हो ही गया प्यार
हो ही गया प्यार
माँ आप लोगो ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी,उस दिन पापा के आँसुयो में बहकर बड़ा ही गलत फैसला ले लिया अपनी जिंदगी का। हरीश किसी भी तरह से मेरे साथ नही जंचते।
कैसी बेहूदी बात करती हो ? तुम्हें समझ में आ रहा है तुम क्या बोल रही हो ? अरे क्या कमी है हरीश में ?
मां पहली बात तो उनका रहन सहन देखा है आपने ? मैं तुम्हें कैसे समझाऊं मैं मैं उनके साथ बिल्कुल भी कंफर्टेबल फील नहीं करती।
तू मुझे यह तो बता कि उनमें कमी क्या है ?अंधा है ?लूला हैं ?लंगड़े हैं ? जो तु इस तरीके से बात कर रही है।
मां सिर्फ शक्ल सूरत अच्छी होना या सिर्फ हाथ पैर सलामत होना ही मायने नहीं रखता और भी बहुत सी चीजें होती हैं।। इंसान में एटीट्यूट तो हो कम से कम। अपना कोई कॉन्फिडेंस लेवल नहीं है अपना कोई बोलने का तरीका नहीं है।
अरे ! लड़के की हाइट लड़की से थोड़ी सी तो ज्यादा हो। हील पहनु तो उनसे लंबी लगती हूं। मैं तो शर्म की वजह से पहनती ही नही
कहीं जाएंगे बस कोई सी भी पैंट शर्ट निकाली और चल दिए अरे आजकल तो जेंट्स के लिए भी इतने इंडो वेस्टर्न ड्रेसेस अवेलेबल हैं। कौन सी दुनिया में रहते हैं ?
बिल्कुल भी रोमांटिक नहीं है ना कभी कोई गिफ्ट ना कभी कोई सरप्राइस बस रूखे सूखे हाथ पकड़ कर बैठ जाएंगे "शुचि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं ,शुचि तुमने मेरी जिंदगी बदल दी है। "
अरे यह फिल्मी डायलॉग नहीं सुनने भाई मुझे। कुछ प्रैक्टिकल तो करो ना कभी कैंडल लाइट डिनर पर ले जाओ ना कभी रोज़ लाकर दो। ना कभी कोई डायमंड की अंगूठी दो।
ऊपर से हेयर स्टाइल। ओ माय गॉड। ऐसा हेयर स्टाइल बाबा पापा के जमाने का कौन रखता है ?अजीब से कपड़े सिलवाते हैं रेडीमेड पहनने को बोलो तो बोलते हैं मुझे कंफर्टेबल नहीं लगता। कहां फंसा दिया मुझे ?
मुझे सच में समझ में नहीं आ रहा तुम ऐसी तो बिल्कुल नहीं थी।
कैसी नहीं थी ? मां शादी ऐसा तो नहीं है कि 50 बार हुई है मेरी कि ,मैंने शुरुआत में कुछ नहीं बोला और इस शादी में बोल रही हूं।
शादी तो एक ही बार होती है ना। उसमें भी आपने मुझे ऐसे बंदे से जोड़ दिया जो बिल्कुल भी मेरे स्टेटस का नहीं है।
तू मेरे सिर्फ एक बात का जवाब दे तुझे प्यार तो करते हैं ना ?
मां सिर्फ प्यार से जिंदगी नहीं चलती है ,कुछ चीजों में खुशी चाहिए होती हैं और वह खुशी तब मिलती है जब आपका पार्टनर आपके टक्कर का हो।
तुमसे बहस करना बेकार है शादी हो चुकी हैं। कोशिश करो सिर्फ अच्छाइयों को देखने की,इस बेकार की कंपैरिजन से बाहर निकलने की। तुम्हें सिर्फ यह दिक्कत है कि उनको मॉडल्स की तरह बैठना उठना नहीं आता, एटीट्यूट में रहना नहीं आता, वह मॉडर्न कपड़े नहीं पहनते, इन चीजों को लेकर तुम अपनी शादी से दुखी हो तो शायद तुम जानते ही नहीं औरतें अपनी शादी में कुछ और चीजों से भी दुखी होती हैं।।
मेरी एक बात का जवाब और देना, हरीश ने तुम्हारे साथ जबरदस्ती की है ?
प्लीज मुझे यह लेक्चर मत देना कि, देखा शादी होने के बाद भी उसने तुम्हारी भावनाओं को समझा
समझा माय फुट। । समझना ही पड़ता जबरदस्ती तो मैं कुछ भी नहीं होने देती। आप मुझे अच्छे से जानती हो और वह भी जानते हैं इस बात को इसलिए वह ऐसा कर भी नहीं सकते थे।
तुम्हें शायद बहुत बड़ी गलतफहमी है शुचि। तुम उनकी अच्छाई को उनकी मजबूरी समझे बैठी हो। लेकिन जिस दिन वह इस मजबूरी से बाहर आ गए तो बहुत पछताओगी। याद रखना।
ठीक है ना, अब कुछ भी बोल लो शादी तो आप लोगों ने कर ही दि। अब कल लेने आ रहे हैं चली जाऊंगी वापस उस नर्क में। अभी मैं जा रही हूं मॉल शॉपिंग करने।
शाम 5:00 बजे फोन की घंटी बजी हेलो। जी जी। हां मैं शुचि की मां बोल रही हूं। क्या शुचि का एक्सीडेंट हो गया ठीक है। ठीक है
सर्जरी चल रही है, डॉक्टर निकल कर आया। हरीश घबराते हुए डॉक्टर के पास पहुंचे।
देखिए सर उनके कूल्हों की हड्डी टूट गई है हमें सर्जरी करके रॉड डालनी पड़ेगी। ठीक हो जाएंगी।चलने फिरने भी लगेगी प्रॉपर फिजियोथैरेपी की जरूरत पड़ेगी ,मेंटल सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी ,
लेकिन एक तो उनकी बैक थोड़ी सी टेढ़ी रहेगी दूसरा वह काफी समय तक घुटने मोड़कर नहीं बैठ पाएंगी और थोड़ा सा चाल में फर्क आएगा।
डॉक्टर। मुझे प्लीज आप यह सब मत बताइए मुझे यह बताइए वो ठीक है ना ? जी हां। आप उनसे मिल सकते हैं।
शुचि आंखें बंद करे लेटी थी,हरीश ने सिर पर हाथ रखा। कैसी हो ?
