हिसाब
हिसाब
मैं आंखों का पहरा नहीं रखता
पर वो सुंदर दृश्य दिखाती है।
मैं अश्रु का हिसाब नहीं रखता
पर वो निर्मल जल बहाती है।
मैं जुबां का ख़्याल नहीं रखता
पर वो अच्छी बातें सुनाती है।
मैं श्वासों का पौधा नहीं रखता
पर वो निस्वार्थ प्रकृति दिलाती है।
मैं प्रेम का पुष्प नहीं रखता
पर वो भीतरी भावनाएं मिलाती है।
