द ही सबकुछ से पर्दा उठेगा।


वे दोनों खाने बैठ जाते हैं और कुछ देर बाद अजित सोनू को साथ में लेकर खेलने जाने लगता है, तभी रंजीत उसे व्यंग शब्दों में कहता है की केवल बच्चों के साथ खेलना ना की बूढ़ों के साथ खेलने बैठ जाना कुछ भी करोगे तो पता तो चलेगा ही आखिर हम भी जासूस ठहरे। वो कह तो सोनू से रहा था पर उसका इशारा अजित पर था, अजित कुछ नहीं बोलता है, कुछ देर खेलने केबाद वे हवेली आतें हैं और रात का खाना खाकर वे सो जाते है।


रात के करीब 3 बजे कुंदन सिंह के माँ के कमरे से चीखने की आवाज़ सुनाई देती है वे सभी उस कमरे की तरफ भागते हैं........ 

आखिर उसकी माँ क्यों चीखी और हत्यारा कौन हैं और क्या उस व्यक्ति ने जोकि कुंदन सिंह के मां के कमरे में घुस आया था उसने उनको नुकसान तो नहीं पहुंचाया और अगर पहुंचाया तो कहीं पुलिस की मौजूदगी में दोबारा घर में घुसकर हमला कर लेना और पुलिस का कुछ ना कर पाना क्या रंजीत और उसके टीम के लिए कोई मुसीबत का आगमन लाएगा  


क्रमशः



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