हाईटेक गृहलक्ष्मी
हाईटेक गृहलक्ष्मी
मनीषा बहुत प्यारी लड़की थी, किसी से भी मिले तो अपना बना ले, बड़ी ही आशावादी। उसकी शादी एक बिज़नेस वाले परिवार में हुई, जहाँ संयुक्त व्यापार था "शान्ति स्वीट हाउस" मिठाई का काम, शहर की बड़ी प्रतिष्ठित दुकान।
उसे भी कोई रोक टोक न थी, शौकिया वो भी बेकरी प्रोडक्ट बनाती थी। जिन्हें परिवार और मिलने वालों से खूब सराहना मिलती थी। शादी से पहले होमसाइंस से एमएससी और बेकरी कोर्स किया था उसने। शादी के लगभग तीन साल बीत चुके थे, माँ बनने वाली थी मनीषा, कि एक दिन ससुर और पति को बदहवास देखकर घबरा गई।
बहुत पूछने पर सास जी ने बताया कि ताऊ जी ने सारा बिजनेस अपने नाम करवा लिया है और ये बात काफी पुरानी हो चुकी है, हमारे पास घर छोड़कर अपना कुछ नहीं बचा। खून के रिश्तों के धोखे ने तोड़ दिया था मनोहर जी को, राहुल भी गुमसुम से हो गए थे। ऐसे में करीब दो महीने तो सदमे से उबरने में ही लग गए। राहुल और मनीषा उन्हें खुश रखने का काफी प्रयास करते।
एक दिन हिम्मत करके नाश्ते की टेबल पर मनीषा ने कहा "पापाजी आपने बातूनी कछुए की कहानी सुनी है?"
"हाँ बेटा, जो उड़ते वक़्त बात करने से गिरकर मर गया था!"
"पापाजी, कहानी गिरने पर ही खत्म हो गयी थी। कछुए का क्या हुआ होगा कभी सोचा है? हो सकता है उसने दोबारा कोशिश की हो या फ़िर अपने हंस दोस्तों की मदद से एक फ्लाइंग स्कूल खोल लिया हो।
"बहू, बात में तो दम है तुम्हारी।"
"पापा जी मैंने आपके नाम से एक वेबपेज बनाया है, हमें पब्लिक खुद काम देगी बस आप थोड़ा आशीर्वाद दे दीजिए तो हम सब मेहनत करके इस मुसीबत से जल्दी ही निकल जायेंगे।"
"बहू अब हिम्मत टूट गयी है मेरी, फिर मेरे इतने बुरे दिन नहीं आये जो तुम से बिजनेस करवाऊंगा।"
तब उसकी सासू माँ बोल पड़ीं "क्या गलत कह रही है बहू? आपको भाई से धोखा मिला है, अनुभव से नहीं। कुछ बचत और वफादार लोग अभी भी आपके साथ हैं जिनको आप भूल रहे हैं।
"आपको कहीं किसी से काम माँगने नहीं जाना पड़ेगा पापा" राहुल ने कहा।" लोग हमसे फ़ोन पर ही सम्पर्क करेंगे। कारीगरों और बाजार पर तो आपकी अच्छी पकड़ है।"
"हाँ पापा, अब हम दोगुनी मेहनत करेंगे और थोड़े दिन बाद सब पहले जैसा हो जाएगा। मुझे कुछ लोगों का इंटरेस्ट आया है। उन्हें सैम्पल देखने हैं। थोड़ा सम्भलते ही अपनी बड़ी दुकान होगी ।"
"पापा जी, कुछ सैम्पल बनाइये तो परसों क्लाइंट को बुला लूँ।"
बच्चों की ज़िद से मजबूर मनोहर जी मान गए। मनीषा ने क्लाइंट्स को सासू माँ के बनाये सोंठ के लड्डू भी चखाये। पहला आर्डर तो सोंठ के लड्डू का ही मिल गया जो एक गोद भराई में बांटे जाने थे। आर्डर का पहला एडवांस पचास हज़ार का चेक मनोहर जी ने बहू के हाथों में ही दिलवाया। उनका काम धीरे-धीरे चल निकला था। मनीषा भी अपने बेकरी उत्पाद बनवाती जो राहुल और मनोहर जी के सहयोग से खूब सफल रहे।
अब मनोहर कैटरर्स के साथ मनीषा बेकरी के उद्धघाटन की तैयारी हो रही थी। मेहमानों के बीच अपनी छह महीने की पोती को गोद मे लेकर मनोहर जी और राहुल आज मनीषा की इस दिन के लिए बहुत प्रशंसा कर रहे थे।
"राहुल अब तो मनीषा बिजनेस वुमन बन गयी है, तुम्हें बुरा नहीं लगता?"
"मुझे बुरा क्यों लगेगा भला?" राहुल ने हँस कर कहा
"ये हमारे परिवार का सपना है, पापा जी के आशीर्वाद और राहुल के सपोर्ट के बिना ये सम्भव कहाँ था, सारी मेहनत उन्ही की है।"
हम दोनों एक दूसरे के गुरूर हैं। ईश्वर मनीषा जैसी धैर्यवान पत्नी मुझे हर जन्म में दें। पति पत्नी और परिवार का साथ ही असली शक्ति होती है।जिसने मेरे परिवार का खराब समय में भी उतनी ही मज़बूती से साथ दिया अगर कोई और उसकी जगह होती तो मायके या तलाक़ का रास्ता चुनती। लेकिन मनीषा ने हमारे दिलों में अलग ही जगह बना ली अपनी।
दोस्त भी मनोहर जी से उनकी सफलता का जादू पूछ रहे थे कि इतनी जल्दी आखिर कैसे फिर उठ खड़े हुए? इस पर मनोहर जी ने ठहाके लगाते हुए कहा कि "इन मुश्किल दिनों ने मेरे घर की दो अनमोल बिजनेस वुमन दे दीं, हमें अब हमारे जीवन में ख़ुशियों की नई शुरूआत हो गयी है।
अब तो ये सास बहू हमारी सीईओ हैं और दुकान का रिबन काटतीं कौशल्या जी गर्व से भर उठीं ।सच ही है हमें कुछ करने से सिर्फ एक ही बात रोक सकती है,हम खुद और मनीषा ने सिर्फ हिम्मत और आत्मविश्वास के चलते अपने परिवार को एक बड़ी परेशानी से बचा लिया