गांव
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गाँव हर जिस्म के अंदर धड़कता है। वो कायनात की एक-एक साबुत रूह में गहरे तक समाया है। गाँव के इश्क की चाशनी में डूबी इन दिनों जब कोरोना महामारी जिंदगियां निगल रही है, वो गाँव ही है जिसने शहरों से पलायन कर रहे मजदूरों और घर वापसी कर रहे शहरियों को पनाह दी है। गाँव ने बताया है कि हमारी जड़ें उसी की सुनहरी भस्म में गहरे धंसी हैं। क्योंकि गाँव शाश्वत है। वो हमारी साँसों में पलाश के इन फूलों की तरह महकता रहेगा।