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Abhishek Bhatia

Drama Horror Thriller

4.5  

Abhishek Bhatia

Drama Horror Thriller

ट्रिप विथ माई फ्रेंड्स

ट्रिप विथ माई फ्रेंड्स

8 mins
406


      

हम सभी दोस्त कॉलेज खतम होने के काफी घूमने जाते थे' उनमे से ये एक ट्रिप है जो मैं आपके साथ बता रहा हूँ बात एक साल पहले की है हम सभी ने एक हिलस्टेशन में जाने का प्रोग्राम बनाया जो की दो पहाड़ो के बीच में बसा हूँआ था हम सभी दोस्तो ने 20जून को जाने का प्लान बनाया' 19 रात को कुछ दोस्त मेरे घर आ गए । हम सभी ये समझ नहीं आ रहा था की हम जाएं कैसे? हम 8लोग जाने वाले थे हमारा एक दोस्त एक पहाड़ पर माता के मंदिर गया था उसने हमें बोला था की वो शाम तक वापिस आ जायेगा पर वो नहीं आया और उसका कुछ पता भी नहीं चल रहा था उधर हम जाने का deside नहीं कर पा रहे थे फिर सभी ने ये बोला किकी एक किराये की गाडी में चलते हैं पर कोई भी गाडी वाला तयार नहीं हो रहा था' बड़ा ढूढ़ने पर एक गाडी वाला तैयार हो गया पर उसमे पांच लोग ही जा सकते थे' निशांत और अंशुल बाइक पर जाने के लिए तयार हो गए पर निशांत बार बार वहा जाने के लिए मना कर रहा था ना जाने क्यों? 

तो अब सब कुछ तैयार हो गया था हम सब सुबह सब जाने के लिए तयार हो गए यहां सुबह मौसम । ही खराब हो गया था बारिश शुरू हो गयी थी निशांत बोलने लगा की मैं और अंशुल बारिश बंद होने के बाद आएंगे तुम सब चल पड़ो हम मान गए और गाडी में चल पड़े हम पांच लोग मैं आकाश । अंजलि । अंजना और रजत तो हम चल पड़े"" रास्ते में मौसम । ही खराब हो गया दिन में ही रात हो गयी थी रास्ते में । धुंध थी कुछ नजर नहीं आ रहा था' हम सलो ही चल रहे थे तक़रीबन 100km जाने के बाद अचानक से सब ठीक हो गया मौसम साफ हो गया और हम हाईवे छोड़ एक लिंक रोड पर चल पड़े 'वो रास्ता । ही लुभावना था लग रहा था हम कही और आ गएहैं बिलकुल शांति थी तभी मुझे एक लड़की दिखाई दी वो हमें देख कर हाथ हिला रही थी' मैंने भी उसको देख कर हाथ दिया' मैंने तभी आकाश को बोला वो देख वो लड़की हमें देख कर हाथ हिला रही है' कहा कहा ये बोल कर आकाश बाहर देखने लगा तभी अंजलि ने उसे पीछे से मारा और बोला आपको बड़ी देखनी है उसके पास ही पंहूँचा दूंगी' इस बात पर मैं हंसने लगा' थोड़ी दूर जा कर वो मुझे फिर दिखी हाथ हिलाते हूँए मैंने सोचा इतनी जल्दी यहां कैसे पहूँंच गयी फिर ऐसा सोचा की कोई शॉर्टकट होगा मैंने भी उसे देख हाथ हिला दिया पर आकाश को नहीं बोला क्योंकि वो दोबरा पिट जाता' अब पहले से अच्छा लग रहा था मैंने भी रोमांटिक गाने लगा दिए और साथ में गाने लगा लेकिन तभी अचानक से एक बड़ा सा पत्थर ऊपर से गिरा हम बाल बाल बच गए' हमने गाडी रोकी और उतर कर बाहर देखने लगे वो पत्थर ठीक हमारी गाडी के सामने गिरा था तभी मुझे वो लड़की फिर से दिखी पर इस बार मुझे थोड़ा अजीब लगा मैंने फिर से आकाश को बोल कर उस लड़की की तरफ इशारा किया पर अब वो भड़क गया और बोला यहां हम बच गए और तुझे लड़की की पड़ी हैं' मेरी हेल्प कर और इस पत्थर को हटा फिर हम दोनों उस पत्थर को हटाने लगे तभी मेरा फोन बज पड़ा वो निशांत का फ़ोन था' मैंने फ़ोन उठाया निशांत बोलने लगा की हम नहीं आ रहे हैं यहां । बारिश हो रही हैं तभी फ़ोन आकाश ने ले लिया और उसको गालियां निकालने लगा बोलने लगा कि तुम्हारे साथ प्लान बनाना ही नहीं चाहिए था तुम धोकेबाज हो ये बोल कर उसने फ़ोन काट दिया '

