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Kavita Yadav

Inspirational

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Kavita Yadav

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एक की अपेक्षा

एक की अपेक्षा

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ये कहानी पिंटू नाम के लड़के पर है। पिंटू के पापा का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया था। क्योंकि उसके पापा की नोकरी ही ऐसी थी।

वो दुसरे शहर आ गए,पिंटू को यहां बिल्कुल अच्छा नही लगता था।इसलिए वो किसी से दोस्ती करना पसंद नही था।

ओर अपने घर की खिड़की में से ही सब कुछ देखा करता था।

वो देखता था कि कुछ बच्चे आपस मे एक ही जगह पर आ कर खेलते रहते थे,लेकिन बो भी किसी से बात नही करते थे।

एक दिन उनकी जगह पर कुछ दूसरी कालोनी के बच्चे जो कि उनसे काफी बड़े थे ,खेल रहे थे।फिर जब वो आये तो उन्होंने कहा कि तुम हमारी जगह पर क्यों खेल रहे हो कहि ओर जा के खेलों क्योंकि ये हमारी जगह है।तो उन लोगो ने कहा जगह पर किसी का कोई नाम नही लिखा ईसलिये हम तो यही खेलेंगे

ओर उन बच्चों को वहां से जाना पड़ा।

पिंटू ये सब देख रहा था ओर वो ये रोज ही देखता था कि बड़े बच्चे छोटे बच्चों की जगह से जाने को तैयार ही नही थे।

तब पिंटू ने सोचा कि मुझे इन छोटे बच्चों की मद्त करनी चाहिए ।इसलिए वो दुसरे दिन उन छोटो बच्चों के पास गया और उन सबको अपने पास बुलाकर कहा क्या बात है।तुम इतने मायूस से नजर क्यों आ रहे हो,तब उन्होंने कहा कि वो बड़े बच्चों ने हमारी खेल के मैदान पर अपना कब्जा जर लिया और जाते नही है।हम क्या करे तब पिंटू ने कहा तो इनको भगा दो यहां से।

तब उन बच्चों ने कहा वो हमसे बहुत बड़े है।हमे उनसे डर लगता है।

तब पिंटू ने कहा तुम सब अगर एक हो जाओ तो वो सब यहां से भग जाएंगे।क्योंकि एक ओर एक ग्यारह होते है।तब वो सब कहते है।लेकिन हम तो दस है।

तब पिंटू कहता है।में भी तो तुम्हारे साथ हूँ, हो गए ना ग्यारह इस प्रकार उन्होंने मिलकर उन बड़ों बच्चों को उस मैदान से भगा दिया।

इस प्रकार दोस्तों अगर कोई भी काम मिल कर करे तो अकेले की अपेक्षा सफलता जरूर मिलती है।


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