एक लड़की भींगी भागी सी
एक लड़की भींगी भागी सी


"कितना प्यार करती हो ना निष्ठा तुम अबीर से याद करो क्या नही किया तुमने उसके लिए।" "निष्ठा मूसलाधार बारिश मे भींगती हुई अपने ख्यालो मे खोई बेसुध पिछले एक साल की घटना याद किये जा रही थी। " अबीर उसके कॉलेज मे साथ मे पढ़ता था , लम्बी कदकाठी, घुँघरैल बाल हंसमुख और हाजिरजवाब हर लड़की उसकी दीवानी थी । "पहले दोस्ती , फिर दोनों के बीच नहीं टूटने वाला बंधन प्यार ने जन्म ले लिया था। " " दिनों दिन अबीर और उसका प्यार परवान चढ़ने लगा । निष्ठा पागलो की तरह अबीर के प्यार मे डूब गईं। " निष्ठा की दोस्त मीनू ने उसे समझाने की
पूरी कोशिश की , अबीर अच्छा लडका नहीं है । "लड़कियो को लव यू बोलना मात्र दो शब्द है , उसके लिए और मासूम लड़कियो को अपने जाल
मे फाँस कर उसके जिस्म से खेलना इसकी फितरत मे सुमार है ।" उसने उसकी एक ना सुनी और उल्टा अपनी बचपन की सखी से मुंह
मोड़ लिया। अबीर के मोहपाश मे ऐसे बंधी थी कि फिर निकल नहीं पाई । आज अबीर ने उसे अपने फार्म हॉउस पर बुलाया था , उसके जन्मदिन की
पार्टी थी । गुलाबी सूट और कान मे छोटे -छोटे बुँदे डालकर कर ज़ब उसने आईने मे देखा था तो उसने अपने आप को कहा था, "आईना भी शरमा जाय , इतनी खूबसूरत हो तुम " और इठलाती हुई अबीर की फार्म हॉउस के लिए निकल पड़ी , घर मे झूठ बोलकर "कॉलेज मे एक्स्ट्रा क्लासेज है"
अपने प्रेम पर पूरा विश्वास था, दुनिया के सामने मेरी हाथ मजबूती से पकड़ कर मेरे प्यार को रुसवाई से बचाएगा । फार्म हॉउस पर अबीर ने बहुत ही गर्मजोशी से स्वागत किया । "हाय मेरी जान तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो " उसके शरारत भरे शब्दो से दिल का
तार बज उठा । तुम जरा बैठो मै अभी कुछ खाने को बाजार से ले आता हूँ । कह बाइक लेकर तेजी से बाजार को निकल पड़ा । अकेले कमरे मे इधर उधर
चहलकदमी करते हुए खिड़की के पीछे से कुछ फुसफुसाहट की आवाज आई । "यार चिड़िया तो बहुत ही खूबसूरत है, आज की दावत तो हमारी तगड़ी है । " सुनकर उसके कान खडे हो गये । दिमाग़ ने कहा "चल निष्ठा यहाँ से भाग चल वरना तू आईने को क्या मुंह दिखाएगी "। दरवाजे के तरफ जैसे ही लपकी , सामने से बाइक से अबीर आता दिखा। दरवाजे के ओट मे छुप गईं , तभी बाहर जोर की आंधी और बारिश शुरु हो गईं । हल्के कदमो से छुपते छुपाते , अबीर की नजर से अपने आप को बचाकर भागने लगी तभी पीछे से उसे किसी ने दबोच लिया। कराटे चैंपियन थी वो भी उसने अपनी कोहनी घुमाया और जोर से उसके पेट पर दे मारा । अबीर वही गिर पड़ा , उसने फुर्ती से वही पड़ी लाठी से उसके सर पर दे मारा । उसे लगा जैसे अबीर वही ढेर हो गया । तभी सामने से आती हुई गाड़ी की तेज हॉर्न की आवाज से निष्ठा वर्तमान मे लौट आई । पागल लड़की सड़क के बीचो बीच ही बारिश का आनंद लेने के लिए मिला था , तुझे हट पागल झल्लाता हुआ गाड़ी ले तेजी से निकल पड़ा । सड़क पर जमे पानी
