घटना घटती है अच्छी हो या बुरी
घटना घटती है अच्छी हो या बुरी
खूब खुशहाल परिवार था, मां पिताजी बहन भाई सभी को एक दूसरों से लगाव था, प्यार था। भाई बड़ा होने की वजह सेवनों से पहले शादी कर दी गईपत्नी भीबहुत अच्छे स्वभाव की मिलनसार समझदारमिल गई। फिर कुछ वर्षों बाद दो बहनों की शादी हुई घर परिवार की जिम्मेदारी भाई के ऊपर आ पड़ी। भाई ने सब जिम्मेदारियां बखूबी निभाया। बहनों को तकलीफ ना हो इसलिए भाई सदा से प्रयत्न करता रहा।
बहन को बच्चा हुआ तब सारी खुशियां मनाई गई। मगर दामाद शराबी रहने की वजह से बहन को ज्यादातर मायके में ही रखा गया जब कुछ बच्चा बड़ा हो गया समझा-बुझाकर उसेससुराल भेजा गयादो-तीन महीना रह कर फिर वापस लौटी थीज्यादातर समय ऐसे ही गुजरा तब बच्चा 4 साल काउसे स्कूल में जाना होता थाफिर उसे उसके पापा लेकर गए लेकिन नशे की आदत में बच्चे को मारना पीटनापरेशान करना शुरू हो गया फिर उसे नाना नानी,मामा मामी के पास में ही रखा गया।
सुहास घर में सब का लाडला बन गया घर के सब लोग उसके आगे पीछे घूमते दुलारते उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते। क्योंकि वहां बच्चा बहुत सुंदर प्यारा तथा नटखट था। वह मामा का विशेष प्यारा था दिन बीतते गए और वहां सुहास बड़ा होता गया।
मामा मामी ने अपना बच्चा समझ कर सुहास को लिखाया पढ़ाया सिखाया 23 साल का युवक हो चुका था पढ़ाई मे ज्यादा ध्यान नहीं था फिर भी 12 वीं तक पंहुचही गया। कंप्यूटर क्लासेस तथा पार्ट टाइम जॉब लगा दी गई और फर्स्टयीअर में एडमिशन ली गई। उसे कॉलेज के अनेक म मित्र मिल गए ओर सुहास ज्यादातर बाहर रहने लगा। अब वह सुंदर युवक बाइक चाहता था लेकिन मामा ने उसकी एक भी नहीं सुनी हां सब लाड प्यार पूरे किए कपड़ोका खानेका शौक बाकी सभी फर्ज मामा ने पुरे किये। देखा देखी बाइक की मांग करने लगा। उसे सब ने समझाया अभी तुम छोटे हो जब बड़े हो जाओगे तब तुम्हें गाड़ी मिल जाएगी,मामा मामी नानी समझाते वह अपने काम से लग जाता था कुछ दिन शांत रहता फिर बाइक के लिए शुरू हो जाता।
मामा सुहासको समझाते, तुम जब बड़े होकर अपने मम्मी का सहारा बनना है। तुम्हें छोटी बहन है उसकी पढाईलिखाई शादी भी करनी पडेगी, तुम्हारे पापा कुछ नहीं करते आगे तुम्हें ही घर संभालना है। लेकिन सुहास ने विरोध किया, कहने लगा मैं अभी छोटा हूं घर की जिम्मेदारी पुरी कंरूगा पहले मैं गाड़ी तो लूंगा ही,
उससे ज्यादा कुछ कहने का मतलब नहीं था।
जाए कोई शौक ना लगा बैठे वह अब बडा युवा बन गया था। उस समझाने का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा था।
उसके मन में क्या था स्वभावसे किरकिरा गया था। रात में 12 बजे तक बाहर रहने का शोक चढ़ा था मामा ने उस पर नजर रखी कोई कट्टे पर बैठे 4/5 मित्रों के साथ हंसी मजाक बातें करते थे। कोई बुराई नहीं थी लेकिन मामा को चिंता सता रही थी बच्चों के संगत में बुरा ना हो जाए कोई शौक ना लगा बैठे वह अब बडा युवा बन गया था। उस समझाने का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा था।
