Abhishek Bhatia

Drama Romance Tragedy

4.0  

Abhishek Bhatia

Drama Romance Tragedy

एक फ़िल्म ऐसी भी 2

एक फ़िल्म ऐसी भी 2

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नमस्कार दोस्तों क्या हाल हैँ आपके मैं आशा करता हूँ की अच्छे होंगे तो लीजिये मैं अपनी कहानी का दूसरा भाग ले कर हाजिर हूँ। 

तो मैंने और रजत ने देखा की जिस सिनेमा हाल में हमने फ़िल्म देखी थी वो एक खंडर था और वहा कोई शहर नहीं था सिर्फ शमशान घाट था और ना ही हमें वो ढाबा मिला जहाँ हम ठहरे थे ये देख हम वापिस ही जा रहे थे की हमारी गाडी के आगे एक लड़की आ गयी वो अचानक से आगे आ गयी थी और उसे चोट लग गयी थी और बेहोश हो गयी हमने उसको उठा कर गाडी में रख दिया और हॉस्पिटल के लिए चल पड़े पर वहा दूर दूर तक कुछ भी नहीं था इसलिए हम उसे अपने शहर ले आये और एक हॉस्पिटल में भर्ती कर दी वो बेहोश थी हमने उसे वही छोड़ दिया और बाहर आ गए इसके बाद मैंने आकाश को फ़ोन किया और सारी बात बताई।

वो बोला तुम कहा हो हमने कहा हॉस्पिटल में आकाश भी वही था वो अंजना को ले कर आया था अंजना और आकाश वही हमारे पास आ गए हम सभी अभी बात कर ही रहे थे की अंदर से चीखने की आवाज आयी वो उस लड़की की थी हम सभी अंदर की तरफ भागे तभी वो लड़की मेरी तरफ दौड़ी और बोली तुम्हारी हिम्मत कैसे हूँई मुझे यहां लाने की अब मैं तुम्हे नहीं छोडूगी मैं भी बाहर की तरफ भागा और जोर से चिल्लाया रजत अपनी चुड़ैल को पकड़ ये मेरे को मार डालेगी तब रजत बोला ये वो नहीं हैं और वो भी मेरे साथ भाग गया तब अंजना ने उसे पकड़ा और उसे समझाया की हम बुरे लोग नहीं हैं अगर तुम्हे कोई प्रॉब्लम हैं तो मुझे बताओ-

हम तुम्हारी मदद जरूर करेंगे इस पर वो रोने लगी और जोर जोर से चिलाने लगी मार डाला मेरी बहन को मार डाला किसने मार डाला अंजना ने पूछा अब हम भी वहा आ गए थे पर दूर खड़े थे पता नहीं कब वो हमें मारने पड़ जाये अंजना ने उसे पानी पिल्या और थोड़ा रिलैक्स करवाया अब वो शांत हो गयी थी तो हम भी वही बैठ गए 

उसने कहा मेरा नाम समारया हैं मैं दिल्ली मैं जॉब करती थी।

एक बार छुटियो में मैं घर आयी हूँई थी मेरा परिवार बहूँत ही बड़ा था इसमें मम्मी, पापा, दादा, दादी, चाचा, ताया सब थे और एक मेरी प्यारी बहन भी थी मेरे परिवार की सोच बहूँत ही पुरानी थी इसलिए मेरी उनसे बिलकुल भी नहीं बनती थी और मैं घर नहीं आती थी पर इस बार मुझे मेरी बहन ने बुलाया था तो मैं यहां आ गयी थी मेरी दीदी को एक लड़के से प्यार हो गया था पर वो बहूँत ही गरीब था और एक ढाबे में काम करता था मेरी बहन ने मुझे तभी बुलाया था ताकि मैं उसकी हेल्प कर सकूँ पर मैं ये अकेले नहीं कर सकती थी।

इसलिए मैंने उसको बुलाया जिससे मैं प्यार करती थी उसका नाम आरिश था और वो भी मेरे साथ जॉब करता था पर मैं उसको अपने घर नहीं बुला सकती थी इसलिए हम सभी ने एक सिनेमा हॉल में मिलने का प्रोग्राम बनाया जो की शहर के बाहर अकेली जगह पर था।

यहां हम आसानी से मिल सकते थे पर हमारी खबर किसी ने हमारे घर वालों को दे दी थी हमारे परिवार वालों ने दीदी और उस लड़के को बहुत मारा मेरी दीदी ने मुझे वहा से भागने को बोला पर मैंने मना कर दिया पर दीदी ने मुझे अपनी कसम दे दी तो मुझे वहा से जाना पड़ा इसके बाद हमारे घर वालों ने वो सिनेमा हॉल खाली करवाया और उन दोनों को ज़िंदा जला दिया इसके बाद उन्होंने उस ढाबे को भी जला दिया जहाँ वो काम करता था उन्हें मेरे और आरिश के बारे में भी पता चल गया हैं अब वो हम दोनों को ढूढ़ रहे हैं।

और आरिश का भी कुछ पता नहीं चल रहा हैं की वो कहा हैं हमारी बात चल ही रही थी की रजत का फ़ोन बजा और वो फ़ोन सुनने के लिए बाहर चला गया समारया की बाते सुन कर हम भोचके रह गए और हमारी आंखे भी खुली की खुली रह गयी क्योंकि ये सब हमने उस फ़िल्म में देखा था जो हम देखने गए थे तो क्या समारया की बहन ने हमारे साथ साथ ऐसा इसीलिए किया ताकि हम समारया की मदद कर सके तभी रजत अंदर आया और बोला की अंजलि का फ़ोन था वो हमारा पूरी रात इंतजार करती रही ये बोल कर रजत बड़ा खुशी से बोला की मेरी अंजलि चुड़ैल नहीं हैं वो एक इनसान हैं इससे बहुत कुछ साफ हो गया था अब हमें आरिश को ढूढ़ना था और उनकी मदद करनी थी।


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