रिया
रिया


रिया खुले विचारों वाली लड़की ,मॉर्डन ,एक दम बिंदास ,उसका खुद की एक अलग ही पहचान थी।जब उसकी फैमिली ने उसे इंडिया से बहार अमेरिका भेजा पढ़ने के लिये ।तो वो बोहोत खुश थी।कि इंडिया के बहार पढ़ कर वो अपना सपना पूरा करेगी ।वो अपनी लाइफ में एक सफल और बोहोत फेमस फ़ोटोग्राफ़र बनना चाहती थी।इसलिए उसने फोटोग्राफी के लिए अमेरिका के एक अच्छे इंस्टिट्यूट में एडमिशन ले लिया वहां बाहोत से लड़के लड़कियां आते थे।
उसी में से एक लड़का था अमर ,जो बोहोत सीधा -साधा नार्मल लड़का उसकी किसी से दोस्ती नही थी। एक दिन उनकी क्लास में उनकी मेडम ने एक क्वेश्चन पूछा तो रिया ने गलती से हाथ कर दिया फिर मेडम से सॉरी कहकर बैठने ही वाली थी।कि पूरी क्लास हँसने लगी पर अमर नही हँसा ओर खड़े हो कर उस क्वेश्चन का आंसर देने लगा।
आंसर देने के बाद मैडम ने उसे वेरी गुड कहा ओर वो अपनी शीट पर बैठने ही वाला था कि बैठने से पहले उसने पूरी क्लास से कहा इस तरह किसी पर हँसना अच्छी बात नही है क्योंकि गलती इंसान से ही होती है।
तभी रिया ने कहा अरे ओ समाजसुधारक ,मुझ पर कोई एहसान करने की जरूरत नही है।और पूरी क्लास इस बार अमर पर हँसने लगी।तभी मेडम ने कहा रिया एक तो वो ,तुम दुखी ना हो इसलिय पूरी वलास को ऐसा आगे नही करेऔर किसी पे ना हँसे समझा रहा था।और तुम हो कि बत्तमीजी से बाते कर रही हो।तो रिया ने पूरी क्लास के सामने उसे सॉरी कह दिया।
पर जब क्लास खत्म हुई तब वो ओर उसकी सहेली केंटीन गए,वही अमर भी कॉफी पी रहा था ।उसकी एक सहेली स्नेह नाम की उसने कहा रिया देख वही समाज सुधारक ,रिया उसके पास गई और कहा देख तू जो भी है।मेरी ज्यादा कही भी तरफदारी करने की जरूरत नही है।तब अमर ने कहा देखीये आप की जगह कोई भी होता तो में तभी ऐसा ही करता और हाँ मेरे पास समय नही हैं।मुझे पढ़ाई करनी है इसलिए मुझे जाना होगा।
इस प्रकार रिया पूरे टाइम ,घूमना ,फिरना ,खाना पीना एस करना.. उसका काम बन गया था।इस चक्कर में वोअपनी पड़ाई पर ध्यान ही नही दे पा रही थी।अमेरिका की लाइफ उसे भा गयी थी।इस प्रकार पूरे तीन साल बीत जाता है।एग्जाम का समय आ जाता है।एग्जाम होने के बाद सब अपने -अपने घर आ जाते है
रिया भी इंडिया अपने घर आ जाती है।इस प्रकार कुछ समय बाद उनका रिज़ल्ट्स आता है।
ओर रिया फेल हो जाती है।तब वो बोहोत उदास होती है।उसके घर वाले समझाते है रिया कोई बात नही अगली बार फिर कोशीश करना पास हो जाओगी।ऐसा उसके पापा मम्मी ने इसलिए कहा क्योंकि वो अपनी इकलौती बेटी को दुखी नही देखना चाहते थे।ओर फिर उनके पास किसी चीज की कमी भी तो नही थी।वो थे भी तो बोहोत रईश....
