एक्सपायरी डेट
एक्सपायरी डेट
नंदनी बाजार जा रही थी गली के मोड़ पर, उसने देखा बच्चों के हाथ में कुरकुरे और बिस्किट के पैकेट थे। बच्चे बहुत खुश थे।
शायद दुकानदार ने दिए ...... नंदनी ने मन ही मन सोचा कि दुकानदार कितना अच्छा है। उसने सब बच्चों को बिस्कुट दिये है। बच्चे खुश हैं और खुशी से खा रहे है।मानों आज उन्हें मनचाही चीज मिल गई हो।
बच्चे झोपड़पट्टी के लग रहे थे। और गरीब बच्चों के लिए बिस्कुट, कुरकुरे बहुत बड़ी चीज है दुकान वाले ने दे दिये होगें गरीब बच्चों को। नंदनी को ऐसा लग रहा था।
बच्चे बहुत खुश थे।एक दूसरे को पेकेट दिखा- दिखा के खा रहे है। तभी नंदिनी की नजर दुकान के दूसरी तरफ बिस्किट के ढेर को आग लगाई हुई थी बच्चों ने उस ढेर में से आग बुझा -बुझा कर, वह बिस्किट उठाए थे। नंदिनी उस दुकान पर सामान लेने के लिए चढ़ी उसने पूछा, भैया इन बिस्किट को आग क्यों लगाई है।
दुकानदार ने बताया कि यह सब एक्सपायरी डेट के बिस्किट है। तो भैया आपने इन बच्चों को रोका क्यों नहीं दुकानदार हंसते हुए बोला मैडम जी यह कहां रुकते हैं सारा दिन तो गंदगी के ढेर पर रहते हैं यह कुछ भी खाले इनको कुछ नहीं होगा यह तो बड़े घर के बच्चों को होता है इनके लिए कोई डेट नहीं बनी। नंदिनी को दुकानदार का जवाब सुनकर अच्छा नहीं लगा कि गरीब के जीवन का कोई मूल्य नहीं है
लेकिन इन बच्चों का क्या जिन्हें एक्सपायरी डेट का भी नहीं पता और वह बिस्किट खा चुके हैं।
