अनन्त आलोक

Romance

4.7  

अनन्त आलोक

Romance

एक सौ सैंतालीस

एक सौ सैंतालीस

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"सान्या, आप इसी तरह गप्पों में लगे रहे तो आपकी सी टूटने से रही !पता नहीं क्या हो गया आपको ? दिखाओ जरा ..." अपनी आँखें की गोलियां बाहर को धकेलते हुए मैंने नोटबुक उठाई. "अरे , अब तक इसी में फँसे ओ ? क्या कर रे ओ ! देखो, ये यहाँ से उठाकर यहाँ रख दो, इससे मल्टीप्लाई करो और यूँ लिख दो, हो गया ! अब करो खुद ." वो मेरे ओठों को यूँ देखती रही ज्यों बहरे लिप रीडिंग से बोलने वाले की बात समझते की कोशिश करते हैं .बेमन सी हो उसने नोटबुक पकड़ी, लेकिन कुछ ही सेकंड्स में आगे के दो सम भी कर दिए.

"गुड ! आपको आता तो है ! बस करना नहीं, जब तक डांट न पड़े !"

"यार भैया ! आपकी डांट अच्छी लगती है न ! इसी लिए नहीं करती. आप डांटा करो कसम से मज़ा आता है !" कह कर वह सिर झुका कनखियों से मुस्कुराने लगी .

मुझे भी हँसी आ गई लेकिन मैंने जाहिर नहीं होने दी . सोचने लगा इस में कुछ ख़ास तो है ...इसकी चंचलता ! शरारत ! क्यूटनेस या इसका बिंदास होना !

दिल ले गई थी पहली ही मुलाकात में . उस दिन हाय बोलते हुए लम्बी-लम्बी पतली उँगलियाँ हवा में यूँ लहराई थी इसने ज्यों कोई ग़ज़ल गायक हारमोनियम पर उँगलियाँ घुमाता है . इसकी हल्की क्यूट सी स्माइल आज भी आखों पर तारी है .अगले ही दिन अपने डेडी को भेज कर ट्यूशन की बात करवा ली थी . 


तीसरे ही दिन गाजर का हलुआ बना लाई . एक चम्मच मेरे मुंह में और दूसरा अपने मुंह में डालते हुए कहा था "आहा ! अब तो ये और भी टेस्टी हो गया ." मैं अवाक सा देखता ही रह गया था !मैं यूनिवर्सिटी का छात्र था लेकिन था तो गाँव का ही . असहज होना स्वाभाविक था .सरसों का साग कभी अलसी के लड्डू, लाती रहती है . महीने में दो बार खाने पर भी बुला चुकी है .

अगले दिन मैं सीरियस हो गया "कोई फालतू बात नहीं सिर्फ पढाई ." उसने फटाफट दस सम कर के दिखाए और बोली "ओके भैया, अब मेरी बारी , आपको पता है जब लक्की दूसरी बार आया था न ! तो उसने मुझे एक कार्ड दिया . उस दिन वेलेनटाइन डे था . कार्ड में लिखा था 'डू यू लव मी', लिखा क्या था ! कटिंग का सुंदर सा डिजाइन बना था ...."

मैंने उसे रोका , मुझे लक्की से कोफ़्त होने लगी थी अब . मैं मन ही मन जलने लगा था लक्की से . सान्या को कितनी बार रोका था कि यहाँ पर ऐसी बातें मत किया करो लेकिन वह माने तब न !अपना काम कर वो टाइम निकाल ही लेती ! लक्की के बारे में बात करने के लिए.मुझे यकीन हो चला था कि उसी लक्की के इश्क में इसकी सी आई है . कामचोर नहीं थी सान्या बस कई बार खो जाती थी कहीं ख्यालों में .उसके दीमाग से ये लक्की निकालना जरुरी था . साइंस कहती है किसी चीज को निकालने के लिए वहां कुछ डालना जरुरी होता है . अब जैसे ही वह लक्की की बात करती मैं अपनी कोई स्टोरी शुरू कर देता .

प्यार मुहब्बत की खूब बातें होने लगी . साथ ही एकाउंटेंसी की पूरी बुक उसे घोल कर पिला दी . इस तरह लक्की उसका पास्ट हो गया .उस दिन वह मेरी किचन में चाय बना रही थी अचानक चीखी "उई माँ ..." मैं भाग कर गया . उसकी ऊँगली से खून की धार बह रही थी . "अब ये क्या कर दिया ?" अरे कुछ नहीं बस चाक़ू फिरा रही थी ऊँगली पर, कट गया !" "क्या यार !" मैंने उसकी उगंली को कस कर दबा दिया , खून बंद हो गया .मैं चाय देखने लगा तो उसने ऊँगली दबा कर फिर से खून निकाल लिया .चाक़ू से डोबा लिया और मेरे सीने पर , सफेद कुर्ते के ऊपर लिखा "एक सौ तैंतालीस ."

उसके हाथ से चाक़ू छीनकर मैंने उसका माथा चूम लिया . वह मेरे सीने में धंस कर फफक पड़ी . मेरा भी गला भर आया . मैं उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था . उसके गर्म आंसुओं से मेरे सीने पर लिखा मुहब्बत का कबूलनामा गुलाबी हो कर बहने लगा .उधर चाय काढ़ा हो गई . गैस बंद कर मैं उसे अंदर रूम में ले आया . छुट्टी का टाइम हो गया था . नॉरमल हुई तो मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर छुड़ाते हुए जाने लगी .

उतरने के लिए अभी पहली सीढ़ी पर पाँव पड़ा भी नहीं था कि वह चीखी " लक्की इ इ इ ...." वापस पलती और मुझे कस कर बाँहों में भरते हुए बुरी तरह से चूमने लगी . समझ नहीं आ रहा लेकिन उसकी ख़ुशी का ठिकाना न था . दो-दो सीढ़ियाँ उतरते हुए भागी . सामने छत पर एक सांवला लड़का मुस्कुरा रहा था .मुझे लगा मानो मेरा कलेजा निकाल कोई लिए जा रहा हो . मैं चीखना चाहता था लेकिन नहीं ...

उसके कम्पार्टमेंट के एग्जाम में चार दिन बाकी थे. उसे चार दिन आना था लेकिन वह तीसरे दिन आई . बुक के बीच रखे कागज़ से बर्फी के पीस निकाल उसने मेरे मुंह में डालते हुए कहा "लक्की लाया था ."

मेरा मन बेचैन था . जाते वक्त उसने मेरे हाथों को चूमा . एग्जाम के बाद शाम को अपनी छत पर आई और इशारे में बताया कि सगाई टूट गई. फिर रोज ही छत पर आने लगी. इशारे ,हँसना-रोना शुरू हुआ . तब न तो नेट था और न फोन .

पढ़ाई पूरी होते ही मेरी जॉब लग गई. मैं किन्नौर चला आया . एक दिन एक इनविटेशन कार्ड मिला 'सान्या वेड्स लक्की' पेन से लिखा था 'बी. कॉम पास्ड विद नाइनटी परसेंट मार्क्स .' कार्ड लिफाफे में डालते हुए एड्रेस पर नज़र गई, आँखें खुली रह गईं ! पूरा एड्रेस खून से लिखा था और किनारे पर एक सौ तैंतालीस मतलब 'एक चार तीन'. यानी आई लव यू .


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