इतिहास की कहानी
इतिहास की कहानी
बहुत समय पहले की बात है हमें पता है कि महाभारत रामायण और बहुत सी कहानियां हुई थी और यह घटना हमारे पूर्वजों के समय की थी। हमारी मां भारत में यह था कि पांच पांडव 100 भाइयों से लड़ते हैं और वे ही जीते हैं क्योंकि उनके साथ भगवान कृष्ण होते हैं और जिसके साथ भगवान होते हैं उनको किसी चीज का भय नहीं l महाभारत के इतिहास में हमने यह सीखा कि हमें स्त्री के साथ कभी गलत काम नहीं करना चाहिए क्योंकि महाभारत में दुर्योधन ने यह प्रण किया कि वह द्रोपती के वस्त्र उतरेगा और अपने गांव वालों को दिखाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ क्योंकि भगवान कृष्ण ने द्रौपदी के वस्त्र इतने बढ़ा दिए कि दुशासन द्रौपदी का साड़ी खींचते थक गया और आखरी में सत्य की जीत हुई क्योंकि पांडव सत्य की ओर से और गौरव असत्य गौरव ने श्री कृष्ण से सेना मांगी परंतु पांडवों ने श्री कृष्ण भगवान को मांगा तो भगवान कृष्ण की जगह पर थे इसलिए मैं महाभारत की कहानी सुनाती हूं बहुत साल पहले की बात है महामहिम भीष्म जो हमारे पिता महा होते हैं उनका नाम देखता था और वह गंगा के पुत्र थे और शांतनु के बेटे परंतु सांसदों को एक 3:00 से प्यार हुआ जिसका नाम था सत्यवती सत्यवती के पिता ने यह शर्त रखी कि जो भी सत्यवती से विवाह करेगा उसे सत्यवती के पुत्र को ही राज्य का अधिकारी मनाना पड़ेगा परंतु महाराज शांतनु ने यह प्रण किया था कि वह अपने बेटे देवदत्त को ही राजा बनाएंगे तब जब देवदत्त को अपने पिता का दुख पता चला तब उन्होंने यह प्रण किया कि वह कभी भी शादी नहीं करेंगे और राजा नहीं बनेंगे और अपना जीवन हस्तिनापुर की सहायता में व्यतीत करेंगे ।
ऐसी प्रतिज्ञा के कारण इनका नाम बीच में पड़ा। सत्यवती का विवाह राजा शांतनु से हुआ और सत्यवती ने दो पुत्र हुए जिनका नाम था विचित्रवीर्य परंतु विचित्रवीर्य की एक हादसे में मृत्यु हो गई और तब उसका छोटा भाई राज्य का उत्तराधिकारी बना और उसकी शादी के लिए भीष्म ने अंबा अंबिका और अंबालिका का हरण कर लिया क्योंकि अगर वहां जाता और अगर उससे कुछ काम नहीं हो पाता तब उसकी बहुत बेजती होती और अंबा राजा साल से शादी करना चाहती थी परंतु वह कर नहीं पाई क्योंकि हरण होने के बाद राजा साहब ने उनसे शादी करने से मना कर दिया। तंवर भीष्म से बदला लेना चाहती थी और उसकी दोनों बहनों की शादी विचित्रवीर्य के छोटे भाई से हो गई परंतु विवाह के समय ही उसकी मृत्यु हो गई लेकिन होने के बाद अंबा और अंबालिका के दो पुत्र हुए धृतराष्ट्र और पांडु पांडु धृतराष्ट्र छोटे थे परंतु जैसे ही अंधे थे ।
इस कारण धृतराष्ट्र की शादी गांधारी से हुई गांधारी ने सोचा कि अगर उनके पति अंधे है तो वह भी अपना जीवन अंधकार में जाएगी और अंधकार में जीने के लिए उसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और पांडू की शांति कुंती से होती है और उससे पहले कुंती ने ऋषि दुर्वासा से एक मंत्र लिया था जिससे वह कोई भी पुत्र प्राप्त कर सकती थी परंतु अविवाहित होने के कारण उसे अपना पुत्र नदी में बहाना पड़ा जिसका नाम था कण-कण के छाती पर एक फील्ड थी जो उसे हर चीज से बचाती थी सूर्य भगवान उनके पिता थे अभी रतलाम के सारथी ने कर्ण को नदी से ले लिया और उसका पालन पोषण कर रहा अपनी पत्नी राधा के साथ गौरव का जन्म होता है और पांच पांडव कुंती के पुत्र होते हैं जो उन्होंने भगवान से लिए थे उस मंत्र का जाप करके पांच पांडव का नाम है युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल सहदेव यह पांच पांडव के नाम है पांडु की मृत्यु हो गई क्योंकि उसे श्राप लगा था और इसमें माधुरी से शादी करी थी और नकुल और सहदेव उन्होंने मंत्र का जाप करके पाए थे जब पांडु की मृत्यु हुई शराब के कारण तब माधुरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए और तब पांच पांडव और कुंती ही बचे तब वापस हस्तिनापुर गए और वहां पर कॉल और पांडवों से जलते थे दुर्योधन गांधारी का पहला बेटा था जो भी हमसे बहुत जलता था और भीम को मारना चाहता था यह कहानी आगे तक जाती है और फिर जब पांच पांडवों की शादी होती है द्रौपदी से तब उसके बाद रोती बोलती है अंधे का बेटा अंदर दुर्योधन को बहुत गुस्सा आता है अबे वह द्रौपदी के बाद से उतारना चाहता था अपना बदला पूर्ण करने के लिए तब उसके बाद उस राज दरबार में उसे भीम ने पति क्या करें कि वह दुशासन की छाती चीर कर उसका खून ले लेगा और द्रौपदी केसर को खून से भरेगा ताकि वह अपने केस वापस बाँधे।
