Deepika Raj Solanki

Inspirational

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Deepika Raj Solanki

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हिम्मत आत्मविश्वास का बीजारोपण

हिम्मत आत्मविश्वास का बीजारोपण

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पति की अचानक दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद मृदुला पूरी तरीके से टूट चुकी थी। मृदुला का एक हंसता -खेलता परिवार था ,उसके पति पुलिस में अधिकारी थे। मृदुला के दो बेटियां और एक बेटा था, मृदुला के पति हमेशा अपने बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करने का सपना देखते थे , ख़ासकर वह अपनी बेटियों को अपने पैरों में खड़ा होता हुआ देखना चाहते थे, मृदुला को भी नौकरी करने के लिए कहते हैं ताकि मृदुला का आत्मविश्वास बना रहे, अंग्रेजी में पीएचडी कर चुकी मृदुला  अपनी इच्छा से बच्चों की देखभाल हेतु नौकरी नहीं करना चाहती थी।

लेकिन आज अचानक अपने घर का मुख्य स्तंभ ढह जाने से मृदुला अपनी सुध -बुध खो चुकी थी, पति के अचानक यू छोड़कर जाने से मृदुला अंदर तक टूट चुकी थी जिस कारण उसने छत से छलांग लगा दी।

जब अस्पताल में उसे होश आया तो पास बैठे अपने बच्चों को देख वह सहम गई, मासूम बच्चों के चेहरों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया,वह यह सोचने लगी अगर उसे कुछ हो जाता तो उसके बच्चों का पालन पोषण कौन करता है, उसका और उसके पति का सपना बच्चों को लेकर अधूरा ही रह जाता, मृदुला को अपने किए में शर्मिंदगी महसूस होने लगी, उसने निश्चय किया कि वह जिंदगी में दोबारा इस प्रकार का कोई भी कदम नहीं उठाएगी जिससे उसकी बच्चों का जीवन अधर में आ जाएगा।

मृदुला की अभी पूरी तरीके से रिकवरी भी नहीं हुई थी कि ससुराल वालों ने उसे यह कहकर उसे और उसके  बच्चो मायके भेज दिया कि उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं है और वह आत्महत्या जैसा काम दोबारा भी कर सकती है, अतः उसके बच्चों का पालन पोषण की गारंटी कौन लेगा।

अभी मृदुला पति के गम से निकली नहीं थी कि उसको बेघर कर दिया गया। अब उसे यह विषम परिस्थिति ऊर्जा देने लगी थी। मृदुला ने अपने मायके में रह कर काम करना शुरू कर दिया, और जल्दी ही उसे एक कॉलेज में अंग्रेजी प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति मिल गई। अपने जीवन से सबक लेकर मृदुला ने निश्चय कर लिया था कि वह अपने बच्चों में हिम्मत और आत्मविश्वास का बीजारोपण अवश्य करेंगी ताकि भविष्य में आने वाली परेशानियों से उनके कदम कभी डगमगाए नहीं।

मृदुला बचपन से ही अपने तीनों बच्चों को स्वावलंबी बनने का पाठ पढ़ाने लगी, बच्चे भी अपनी मां को दिन रात मेहनत करते देखते और उनका अनुसरण करते ।

मृदुला अपने बच्चों को उनके पिता के सपने से हर पल अवगत कराती ,मेहनत और आत्मविश्वास को उनकी संपत्ति बताती। इस प्रकार से कोमल हृदय में हिम्मत और आत्मविश्वास का ऐसा बीजारोपण हुआ कि मृदुला के बच्चे जीवन में आने वाली कई कठिनाइयों को हंसकर तथा मिलकर निपटा लेते, आत्मविश्वास से खींचे गए यह कोमल बच्चे संस्कारों से परिपूर्ण होते गए और अपने हर क्षेत्र में मेहनत व आत्मविश्वास से अपने स्वर्गीय पिता और माता का नाम रोशन करते गए।

मां के द्वारा बचपन में आत्मविश्वास व मेहनत का जो बीज बोया गया था उसके परिणाम स्वरूपमृदुला की बड़ी बेटी ने गोल्ड मेडल के साथ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की तथा नौकरी करने के साथ-साथ वह आईएएस की परीक्षा की भी तैयारी करने लगी, साथ ही वह अपने छोटे भाई बहन का भी मार्गदर्शन करती, उसकी मेहनत जल्द रंग लाई और वह एक आईएएस ऑफिसर बन गई।

साथ ही उसकी छोटी बहन फिजिक्स में पीएचडी कर अपनी ही मां के कॉलेज में फिजिक्स की प्रोफेसर के रूप में नौकरी करने लगी, दोनों बहनों के साथ -साथ, सबसे छोटा भाई ने भी अपने माता पिता का सपना पूरा करते हुए एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर, प्रतिष्ठित कॉलेज में एडमिशन ले लिया।

अपने बच्चों की सफलता देख मृदुला काफी खुश थी, आज उसके दृढ़ निश्चय तथा हिम्मत ने उसके बच्चों का जीवन संवार दिया। उसके बच्चों की सफलता देखकर वह रिश्तेदार भी अचंभित थे जो कभी उन्हे बोझ समझते थे।

हिम्मत, मेहनत और आत्मविश्वास का जो बीज मृदुला ने बचपन में अपने बच्चों के दिल में बोया था आज उसकी हरी-भरी फसल ,सफल बच्चों के रूप में सबके सामने थी।



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