गुमशुदा भाग 2
गुमशुदा भाग 2
थोड़ी ही देर में क्राइम ब्रांच का अफसर मगन राठौर आ पहुंचा। लगभग पचास साल का मगन काफी बनठन कर रहने का आदी था. उसने आते ही देशमुख से हाथ मिलाया और पूछा, क्या बात है देशमुख?जवाब में देशमुख ने सियान की तस्वीर उसके सामने रख दी और ध्यानपूर्वक उसके चेहरे को देखने लगा। मगन ने थोड़ी देर ध्यान से तस्वीर देखी। वह एक घुटा हुआ पुलिसिया था, उसे पता था कि जब देशमुख ने सिपाही भेजकर उसे बुलाया है तो जरूर कोई विशेष बात होगी। लेकिन उसे उस बच्चे की तस्वीर में कोई विशेष बात नजर नहीं आ रही थी। स्कूल का बस्ता टांगे एक गोलमटोल से सांवले बच्चे की तस्वीर थी।उसके पृष्ठभाग में कई दुकानेँ थी। एक टैक्सी का आधा पिछला हिस्सा भी दिखाई दे रहा था जिसकी बगल से बच्चा गुजर रहा था। शायद उसके किसी सहपाठी ने स्कूल जाते समय यह सेल्फी ली थी जिसकी कॉपी मोबाइल से निकाली गई होगी। टैक्सी में एक पैसेंजर बैठा हुआ था जिसका गाल और कान का कुछ हिस्सा दिखाई पड़ रहा था। अचानक मगन के रोंगटे खड़े हो गए। वह समझ गया कि देशमुख उसे क्या दिखाना चाहता था।उसने जब चेहरा उठाकर देशमुख को देखा तो उसकी आंखें विस्फारित थी।देशमुख बोला, यह फोटो देखकर मेरी भी हालत तुम्हारे जैसी ही हो गई थी मगन!तभी मैंने तुरन्त तुम्हें बुलवाया। क्या ये संभव है कि दुनियाँ में किसी और आदमी का कान ऐसा हो?
दरअसल टैक्सी में बैठे पैसेंजर के कान का जो हिस्सा दिखाई पड़ रहा था वह बुरी तरह जला,मुड़ा-तुड़ा और पिघला हुआ सा था।और मगन राठौर से ज्यादा इस बात को कौन समझ सकता था कि ऐसे कान पूरी दुनियाँ में एक ही आदमी के थे जो सात राज्यों का इश्तिहारी मुजरिम था। जिसके सिर पर कुल जमा छह लाख का इनाम था। वह कई खून कर चुका था, उसपर अनेक अपहरण और हत्या की कोशिशों के मामले थे और वह इसी मगन की कस्टडी से फरार हो चुका था। इस दुर्दांत अपराधी का नाम सलाहुद्दीन मालवी था। मगनलाल राठौर की इतनी लंबी सर्विस में यही एक दाग था जिसकी विभागीय जांच चल रही थी। मगन पर जानबूझकर कर मालवी को भगाने का आरोप था वह अगर इसे फिर पकड़ पाता तो उसका यह दाग धुल सकता था। उसे आशा की किरण दिखाई देने लगी....