हाँ मैं लिखना चाहता हूँ
हाँ मैं लिखना चाहता हूँ


शायद ये...
एक ऐसा ख़्यालात है
जिसे मैंने उस वक्त महसूस किया
और तुम्हारे बारे में सोचकर कुछ लिखा
हाँ लिखना चाहता हूँ
मैं भी कहानियों को
शायद इसलिए की
मैंने उस दिन देखा था
कॉलेज की लायबेरी मैं
तुम्हारा किसी अलमारी में रखी
कहानी की किताबों को निकालकर
वही किसी कोने में बैठ कर
एक किताब को हाथ में लेकर
पढ़ने के बाद अपने सर के
सिराने रखकर उन कहानी में खोना
और उनके किरदारों
को अपने में उतराना
मुझे पसंद आया था तुम्हारा ये बर्ताव
फिर ये बात सोचने लगा
क्यूँ न मैं तुम्हारे लिए कहानी लिखू
और किताब का हिस्सा बन
तुम्हारे सिरहाने रहकर
मेरी कहानी के ख़्यालातों में खोते हुये देखू
शायद इन सब बातों को ध्यान में रखकर
हाँ मैं भी लिखना चाहता हूँ
सिर्फ तुम्हारे लिए
तो फिर
क्या तुम मेरी भी कहानी को
वैसे ही समझोगे जैसे तुमने उस दिन
उन किताबों की कहानी को समझा होगा।