हजार का नोट भाग 5

हजार का नोट भाग 5

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हजार का नोट 

भाग 5 

होटल से बाहर निकलकर शामराव ने पप्पू बेवड़ा को फोन लगाया था क्यों कि पप्पू बेवड़ा ने खुद सुबह ऑटो रिक्शा स्टैंड पर आकर हर रिक्शे वाले को जमा किया था और कहा, सुनो भाई लोग! अगर तुम लोगों को आजकल में एक हजार के फटे नोट के बारे में कोई भी बात सुनाई या दिखाई पड़े जो अजीब लगे तो मेरे को फोन लगाने का क्या? भाई लोग के नोट का आधा टुकड़ा गुम हो गयेला है जिससे उन लोग का बहुत बड़ा काम नड़ गया है। जो कोई भी खबर लाएगा उसको बाप लोग बड़ा इनाम देंगे क्या? 

ऐसे ही रहमान अंसारी के बहुत से भेदियों ने मुंबई के चप्पे चप्पे पर यह खबर फैला दी थी और हर जगह इसी नोट की चर्चा गर्म थी।  

पप्पू बेवड़ा ने शामराव की बात सुनते ही लपक कर रहमान अंसारी को फोन लगाया। अंसारी तब लंबू के हुजूर में पेशी पर था।  फोन सुनते ही वह हड़बड़ाहट में निकल पड़ा। उसने पप्पू को शामराव के साथ अँधेरी लोखंडवाला में बुलाया जहां टाइम एंड अगेन नामक रेस्तरां था। उसी रेस्तरां की एक अँधेरी टेबल पर इस समय रहमान बैठा उन दोनों का इंतजार कर रहा था। थोड़ी देर में पप्पू बेवड़ा और शामराव वहाँ दाखिल हुए। पप्पू अपने हिसाब से खूब हैसियत बनाकर आया था लेकिन तब भी चिन्दीचोर ही लग रहा था। शामराव तो दूर से ही परम दरिद्र दिख रहा था।आलीशान रेस्तरां के दरबान ने दोनों को देखकर आँख सिकोड़ी पर पप्पू ने भीतर परिचित के होने की दुहाई दी तो उसने कांच का विशाल दरवाजा खोल दिया। दोनों तेज प्रकाश से अँधेरे हॉल में घुसकर सकपका से गए।  थोड़ी देर बाद जब उनकी आँखें अँधेरे की अभ्यस्त हुई तो उन्होंने देखा कि रहमान अंसारी कोने की टेबल पर बैठा उनकी ओर हाथ हिला रहा था। लपक कर पप्पू रहमान के पास पहुंचा और सलामी दी। पीछे पीछे शामराव भी घिसट सा रहा था।  इतने बड़े मवाली से मिलने की कल्पना ही उसकी मिट्टी पलीद किये हुए थी।  भारी इनाम का लालच न होता तो वह अब से भी भाग खड़ा होता। इस पंगे में पड़कर कहीं मैंने गलती तो नहीं कर दी,ऐसा वह बार बार सोच रहा था।  

रहमान ने पप्पू से हाथ मिलाया और दोनों को बैठने को कहा। दोनों सकुचाते से बैठ गए। रहमान ने अपनी गांजा पीने से लाल हुई आँखों से शामराव को घूरते हुए कहा, बोल? 

शामराव ने बड़ी मुश्किल से मुंह खोला और अष्पष्ट स्वर में बोला, वो हजार के नोट का टुकड़ा, मोहन भाई, जोगेश्वरी

इसके बाद उसका गला रूंध सा गया। 

रहमान ने हाथ उठाकर उसे बोलने से मना कर दिया और पूछा, ड्रिंक करता है? 

शामराव ने बड़ी मुश्किल से हाँ में सिर हिलाया तो रहमान ने ऊँगली से एक वेटर को इशारा किया और महंगी स्कॉच व्हिस्की के तीन पैग ऑर्डर किये। पप्पू बेवड़ा तो नाम के अनुरूप ही चौबीस घंटे देसी शराब पिए रहता था पर कभी कभी चुस्की लगाने वाले शामराव ने कभी इतनी महंगी व्हिस्की नहीं पी थी। ऐसी शानदार और जानदार व्हिस्की ने उसके भय को छूमंतर कर दिया और उसने तोते की तरह सारा किस्सा कह सुनाया। मोहन के कमरे का पता भी बता दिया। सब कुछ सुन समझ लेने के बाद रहमान झटके से उठ खड़ा हुआ और बोला पप्पू तू बाद में मुझसे मिल, पप्पू की बांछें खिल गई। अब रहमान की दिलचस्पी जल्द से जल्द मोहन को थामने में थी। इधर शामराव के मुंह से गों गों की आवाज निकलने लगी मानो वह कुछ कहना चाहता हो।  रहमान ने मुड़कर उसे देखा और उसकी लालच से चमकती आँखों को देखकर चेहरे पर वितृष्णा के भाव लाकर उसने जेब में हाथ डालकर कुछ नोट उसकी ओर बढ़ा दिए फिर बिना उसकी ओर देखे बोला, अगर किसी को कुछ कहा तो मुंडी काट के हाथ में दे दूंगा, और चला गया। शामराव ने बाहर आकर देखा तो सिर्फ हजार रूपये थे। उसका मुंह ऐसा हो गया मानो जूतों से पिटा हो। गुनाह बेलज्जत!

शामराव ने फिर क्या किया 

कहानी अभी जारी है 

पढ़िए भाग 6 


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