गणेश विसर्जन
गणेश विसर्जन
उत्तर भारत में गणेश विसर्जन नही करना चाहिए क्योंकि राजा कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश जी को अपने यहाँ बुलाया और कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था जितने दिन गणेश जी वहां रहे उतने दिन माता लक्ष्मी और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि वहीँ रही । इनके रहने से लालबाग धन धान्य से परिपूर्ण हो गया। तो कार्तिकेय जी ने उतने दिन का गणेश जी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया यही पूजन गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।
इसीलिए महाराष्ट्र में ये पर्व मनाया जाता है तथा उन्हें फिर अगले साल आने का निमंत्रण दिया जाता है ।
जरा गौर करियेगा
गणेश जी हमारे घर के मालिक हैं। घर के मालिक को कभी विदा नही करते । अगर हम गणपति जी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी जी व रिद्धि सिद्धि भी चली जायेगी तो बचा ही क्या???
हम बड़े शौक से कहते हैं गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिए गणेश जी को पानी मे विसर्जित कर दिया। तो किस प्रकार से नवरात्रि पूजा व दीपावली पूजन करेगें ।
इसलिए गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए क्योंकि विघ्न हरता ही अगर विदा हो गए विघ्न कौन हरेगा।
कुछ त्योहारों का भौगोलिक व राज्यकीय महत्व होता है ।इसलिए गणेश जी की स्थापना करें पर विसर्जन न करे।