से गाड़ी के पहिए से उसके मुंह पर जोर से पानी का छींटा मारा । वही घुटनो के बल बैठकर जोर जोर से रोने लगी और अपने आप को थप्पड़ मार कर
चोटिल कर ली । थोड़ी देर बाद उठी और सीधे पास के पुलिस चौकी पहुंच गईं, उसके मैले कुचले कपड़े और सर से लेकर पांव तक भींगी अवस्था, बिखरे बाल और लाल - लाल सूझी हुई ऑंखें को देखकर थाना इंचार्ज को लगा जैसे कोई पगली लड़की है। महिला सिपाही से कह उसके गिले कपड़े ठीक
करवा कर इसके घर का पता पूछ इसे पुलिस जीप मे घर तक छोड़ आओ । उसके पैर लड़खड़ा रहे थे , मै ख़ूनी हूँ , उसकी जुबां बार बार दोहरा रही थी। पूरा थाना समझ ही नहीं पा रहा था , ये पगली सी लड़की कहना क्या चाह रही है ? मै ख़ूनी हूँ ?? मै ख़ूनी................... ??????? कह अचेत होकर गिर गईं..... थाना इंचार्ज समीर झट उसे उठाया और अपने जीप मे डाल कर अस्पताल मे भर्ती करवा दिया डॉक्टर ने चेकअप कर बताया कि लड़की मानसिक सदमे मे है और देर तक भींगने के वजह से निमोनिया हो गया है .. डरने की बात नहीं एक दो दिन मे
इसे डिस्चार्ज कर दूंगा , इंस्पेक्टर साहब आप तब तक इनके घर वालो का पता लगाओ । समीर का फ़ोन की घंटी बज उठी , थाने से फ़ोन था साहब उस अन्जानी लड़की के माता -पिता थाने मे आये है । समीर उन्हें सिटी अस्पताल भेज दो, कह फ़ोन कट कर दिया। इलाजरत मासूम सी निष्ठा को देख़
इंस्पेक्टर समीर के मन मे एक टीस उठी और वह उसकी सलामती की दुआ करने लगा । घंटे भर बाद निष्ठा को होश आ गया , सामने अपने माता -पिता को देख़ फूट -फूट कर रोने लगी । "मुझे माफ कर माँ मै रास्ता भटक गईं थी "। समीर ने महिला सिपाही को भेज कर उसका बयान दर्ज करवाया । उसकी बातें सुन समीर ने उस फार्म हॉउस पर खुद से छान -बीन के लिए गया, वहाँ किसी को नही पाया । फार्म हॉउस का मालिक उस शहर का बड़ा बिजनेस मैंन था । इंस्पेक्टर समीर अपनी दल बल के साथ उसके बंगले पर पहुंचा , इलाजरत अबीर को धर
दबोचा और हवालात मे लाकर उसकी अच्छी से खातिरदारी की । निष्ठा भी लगभग पूरी तरह स्वस्थ होकर जाने अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर
जाने लगी । इंस्पेक्टर समीर बड़ा सा बुके लेकर , निष्ठा का हाल जानने आया। "अब कैसी हैं आप " आप जैसी बहादुर लड़की को पुलिस
की नौकरी जरूर करनी चाहिए , आप जैसी सशक्त लड़की को आगे आना चाहिए । समीर ने हौसला अफजाई करते हुए कहा । निष्ठा के चेहरे पर बुके मे रखे कार्ड को पढ़कर स्निग्ध मुस्कान आ गईं ....
एक लड़की भीगी भागी सी जो जुडो कराटे जानती भी मिली एक सिरफिरे से पहुंचाया उसे हवालात के पीछे तुम ही सोचो कोई बात तो है .......!.