इसके बाद अंजना और अंजलि बोलने लगी हमें नहीं जाना हैं मूड ऑफ कर दिया इसने इस पर मैंने सबको बोला उनके लिए हम क्यों अपना मूड ऑफ करें हम मस्ती करने आये थे और वही करेंगे और क्या पता मुझे वो लड़की भी मिल जाये इस पर सभी हसने लगे और मूड थोड़ा ठीक हो गया 'इसके बाद हम आगे निकल पड़े आगे का रास्ता । ही सुन्दर था पहाड़ो से झरने गिरते । ही सुन्दर लग रहे थ । एक घन्टे में अब वहा पहूँंच गए वो जगह । ही सुन्दर थी इसके लिए सुन्दर शब्द भी । छोटा लग रहा था हमने पहले वहा पहूँंच कर होटल ढूढा वहा होटल बुक थे । ढूढ़ने के बाद आखिर हमें होटल मिल ही गया । । हमने वहा रूम में थोड़ी देर आराम किया फिर हम सभी लंच करने आ गए । हम सभी ने लंच किया लंच में वहा का वही के पकवान थे जो की । स्वादिस्ट थे इसके बाद हम वहा घूमने की जगह के बारे में पूछने लगे मैंने वहा के एक रेलवे ट्रैक के बारे में । सुना था मैंने सभी को वहा जाने को बोला सभी मान गए रेलवे ट्रैक के बारे में हमने लोगो से पूछा तो सभी ने मना किया और बोले वहा मत जाना वो अच्छी जगह नहीं हैं पर हम नहीं माने और वहा जाने के लिए निकल पड़े । वो ट्रैक वहा से एक घंटे की दूरी पर था और रास्ता पैदल था रास्ते मे हम मस्ती करते हूँए जा रहे थे पर वहा के लोग हमें बड़े अजीब तरीके से देख रहे थे । एक घंटे में हम वहा पहूँंच गए वो ट्रैक । ही टेढ़ा था पर वहा । ही सन्नाटा था मेरा मन नहीं किया की मैं नहीं किया की मैं उस पर जाऊ मैंने सभी को बोला तुम जाओ मैं थक गया हूँ यही रुकता हूँ । इस पर आकाश बोला हां यही रुक क्या पता तुझे वो लड़की मिल जाये और वो चले गए मैं भी वही बैठ गया !वहा । शांति थी पानी की आवाज । ही मीठी लग रही थी और मुझे नींद आने लग पड़ी जैसे ही मैंने पलक झपकाई एक जोर से चीख सुनाई दी मैंने भी आवाज लगाई क्या हुआ आकाश बोला कुछ नहीं अंजना बेहोश हो गयी हैं । उसको ले कर मैं नीचे आ रहा हूँ मैंने बोला आ जा आकाश उसको उठा कर नीचे लाया वो बेहोश थी उसको हमने नीचे लेटा दिया ।मैंने उस पर पानी के छींटे मारे वो होश में आ गयी हमने उससे पूछा क्या हूँआ वो बोली किसी ने बोला यहां से चली जाओ और जोर से मेरे सिर मर मारा और मैं बेहोश हो गयी हम बात कर ही रहे थे की तभी एक और चीख सुनाई दी ये अंजलि की थी रजत उसको नीचे ले कर आया उसके साथ भी ऐसा हूँआ था और यहां अंधेरा हो रहा था और ऊपर से । आवाजे आ रही थी जिससे हम डर गए थे हमें यहां आना ही नहीं चाहिए था ।सब मना कर रहे थे तभी हमने देखा की एक गाडी आ रही हैं हम सारे हेल्प के लिए चिलाये वो गाडी हमारे पास आ कर रुकी उसमे निशांत और अंशुल थे हमने कहा तुम कहा से आ गए वो बोले वो बाते बाद में पहले यहां से चलो हम सभी गाडी में बैठे और वहा से चले गए जब हमने होटल के मालिक को पूरी बात बताई तो उसने कहा आपको वहा नहीं जाना चाहिए था आपको उस जगह के बारे में कुछ नहीं पता तो हमने पूछा हमें क्या नहीं पता तो उसने हमें एक कहानी सुनाई  ।

