Akanksha Gupta

Drama Thriller

3  

Akanksha Gupta

Drama Thriller

गुप्तचर भाग-3

गुप्तचर भाग-3

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अचानक से ही चारों ओर से आक्रमण प्रारंभ हो गया। इस अकल्पनीय आक्रमण के लिए सभी तैयार थे। मार्गशीर्ष के निर्देशानुसार सभी सैनिक आक्रमणकारियों का डट कर मुकाबला कर रहे थे। उनका प्रतिनिधित्व सिध्रदना और मार्गशीर्ष मिलकर कर रहे थे।

आक्रमणकारियों की नीति देखकर ऐसा नहीं लगता था कि वे सेना को या शिविर में उपस्थित अन्य दरबारियों को कोई हानि पहुंचाने आये थे।

शीघ्र ही यह छदम युद्ध समाप्त हुआ क्योंकि सभी अज्ञात आक्रमणकारी धीरे धीरे स्वतः ही पीछे हटते जा रहे थे और उस गहन वन में विलुप्त हो गए। इस युद्ध में कोई हानि नहीं हुई थी। मात्र कुछ ही सैनिक घायल हुए थे। यह एक भ्रम की स्थिति थी।

शीघ्र ही इस छदम युद्ध की सूचना महाराज अनंत के शिविर में चर्चा का विषय थी। -

राजा अनंत-"इस प्रकार के छदम युद्ध का क्या कारण हो सकता है मार्गशीर्ष?

मार्गशीर्ष-"सम्भवतः कोई हमारी सेना और प्रजा को भयभीत कर उनका मनोबल तोड़ना चाहता हो। "

राजा अनंत-"तुम्हारे इस संदेह का क्या कारण है मार्गशीर्ष?हो सकता है कि यह आक्रमण क्षेत्रीय आदिवासियों द्वारा किया गया हो।

मार्गशीर्ष-महाराज, आदिवासी समुदाय द्वारा इस प्रकार के आक्रमण सम्भव नहीं है क्योंकि वे बिना किसी संकट के किसी अज्ञात व्यक्ति पर आक्रमण नही करते और इसका एक प्रमाण यह है। (मार्गशीर्ष ने अपने वस्त्र मे से एक सन्देशपत्र निकाला)

राजा अनंत-यह कोई सन्देशपत्र जान पड़ता है। इसमें क्या लिखा है मार्गशीर्ष? पढ़कर सुनाओ।

मार्गशीर्ष-जो आज्ञा महाराज। महाराज इसमें जो भी लिखा है वह मैं एकांत में ही कहना चाहता हूँ।

राजा अनंत-उचित है। (महाराज के संकेत करते ही वहाँ उपस्थित अन्य सभी व्यक्ति बाहर चले जाते है। )

मार्गशीर्ष-महाराज इसमें लिखा है कि-

महाराज अनंत को इस अज्ञात शुभचिंतक का प्रणाम। आज प्रातः हुए आक्रमण मे आप और आपकी प्रजा सुरक्षित है, इस बात की हमें अत्यंत प्रसन्नता हुई। महाकाल की कृपा से आपकी यात्रा के सभी विघ्न समाप्त हो, यही शुभकामनाएं है। हमें ज्ञात है कि आप एक गुप्त शिव पूजन का आयोजन कर रहे है किंतु उसका कोई लाभ नहीं है क्योंकि शिव की शक्ति अर्थात महाकाली हमारे साथ है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप युद्ध का विचार त्याग दें और शांति से आत्मसमर्पण कर दें। युद्ध में होने वाले नरसंहार को रोकने के लिये प्रयासरत।

                     आपका अज्ञात शुभचिंतक।

इस पत्र को सुनते ही राजा अंनत के माथे पर बल पड़ गए। मार्गशीर्ष भी चिंतित था।

राजा अंनत-मार्गशीर्ष यह पूजन तो गुप्त रूप से आयोजित किया गया था। किसी को इस विषय में कैसे ज्ञात हो सकता है?

मार्गशीर्ष-यह एक गम्भीर और चिंता की विषय है। अवश्य ही कोई इस राज्य का भेदी है अथवा अन्य कोई गुप्तचर।

राजा अनन्त-यदि वास्तव में ऐसा हुआ है तो हमें शीघ्र ही कोई कार्यवाही करनी होगी। उप सेनापति मार्गशीर्ष आप शीघ्र ही इस गुत्थी को सुलझाने का प्रयास करें पूजन प्रारंभ होने से पूर्व।

मार्गशीर्ष-जो आज्ञा महाराज।

इतना कह कर मार्गशीर्ष बाहर निकल आता है।

                             क्रमशः



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