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Kavita Yadav

Drama

5.0  

Kavita Yadav

Drama

आ बेल मुझे मार

आ बेल मुझे मार

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शर्मा जी जोर-जोर से अपने दोस्तों से कहे जा रहे थे कि भाईयों अब बीवियों से डरने की जरुरत नही है कल ही के अखबार में खबर छपी थी कि कर्नाटक के जज भक्तवत्सला ने कहा है कि अगर पति पीटता है तो इसमें कोई हर्ज नही है” सुनकर दिमाग भन्ना गया ये क्या कहे जा रहे हैं  -मैने उन्हें टोका। …देखो भूल कर भी हाथ मत लगा देना, आप जानते हैं मुझे ! पति को तो चुप करा दिया मगर… ।

मुझे लगता है जज साहब कह तो यही रहे थे बस जरा सी मात्रा इधर कि उधर हो गई है। यह प्रिंटिंग मिस्टेक का मामला लगता है।  अब देखिये न जरा सी लापरवाही कहीं की बात कहीं ले जाती है। हो सकता है जज साहब कह रहे हों कि यदि पति पिटता है तो इसमें कोई हर्ज नही है।

सोचने वाली बात ये है कि जहाँ एक और महिला सशक्तिकरण का बोलबाला है, जहाँ देश की राष्ट्रपति महिला थी, प्रधान मंत्री का बैक सपोर्ट एक महिला है तो ऎसे में जज साहब ये गुस्ताखी कैसे कर सकते हैं? जज साहब तो क्या कोई भी भला आदमी ये गलती नही कर सकता। आखिर महिला को हिलाना आसान काम नही है।

अब देखिये न नारी के खिलाफ़ लिखा गया और तुरन्त एक्शन होने लगे। फ़ेसबुक पर भी जज साहब को पद से हटाने की मुहीम शुरू कर दी गई है। बेचारे भक्तवत्सला जाने कैसे दूर की सोच ही नही पाये। पति-पत्नी का विवाद चाहे सड़क पर हो, चाहे अदालत में कभी पड़ना ही नही चाहिये । पता चले कि वो दोनों तो थोड़ी देर बाद सुलह कर मजे से ठण्डी-ठण्डी, कूल-कूल कुल्फ़ी उड़ा रहे हों और तूं कौन? -मै खामख्वाह।

सचमुच मुझे तो तरस आ रहा है जज साहब पर। अब देखना कई जगह अनशन  होंगे। आंदोलन होंगे। हो सकता है जज साहब के पुतले बनाकर भी जलाये जायें। नारे बाजी होगी सो अलग। अन्ना का सपोर्ट भी

मिल सकता है।

एक बात और हो सकती है कि कहीं इसमे किसी शरारती तत्व का हाथ तो नही? हाँ पाकिस्तान का नया दाँवपेच भी हो सकता है यह। सोचिये जरा महिला आंदोलन देश पर गिरने वाला एक ऎसा बम साबित हो सकता है जो देश की हालत हिरोशिमा और नागासाकी जैसी कर सकता है।

खबर न हो तो बता दूँ देश भर की महिलायें इस समय उस महिला को भी कोस रही हैं, जो कोर्ट मे गई थी। अरे जरूरत क्या थी उसे कोर्ट में जाने की पति एक थप्पड़ मारे तो दो लगा दो। दो लगाये तो चार लगा दो। फिर भी मन न भरे बच्चों से घर वालो से पिटवा दो। तब भी न माने तो देशभर में नारीमुक्ति मण्डल बने हुए है, कब काम आयेगें। दो-चार हाथ तो हम भी लगा देते जो खबर मिलती। बस मामला रफ़ा-दफ़ा। घर का मामला घर में ही रहना चाहिये। अरे भई जब कभी बेचारा पति पिट जाता है तो क्या अदालत जाता है कि मुझे मेरी बीवी से बचाओ या मुझे बीवी ने मारा। कोर्ट जाकर क्या मिला। रमिया ने सुना तो बोली देखा बीवी जी जज भी आखिर मर्द निकला।

 मुझे तो डाउट इस मुई रमिया पर भी हो रहा है। कल जब मैने उससे कहा कि तेरा पति हर-रोज दारू पीकर आता है, तुझे पीटता है… तुम उसे छोड़ क्यों नही देती, …तो कहने लगी, अरे बीवी जी रोज पीकर आना, गाली-गलौज करना, मारना-पीटना यही तो असली मर्दानगी है। मेरा पति जिस रोज़ पीकर गाली-गलौज नही करता और न ही मार-पीट करता, मुझे नींद तक नही आती। अरे बीवी जी वो मर्द ही क्या जो बीवी को मारे-पीटे नही, गाली-गलौज न करे। कर लो बात यह भी कोई बात हुई। दिल में किया कि कह दूँ जाहिल…गंवार लेकिन नारी सहनशीलता की दाद देकर रह गई। एक महिला ने समस्त महिलाओं के पिट जाने का बंदोबस्त कर डाला। ये तो वही बात हुई आ बैल मुझे मार…


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