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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

गंगाजल की कसम

गंगाजल की कसम

5 mins
387

प्रिया बड़ी बेचैनी से छत पर चहलकदमी कर रही थी।उसके चेहरे से झुंझलाहट साफ साफ झलक रही थी।वह बार बार घड़ी को देखती।फिर मोबाइल को देखती।घड़ी तेज तेज दौड़ी जा रही थी मगर मोबाइल वैसे ही खामोश पड़ा था।निश्चेतन , निर्विकार, निर्जीव । फिर उसने मैसेज बॉक्स देखा।क्या पता कोई मैसेज छोड़ा हो "शिव" ने।मगर वहां पर भी निराशा ही हाथ लगी उसे । 

क्या हुआ ? ये शिव फोन क्यों नहीं कर रहे हैं ? क्या अभी तक ऑफिस से घर नहीं पहुंचे हैं ? अगर नहीं भी पहुंचे तो मैसेज तो कर देते ? हम यूं भला पागलों की तरह छत पर चक्कर तो नहीं लगाते ? प्रिया मन ही मन सोच रही थी ।

प्रिया की मजबूरी ऐसी थी कि वह शिव पर गुस्सा भी नहीं कर सकती थी। कितने मासूम जो हैं शिव। निर्मल, सरल, निष्कपट।भगवान ने उन्हें बनाया भी तो फुर्सत से है ना।कभी कभी तो डर लगता है कि कहीं कोई "गौरा" शिव को ले ना उड़े और बेचारी प्रिया पार्वती बनकर यहां इंतजार ही ना करती रह जाये । 

न जाने कितने खयाल मन में आ रहे थे प्रिया के।अब तो रात होने लगी थी।सात बजने को आ रहे थे।छ: बजे का समय तय कर रखा था दोनों ने।मगर आज तो सात बजने को आ रहे हैं।मम्मी ने एक दो बार आवाज भी लगा दी थी।नीचे बुला रही थीं।अब मम्मी को कैसे बताएं कि वो किसके फोन का इंतजार कर रही है ? और उधर वो भोले भंडारी इन सबसे बेखबर ना जाने कैलाश पर धूनी रमा कर किसका ध्यान कर रहे हैं ? 

अब उससे रहा नहीं गया तो उसने घंटी खड़खडा दी।उधर से आवाज आई 

"गुड इवनिंग प्रिया।सॉरी यार, बात नहीं कर पाया।कहो, कैसी हो" ? 

प्रिया कितने गुस्से में थी मगर जैसे ही शिव की धीर गंभीर वाणी कानों में घुसी वह मोम की तरह पिघल गई।उस पर तुर्रा यह कि शिव ने पहली लाइन में ही सॉरी बोल दिया था।अब शिव का क्या करें यार ? 

"पहले यह बताइए कि जनाब कर क्या रहे थे ? सुडोकू भर रहे थे" ? 

प्रिया को पता था कि शिव को "सुडोकू" बहुत पसंद है।अजी इतनी पसंद है कि उनकी आत्मा बसती है सुडोकू में।एक.बार जब सुडोकू भरने बैठ जाते हैं तो फिर खुद का भी होश नहीं रहता है जनाब को।और एक घंटा कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता है।इसलिए जब भी कभी शिव की तरफ से फोन नहीं आता है तो प्रिया समझ जाती है कि वे सुडोकू भर रहे हैं।शिव को दो ही तो काम पसंद हैं।एक तो प्रिया से बातें करना और दूसरा सुडोकु भरना । 

"हां यार।सुडोकू भरने बैठ गया था" 

"इतनी जुर्रत ? हम तो यहां इंतजार में दुबले हुए जा रहे हैं और जनाब को इतना भी याद नहीं रहा।सुडोकु भरने बैठ गए।लगता है कि हमारा खौफ कम हो गया है।ऐ मिस्टर।खौफ खाइए हमारा वरना ..." 

"वरना ... क्या करोगी ? मारोगी" ? 

"शिव शिव शिव।ये तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती" । 

"तो डांटोगी ? गाली गलौज करोगी" ? 

"कैसी बातें कर रहे हैं आप ? हम ये सब आपके साथ नहीं कर सकते।हां, और कोई होता तो उसे कच्चा ही चबा जाते" । 

"फिर क्या करोगी ? बोलिए" । 

प्रिया सोचती रह.गई।वह क्या करेगी ? कुछ भी तो नहीं।वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती है।शिव हैं ही इतने प्यारे कि वह केवल प्यार ही कर सकती है और कुछ नहीं।कहने लगी "हम चाहे कुछ भी करें या नहीं मगर आपको छोड़ेंगे नहीं" । 

"तो बताइए क्या करोगी" ? 

