हजार का नोट भाग 6
हजार का नोट भाग 6
भाग 6
जोगेश्वरी बेहरामबाग की उस झोपड़पट्टी में हंगामा हो गया। धड़ाधड़ कई गाड़ियों में भरकर मुस्टंडे पहुंचे और उन्होंने पूरी उस चाल को घेर लिया जिसमें पूनम और मोहन रहते थे। फिर एक इ क्लास की मर्सिडीज आई जिसमें से भारी भरकम रहमान अंसारी उतरा। उतरते ही उसने अपने एक मवाली की ओर प्रश्नसूचक दृष्टि से देखा, उसने बिना कुछ बोले एक कमरे की ओर ऊँगली उठा दी। रहमान अंसारी खामोशी से उस कमरे की ओर बढ़ चला। लेकिन उसके भीतर क्रोध का वेग उबाल मार रहा था। अगर आज नोट न मिलता तो कल सूरज डूबने के साथ उसके जीवन का सूरज डूबना भी तय था। छोटे से कमरे का दरवाजा मजबूती से बंद था। रहमान ने एक जोरदार लात दरवाजे पर मारी तो दरवाजा टूट कर चौखट पर झूल गया। रहमान झुककर कमरे में दाखिल हुआ तो थमक कर खड़ा रह गया। भीतर मोहन और पूनम की रक्त में नहाई लाशें पड़ी थी। हालात से लग रहा था कि दोनों ने मरने से पहले काफी प्रतिरोध किया था। जाहिर था कि किसी ने इनकी हत्या करके वह नोट झपट लिया था जो करोड़ो के सोने की कुंजी था। रहमान झपट कर वहाँ से निकला और सभी मवालियों को रफूचक्कर होने का इशारा करके खुद भी मर्सिडीज में बैठ गया। बस्ती से थोड़ी दूर जाकर उसने पप्पू बेवड़ा को फोन लगाया और बोला, पप्पू! अभी तू किधर है?
जुहू तारा रोड के पास है बॉस! ऑर्डर करने का!
तू जल्दी वो ऑटो वाले को लेकर मेरे पास आ जिसने मोहन की खबर दी थी।
बॉस! अब्बी मैं उसको किदर ढूंढने का है वो किदर का किदर निकल गया होएंगा
सुन पप्पू! उसको कैसे भी ढूंढ और जल्दी से जल्दी मेरे पास मेरे माहिम गोडाउन पर पहुँच। तेरा मेरे पे बड़ा अहसान होएंगा और मैं अहसान करने वाले को भूलता नई जानता है न?
पप्पू को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा हुआ तो उसने फ़ौरन फोन काट दिया और लपक कर एक ऑटो पकड़ कर उस ऑटो स्टैंड पर पहुंचा जहाँ शामराव अमूमन पाया जाता था। संयोग से शामराव दस मिनट में हो स्टैंड पर आ गया। पप्पू ने तुरंत उसे अपने साथ चलकर रहमान भाई से मिलने को कहा तो शामराव ने मना कर दिया।
अबे! पप्पू बोला, रहमान भाई को ना बोल रहेला है? दिमाग फिरेला है क्या तेरा?
देख भाई! मेरे धंधे का टाइम है शामराव बोला।
तेरे धंधे की खोटी का भरपाई रहमान भाई करेगा न,पप्पू ने उसे आश्वस्त किया।
कैसे? हजार रूपये की भीख दे के? शामराव के मुंह से व्यंग्य भरी बोली निकली।
सुन! जुर्म की दुनियाँ का पुराना चावल पप्पू बोला, रहमान भाई से मिलते ही तेरे को पहले दस हजार रुपया मिलेगा फिर कोई बात होगी, ओके?
शामराव की आँखें लालच से चमकने लगीं।
पप्पू जानता था कि रहमान को इस समय शामराव की इतनी जरूरत थी कि वह लाख रुपया भी ख़ुशी से दे देता।
एक घंटे बाद वह शामराव के साथ माहिम के उस गोडाउन पर था जहां दुनियाँ भर के काठ कबाड़ के साथ कई ऐसी चीजें भी छुपी हुई थीं जो रहमान की काली कमाई का जरिया थीं।
कहानी अभी जारी है...
पढ़िए भाग 7