हमें आजाद करो ना

हमें आजाद करो ना

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कभी हमारे कुछ फैसले लेना ही हमारी नियति हो जाती हैं,आप को वही करना चाहिये जिसमें गरिमा के साथ मानसिक सुकून मिलता है, कहते-कहते यशी ने पानी का घूट पिया और कहने लगी हम ने कभी नहीं सोचा था कि लोगों के लिए लड़ना बहुत आसान पर अपने लिये लड़ना बहुत कठिन आखिर हमें आजादी मिल गयी।

वह बात करते करते सो गयी, उसके चेहरे पर अजीब सा सुकून था।


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