बात पांच साल पहले की है पांच दोस्त यहां घूमने आये उनमे से एक लड़का यहां गांव की लड़की से प्यार करता था सभी लोग रात को वहा रेलवे ट्रैक पर रहने गए थे पर उनमे से कोई भी ज़िंदा नहीं आया किसी को नहीं पता वो कहा गए वहा से सिर्फ अब भयानक आवाजे आती हैं । पर किसी की नहीं होती की वो वहा जा कर देखे की क्या हो रहा है । । ये सुन कर हम । डर गए हमको यहां आना ही नहीं चाहिए था हम बाते कर ही रहे थे की अंदर से चीखने की आवाज आयी सभी अंदर की तरफ भागे अंदर जा कर देखा तो अंजलि और अंजना का का बुरा हाल था ।उनकी शक्ल बदल चुकी थी और वो चिल्ला रही थी कि हमें रेलवे ट्रैक पर ले चलो और बार बार पैर नीचे मार रही थी । इस पर निशांत ने बोला की तुम सब बाहर जाओ मैं देखता हूँ क्या हूँआ है इसके बाद हम बाहर चले गए और उसने रूम का दरवाजा बंद कर दिया ।हम । ही डर गए थे थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला और निशांत बाहर आया उसने बोला घबराओ मत अब वो सो गयी है ।सिर पर चोट लगने की वज़ह से वो ऐसा कर रही थी मैंने नींद की गोलिया दे दी है सुबह तक ठीक हो जाएंगी तुम भी सो जाओ हम सब थोड़ा निश्चित हो हो गए और सोने चले गए । सुबह का नजारा । ही लुभाने वाला था सूरज की किरणे नदी में ऐसे पड़ रही थी जैसे की सोना चमक रहा हो आज के दिन हम सभी एक झील पर जाने वाले थे । तो हम सभी वहा जाने के लिए तयार हो गए रजत होटल के मालिक के पास हिसाब किताब करने गया रजत से होटल के मालिक ने पांच लोगो के पैसे ही लिए पर हम सात लोग थे रजत चुप चाप आ गया । उसने सोचा चल कोई नी हमारे पैसे बच गए इसके बाद हम आगे के लिए निकल पड़े आगे कुछ दूर जा कर निशांत बोला मेरे को और अंशुल को यही मंदिर में जाना है तुम चलो हम तुम्हे आगे मिलेंगे इसके बाद हम अपने रास्ते निकल गए और वो अपने रास्ते निकल गए और हम अपने रास्ते थोड़ी दूर जा कर मुझे एक फ़ोन आया ये निशांत का था उसने बोला हम घर से आ गए है और हम तुमको झील में ही मिलेंगे ये सुन कर मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी की अगर ये निशांत था तो रात को हमारे साथ कौन था  ।


ये मेरी कहानी का पहला भाग था मैं आशा करता हूँ आपको अच्छा लगा होगा और साथ मे काफ़ी सवाल भी होंगे आपके सवालों के जवाब के लिए मैं दूसरा भाग ले कर जल्दी हाजिर हूंगा! 

              


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