होली वतन की
होली वतन की
पहली कक्षा में पढ़ने वाला राघव अपनी अध्यापिका रेखा मैम की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। कल होली है, इस दिन होलिका दहन किया जाता है, लोग दुश्मनी भूल कर एक दूसरे के गले मिलते हैं, मिठाइयों से मुँह मीठा करवाते हैं और खुशी में एक दूसरे को रंग लगाते हैं। धरती आसमान दोनों सतरंगी रंगों से नहाए इंद्रधनुष की अनूठी आभा बिखेर रहे होते हैं। आज हम क्लास में होली मिलन - मधुर मिलन की मिसाल कायम करेंगे। सभी बच्चे एक-दूसरे को रंग लगाएंगे और चॉकलेट देंगे। शहीद कैप्टन राघवेंद्र का बेटा राघव गर्व से बोला, पर मैम जब मेरे पापा, दादा और चाचा लाल रंग से रंगे हुए तिरंगे में लिपटे घर आए तो माँ और दादी बड़े गर्व से कह रही थी हमारे सपूत तो पूरा साल ही वतन के लिए होली खेलते हैं। जल्दी से तुम भी वतन के वास्ते, दुश्मनों को होली के रंग में रंगने के लिए बड़े हो जाओ।