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Writer Nishant

Tragedy Action Inspirational

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Writer Nishant

Tragedy Action Inspirational

हार इंसानियत की

हार इंसानियत की

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एक था  रंगा  ,

एक था बिल्ला 

एक था झूठा ,

दूसरा बिलकुल निकम्मा 


एक था बहुरुपिया ,

दूसरा निहायत गुंडा

एक मुखिया बना ,

 दूसरा सेनापती 


रंगा  ने सपने दिखाये ,

बिल्ला ने डराया, धमकाया 

जोड़ी उनकी खूब जमी मिलकर  

दोनोने अंधभक्तो की फ़ौज बनाई 


कुछ ख़रीदा , कुछ बेचा 

आगे पीछे कुछ ना सोचा 

मनमानी करते रहे जी भरके 

एक दिन पाप का घड़ा भरना ही था 


लोगो ने उनकी बदमाशियां समझी 

फिर वो घबरा गये, रोये कभी चिल्लाये 

लोगो का क्या कुछ इधर गये कुछ उधर 

किसीने सच देखा किसीने जमीर बेचा 


होना क्या था दोस्तों वही हुवा 

जो सदियों से होता आया हैं 

धर्म का अधर्म से लड़ाई हुई शुरू 

कभी जीत कभी हार  इंसानियत की 


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