सब बताया तो होगा डॉक्टर ने आपको। मेरी तो जिंदगी बर्बाद हो गई।बेढंगी चाल में बेढंगे शरीर के साथ कैसे रहूंगी।
तुम तो ऐसी बात कर रही हो मानो अपाहिज हो गई हो। तुम्हारी चाल वैसी ही हो जाएगी। इन सब चीजों से जिंदगी का फैसला होता है क्या ? कैसी भी रहोगी। रहोगी तो मेरी शुचि ना।
आप।
बिल्कुल जितना प्यार तुम्हें तब करता था उतना ही प्यार तुम्हें अभी करूंगा। समझी तुम कैसे बैठती हो ? तुम कैसे चलती हो ?तुम कैसे कपड़े पहनती हो ?यह सब चीजें मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते समझी।। इसलिए यह सब टेंशन छोड़ो फटाफट ठीक हो जाओ।
घर पहुंचकर जब तक शुचि की फिजियोथैरेपी चली हरीश ने शुचि का बहुत अच्छे से ध्यान रखा।शुचि को बाथरूम ले जाना, फ्रेश कराना ,कपड़े बदलना सारे पर्सनल काम हरीश ने बिना नाक भौं सिकोड़े करें और शुचि यह सब देख देख कर अपने ऊपर ग्लानि से भर उठी।
धीरे धीरे वह अपने दिनचर्या में लौटने लगी जब वह अपने पैरों पर खड़ी होकर थोड़ा-थोड़ा चलने लगी तो 1 दिन हरीश ऑफिस से आए शुचि ने उन्हें अपने पास बिठाया बोली चलो आज आपके साथ वॉक पर जाना है मुझे।
तभी शुचि की मां आ गई। अरे मां। तुम इतने दिनों बाद कैसी हो ? मैं अच्छी हूं। बेटा तुम कैसी हो ?
मैं ठीक हूँ। जिसके पास ऐसा पति हूं उसे क्या दुख हो सकता है भला। शुचि की मां मुस्कुराई नहीं ,उसे चुप चुप देखती रही।
हरीश मां बेटी को छोड़कर नाश्ते का इंतजाम करने चला गया। क्या हुआ अभी तक नाराज है मुझसे ?नाराज नहीं। देख रही हूं अपनी स्वार्थी बेटी को। जब तक तुम ठीक थी तो ये तुम्हारे लायक नहीं थे अब तुम्हारे स्थिति ऐसी हो गई है तो इनसे से अच्छा पति नहीं है।
नही मां ऐसी बात नही है। मैं सच में प्यार करने लगी हु इन्हें।इनको इतने करीब से जाना है मैंने कि अब इनकी हर चीज से मुझे प्यार हो गया है।
देखती हूं यह प्यार कितने दिन दिखता है ?जब दोबारा तुम अपने उसी रूप में ढल जाओगी क्या तब भी यह प्यार रहेगा ?
तभी अचानक से बहुत जोर की आवाज हुई 'धड़ाम 'और हरीश की चीख सुनाई दी। शुचि की मां सोच ही रही थी कि क्या करें ?इतनी देर में शुचि इस चीख़ को सुनकर बिस्तर से उठने की हड़बड़ाहट बिस्तर से नीचे गिर पड़ी। मां को समझ नहीं आया कि शुचि को संभाले या चीख की दिशा में दौड़े।
उन्होंने देखा कि शुचि चीखती और रोती हुई घिसटकर बढ़ रही है। क्योंकि घुटने ना मुड़ पाने की वजह से वह उठ नहीं पा रही थी।
तभी हरीश हाथ में झाड़ू लिए हुए आए, दोनों हैरानी से देखने लगी तो वो हंसता हुआ बोला" अरे यार वह नाश्ते का डिब्बा उठाया तो उसके नीचे छिपकली थी मेरे ऊपर गिर गई।
"दामाद जी छिपकली से डरते हो ? अरे मम्मी जी छिपकली क्या मैं तो कॉकरोच से भी डरता हूं इन से डरने का ठेका केवल औरतों ने थोड़ी ना लिया है ।
तुम नीचे कैसे गिर गई और रो क्यों रही हो जैसे ही हरीश,शुचि को उठाने के लिए आगे बढ़े। वह उसके गले से लग कर फफक कर रो पड़ी।
अरे बाबू हुआ क्या है ?यह तो बताओ।
" दामाद जी कुछ था जो पहले नहीं था लेकिन आखिरकार हो ही गया।
हरीश हैरानी से बोले क्या ? शुचि ने शर्माते हुए जवाब दिया प्यार।