रहूंगा किसी की हिम्मत नहीं थी नानी ने उसे बाहर जाने से मना किया तब उसने गुस्से में चीढकर अपनी और मम्मी पापा के गांव जाने की तैयारी की नानी ने मामा मामी ने बहुत विनती है कि कि ऐसा मत करो यह सब छोड़कर मत जाओ लेकिन वह नहीं माना। मामा मामी अपने बच्चे की तरह प्यार करते थे उसे लेकिन उसे किसी की भी परवा नहीं थी। गुस्से से निकल ननिहालसे निकल गया वहां जाकर उसने छोटी मोटी जॉब कर ली सुहास के पापा शराबी थे वह रात में 12। 02 बजे तक तहलका मचाते रहते थे इस वजह से उसके मम्मी ने उसे थोड़ा घर लेट आने के लिए परमिशन देदी वह तो वही चाहता था। रात में कभी 1:00 बजे कभी 2:00 बजे ऐसे आने लगा उसने बाइक ले ली थी समय 6 महीने निकल गए सब ठीक-ठाक चल रहा है समझ कर मामा मामी की चिंता कम हुई थी। जहां भी रहो खुश रहो फोन वगैरा आते रहते थे। राखी त्योहार आया तब मामा की बिटिया को राखी बांधने के लिए वह मामा के गांव आया। वह खुश दिखाई दे रहा था। उसे मामा ने कंप्यूटर ले कर दिया था। खुशी खुशी वह अपने गांव चला गया। कुछ ही दिनों में वहां से उसके मम्मी का फोन आया की सुहास का एक्सीडेंट हो गया है और उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है उसके सर को बहुत भारी गुप्ती मार लगी है। मामा के होश उड़ गए थे। किसी तरह खुद को संभाल कर मामा ने तुरंत मामामामी ने तुरंत तैयारी कर हॉस्पिटल पहुंच गए।
डॉक्टरों ने बताया अभी वह पूरी तरह होश में नहीं है। लेकिन वह किसी बात से डरा हुआ था और आंखें नहीं खोल पा रहा था मामामामी जाते ही वह उठ बैठा इधर उधर देखने लगा उसके आंखों में डर बना था।
डॉक्टर ने उसके बाद में बताया गया सुहास कोमा में चला गया इसका बहुत बड़ा ऑपरेशन करना पड़ेगा।
सबके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीअब क्या करें ना करेंके मानस स्थिति में पूरा परिवार आ गया। सब ने ऑपरेशन के लिए हामी भरी करीबन 10 /15 लाख खर्च हो गए लेकिन सुहास नहीं उठ पाया। सब चिंता में थे डॉक्टर कह रहे थे बुखार है बुखार होने की वजह से आईसीयू में ही रखना पड़ेगा। फिर बाद में बताया गया कि उसे वेंटिलेटर पर रखा है ऐसे करते चार-पांच दिन निकल गए उसके बाद में उन्हें बताना ही था क्योंकि मामा के रिश्तेदार डॉ आए थे सुहास को देखने के लिए उन्होंने अंदर जाकर देखा तो उन्होंने बताया कि वह इस दुनिया में नहीं है। उसे वेंटिलेटर पर रखा है सिर्फ कुछ पैसों के लिए। सबको बहुत बड़ा आश्चर्य का झटका लगा।
अस्पताल में शायद इंसानियतकी कमी है। हम मल्टीपेशालिस्ट हॉस्पिटल का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते।
हालांकि सुहास अच्छा भला था। उसे कोमा में डाल दिया गया ताकि ऑपरेशन की फीस मिल सके। लेकिन उसकी जान पर खेल गई। इतना हट्टा कट्टा नौजवान को डॉक्टरों की नासमझी ने निगल लिया और सभिको आश्चर्यमे डाल दिया। 23/24 वर्ष का नौजवान बलि चढ गया। शायद इसी तरह उसे जाना होगा यह कर कह कर सब ने उस अपार दुख को निगल लिया। यह नियति का खेल नहीं तो और क्या है। "नहीं जान सकते हम नियतिके खेल को"