एक दिन की बात है। रिया अपना मोबाइल भूल कर अपनी मम्मी के साथ कहीं गयी थी।तभी उसका फोन बजता है।और फोन उसकी फ्रेंड स्नेह का था।उसने कहा और
रिया व्हाट्स गोइंग ऑन।चले फिर से अमेरिका एस करेंगे।तभी उसके पापा बोलते है।स्नेह सच सच बताओ वहां तुम लोग क्या करते थे।
तब स्नेह ने कहा अंकल हम वहाँ घूमते फिरते ओर क्लास बंक करके शॉपिंग करने जाते थे ,पर आप प्लीज ये सब बात रिया को नही बताना नही तो वो मुझे मार ही डालेगी ..तब रिया के पापा ने कहा पर तुम भी रिया को ये नही बताना की मूझे तुम लोगो के बारे में सब पता चल गया है।
कुछ दिन बाद रिया के पापा ने कहा रिया पढ़ाई बोहोत हो गईं है।मेने तुम्हारे लिए बोहोत बड़े बिज़नेस मेंन के लड़के से शादी तय कर दी है ,इसलिए तुम कल तैयार हो जाना वो कल आ रहे है।
रिया बोहोत जिद करती है ..कि मुझे अभी शादी नही करना।पर उसकी एक नहीं चलती है ।और उसे उसके पापा की बात उसे माननी पड़ती है।
दूसरे दिन लड़के वाले आते है,रिया उसकी मम्मी के साथ चाये लेकर आती है।और जो देखती है।वो देख कर हैरान हो जाती है।और कस के चिल्लाकर कहती है।अरे ओ समाज सुधारक तुम...
तब उसकी मम्मी कहती है।रिया ये क्या बत्तमीजी है...रिया कहती है।मोम्म ये मेरे साथ ही वहाँ पढ़ाई कर रहा था।तब उस्की मम्मी ने कहा बेटी मेरे बेटे ने टॉप किया है।और उसने ही हमसे तुमसे शादी करने का कहा है।
दोनों को कुछ समय दिया जाता है।अकेले में बात करने के लिए।रिया कहती है।में फेल हो गयी तुम्हें पता है..जब कि में एक बाहोत बड़ी फोटोग्राफर बनना चाहती थी ,पर मेरी किस्मत में शायद फोटोग्राफी नही थी।तब अमर ने कहा कोई बात नही, फोटोग्राफी तो में सीखा दूंगा आप को !आप तो मुझे पहली बार मे ही बोहोत पसंद आ गयी थी।पर मेरा मानना है ..
हम जिस काम के लिए कहि अपने पेरेंट्स से कह कर गए है ।तो हमे वही करना चाहिए पर आप ने वो नही किया।
उसको गुस्सा आ गया उसने कहा अरे ओ समाजसुधारक ज्यादा समझदार बनने की जरूरत नही है।और दोनों कमरे से बहार आ जाते है।
अमर की फेमली तो शादी के लिए तैयार हो जाती है,ओर रिया के पापा भी हाँ कह देते है।
रिया उस दिन पूरी रात नही सो पाती है।दूसरे दिन रिया अपने कमरे में चूपचाप अपना समान पैक कर के सुनहरी शाम को अपना लगेज ले कर घर से निकल जाती है।एक जगह पर सुनसान सड़क पर अपने लगेज को रख कर सोचती है ।क्या में सही कर रही हूँ, मेरे मोम्म डेड जो दिन भर मेरे बारे में सोचते उन्हें में धोखा तो नही दे रही,ओर उस लड़के जिसने मेरा हर समय साथ दिया और अभी भी मेरा साथ देने को तैयार है।इतना अच्छा इंसान जिसने मेरी हर बत्तमीजी को नजरअंदाज किया उसको भी में दोखा दे रही हूँ शायद!
नही में ऐसा नही कर सकती और फोन करके ...स्नेह से कहती है।
"सॉरी स्नेह एयरपोर्ट पर मेरा इंतजार नही करना।क्योंकि मुझे मेरी मंजिल मिल गयी है।में अब नही आउंगी ओके बाय