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Bhavya Rathi

Abstract

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Bhavya Rathi

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हमें कभी हिम्मत नहीं हार नी चाहिए

हमें कभी हिम्मत नहीं हार नी चाहिए

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सभागार शिविर लगने के 2 दिन बाद तो तो चांद के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया। इस दिन उसे यासू़की चांद से मिलना था पूर्णविराम इस देश का पता ना तो तो तो चांद के माता-पिता को था ना ही यासू़की चांद के। उसने आंसू की जान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता दिया था। तुम मोहिनी हर एक बच्चा बाघ के एक एक पेड़ को अपने खुद के चलने का पेड़ मानता था तो तो चांद का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में को बंद बच्चों जाने वाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उस पर चढ़ने जाओ तो पैर फिसल से जल जाते। पर ठीक से चढ़ने पर जमीन से कोई 6 फुट की ऊंचाई पर एक विशाला तक पहुंचा जा सकता था। बिल्कुल किसी झूले सी आराम दे जगह थी यह। तोतो चान अक्सर खाने की छुट्टी के समय या विद्यालय के बाद ऊपर चढ़ी मिलती। वहां से वह सामने दूर तक ऊपर आकाश को या नीचे सड़क पर चलते लोगों को देखा करती थी l बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ना हो तो उससे पहले पूरी निष्ठा से माफ कीजिए क्या मैं अंदर आऊं पूछना पड़ता था।

आंसू की जान को पोलियो था इसलिए वह ना तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और ना किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था पूर्णविराम अतः तो तो चांद ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था पर यह बात उन्होंने किसी को नहीं कहीं क्योंकि अगर बड़े संत तो जरूर गुस्सा करते। घर से निकलते समय तो तो चांद ने मां से कहा कि वह यासू़की चांद के घर जा रही है। क्योंकि वह झूठ बोल रही थी इसलिए उसने मां की आंखों में नहीं झांका वह वह अपनी नजरें जूतों के फीते पर ही कढ़ाई रही। रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया जाने से पहले उसे सच बताएं बिना तो तो चांद से नहीं रहा गया। में यासू़की जान को अपने पेड़ पर चढ़ने देने वाली हूं उसने बताया। तो तो चांद विद्यालय पहुंची पूर्णविराम यासू़की चांद उसे मैदान में क्यारियों के पास मिला गर्मी की छुट्टियों के कारण सब सोना पड़ गया था ढूंढ विराम यासू़की चांद उससे केवल एक ही वर्ड बड़ा था पर तू तो तो जान परंतु तो तो चांद न को वह अपने से बहुत बड़ा लगता था जैसे ही यासू़की चान ने तो तो चांद को देखा है पैर घसीट का हुआ उसकी और बड़ा। उसके हाथ अपनी चाल को जैसे ही आ चुकी चांद ने तो तो चांद को देखा वह बेडशीट तय हुआ उसकी और बड़ा। उसके हाथ अपनी चाल को फेल करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे। तोतो चान उत्तेजित थी पूर्णविराम वह दोनों आज कुछ ऐसा करने वाले थे जिसका भेद किसी को पता ना था तो तो चांद उल्लास मे थी l तो तो ऊपर नहीं कर पा रहा था परंतु राजू की शादी थी कि फोटो उसके साथ ड्रेस पर बात कर आगे का नजारा देखें। आखिरी में तो तो ऊपर आ ही गया और इससे हमें यह ज्ञान मिलता है कि हमें कभी हिम्मत नहीं होनी चाहिए और काम करते रहना चाहिए जब तक कि हमें सफलता नहीं मिलती।


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