अब प्रिया फंस गई।हमेशा ऐसे ही करते हैं शिव।अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में उसे ऐसे ही फंसा लेते हैं।वह शिव के सामने निरुत्तर हो जाती है।फिर ऐसे में वह एक ही काम करती है।विषय बदल देती है।प्रिया ने वही किया।विषय बदलते हुए कहा 

"आप भूल गये ना कि हमसे बात करनी थी।सच बताना।वैसे हमें पता.है कि आप.कभी झूठ नहीं बोलते पर फिर भी हम पूछ रहे हैं।तो आप सच ही बोलेंगे हम यह मान सकते हैं" ? 

"बिल्कुल सच है ये बात।सोलह आने सच।मैं बिल्कुल भूल गया था।और तुम ये बात अच्छी तरह जानती हो कि मैं कितना भुलक्कड़ हूं।इसका सबूत देने की भी जरूरत नहीं है।क्यों है न" ? 

"हां, हम अच्छी तरह जानते हैं।मगर हमें विश्वास नहीं हो रहा है कि आप हमसे बात करना भूल जाएं" ।

"मैं पूरे होशोहवास में कह रहा हूँ कि मैं बिल्कुल भूल गया था।मैं बीच चौराहे पर खड़े होकर गंगाजल की कसम खा सकता हूं कि मैं बहुत बड़ा भुलक्कड़ हूं।अब तो खुश" ? 

वातावरण में प्रिया की खनखनाती हंसी गूंज उठी।शिव इस हंसी का दीवाना था।जब जब प्रिया हंसती तब.तब शिव को लगता जैसे भगवान नारायण अपना पांचजन्य शंख बजा रहे हों।शिव मंत्रमुग्ध होकर उस हंसी में खो जाता था । प्रिया के होठों पे कुमार सानू के गाने की कुछ पंक्तियां तैरने लगी 

तेरी इसी अदा पे सनम, मुझको तो प्यार आया, हो 

"हम कबसे इंतजार कर रहे थे न।अब साढे सात हो गए हैं न। मम्मी डांटेगी ना। कहेंगी कि इतनी रात तक छत पर क्या कर रही थी।तब क्या जवाब देंगे उन्हें" ? 

" कह देना कि हमसे बात कर रही थी"।बड़ी मासूमियत से शिव ने कहा तो प्रिया को बड़ी तेज हंसी आ गई।"देखना , एक दिन ऐसे.ही जान ले लेंगे आप हमारी,आए बड़े" । 

यह प्रिया का पैट डॉयलॉग था।इसे वह बड़ी स्टाइल से कहती थी।शिव भी प्रसन्न हो जाता था इस डॉयलॉग से । 

"अच्छा , सुनो ना" ? 

"सुनाइए ना" । 

"आप तो हरदम मजाक के मूड में रहते हैं।कभी सीरियस भी.हुआ कीजिए ना" । 

"सीरीयस ? वो क्या होता है भला" ? 

"आपको हमें सताने में बहुत आनंद आता है।एक तो हम कबसे इंतजार कर रहे थे।उस पर आप हमें और तंग कर रहे हैं।इतना सताना भी ठीक नहीं है ना" । 

"अच्छा जी।और आप वहीँ से बैठे बैठे नैनों के बाण चलाकर हमें घायल कर देते हो , उसका क्या" ? 

"वो तो हमारे नयन हैं ही कंटीले।तो इसमें हम क्या करें" ? 

"अच्छा जी, और फोन पर जो "आई लव यू" कहकर भीषण प्रहार करती हो, उसका क्या" ? 

"तो करते तो हैं आपसे प्यार।और जिंदगी भर करते रहेंगे।आप चाहें या ना चाहें"।मीठी झिड़की के साथ कहा उसने । 

"हम क्यों नहीं चाहेंगे" ? 

"अच्छा सुनो।होली आ रही. है।आपके साथ खेलनी है।ऐसा कुछ जुगाड़ करो कि हम दोनों होली खेल सकें" । 

"आपके घर आ जाएं होली खेलने" ? शिव ने शरारत से कहा 

"देखो कभी ना ऐसा करना।देखो कभी ना ऐसा कहना" 

"यही अदा तो एक.सितम है" 

"सुनो तुम्हें मेरी कसम.है" । 

गाने की ये पंक्तियां गाकर दोनों हंस पड़े।इतने में मम्मी की आवाज आई "प्रिया।आठ बज गए बेटा।नीचे आ जा अब तो" । 

"सुनो, मम्मी आवाज दे रही है।अब जाना होगा।देखो।होली खेलने का जुगाड़ जरूर कर लेना।हां नहीं तो" । 

शिव ने उसे आश्वस्त कर दिया । 


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