Nitu Mathur

Inspirational

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Nitu Mathur

Inspirational

एक अदृश्य डोर

एक अदृश्य डोर

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तेज ताप से कांपता शरीर, भन्नता सरदर्द और तेज ज़ुकाम से बहती नाक.. इन सब विकारों की वजह से मल्लिका का सोना जैसे दुभर हो गया था l वो एक तरफ से दूसरी तरफ करवट बदलती रही और अपनी मां का लाड दुलार और उनकी ममता भरी देखभाल उसे बहुत याद आ रही थी, जो कि वहां से मीलों दूर भोपाल में रहती थी। वो ख़ुद को एकदम अकेला और असहाय महसूस कर रही थी, और उसे लगा कि एक बहुत बड़ी टीवी स्टार की हैसियत से जो नाम, शौहरत और जो भी मुकाम उसने हासिल किया है.... आज एक घर में qurantine होने के बाद वो सब मानो एक व्यर्थ सा, एक छलावा सा लग रहा है।  आज कोविड पॉजिटिव की वजह से जब वो अपने घर में अकेली कैद है, तो उसे अपने परिवार की बहुत याद आ रही थी जो की पहले कभी नहीं हुआ था। उसकी 24 घंटे काम वाली बाई भी कोविड के भय से और सुरक्षा कारणों की वजह से छुट्टी पर चली गईं थी और इसलिए मल्लिका को अपनी देखभाल ख़ुद ही करनी थी, और इस तकलीफ देय वायरस वाली बीमारी से खुद ही अकेले मात देनी थी, ठीक होना था।

वो इंपीरियल हाईट्स में एक बहुत ही आलीशान तीन बेडरूम विद टेरेस वाले फ्लैट में पिछले तीन सालों से रह रही थी , लेकिन फिर भी उसने वहां आस पास किसी दोस्त नहीं बनाया था, ना ही किसी पड़ोसी से बात या किसी भी तरह का कोई कनेक्ट नहीं बनाया था। एक बड़े TV स्टार होने के नाते, और दिन में २० घंटे काम करने के कारण उसके पास इस तरह का कोई कनेक्ट या तालमेल बनाने की कोई गुंजाइश भी नहीं बची थी। उसे लगता था कि बाकी लोगों का भी उसके बारे में शायद यही खयाल होगा। 

वो अपनी सोसायटी के लोगों से जब कभी एलिवेटर या जिम में टकराती भी थी, तो बड़ी मुश्किल से ही मुस्कुराती थी। 

मल्लिका अपनें साथ के पड़ोसियों को अक्सर अपनें रास्ते से, या जिम में देखती थी,लेकिन उनका नाम नहीं जानती थी और ना ही उसने कभी जानने की परवाह की। वो एक २८_ ३० साल की जवान महीला थी और मल्लिका की तरह ही एक बड़े कॉरपोरेट कंपनी में काम करती थी । मल्लिका अक्सर उसको कार पार्किंग में देखती थी, जब वो अपनें शूट के बाद घर आती थी। वो काफी दफा एक दूसरे से लिफ्ट में टकराते थे, लेकिन कभी भी दोनों की आपस में कोई बात नहीं हुई, बजाय इसके कि वो मल्लिका को एक अच्छी सी स्माइल देती थी। मल्लिका का दिमाग इन तमाम बातों में उलझा और डूबा हुआ था कि उसे इंटरकॉम की रिंग भी सुनाई नहीं दी। वो दूसरी तरफ़ मुड़ी और और उसने बहुत ही धीमी और कमज़ोर आवाज़ में रिप्लाई किया, ये जान के कि शायद वॉचमैन कुछ बोल रहा होगा।

 मल्लिका को दूसरी तरफ से एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी । " Hi .. में अमायरा हूं, अपकी पड़ोसी , आप कैसी हैं? मैनेजिंग कमिटी से पता चला कि आप पिछले दो हफ्तों से क्वारेंटिन हैं"। मल्लिका हैरान थी कि उसकी पड़ोसन ने उसका हाल जानने के उसे कॉल किया है। मल्लिका ने कहा की वो धीरे धीरे खुद मैनेज कर रही है, उसने जवाब में धन्यवाद दिया और फोन रखने का निश्चय किया लेकिन दूसरी ओर से अभी बहुत कुछ बोलना जैसे बाकी था , बहुत कुछ जो उसके विश्वास से परे था। अमायरा लगातार बोल रही थी, कि क्यूंकि मल्लिका का परिवार इस कठिन समय में उसके साथ नहीं है , वो उसके लिए दिन में तीन बार अच्छा, स्वस्थ खाना भेजेगी। वो घर के दरवाजे पे खाना रख देगा और घंटी बजा देगी जिससे मल्लिका वो खाना अंदर ले लेगी और सही समय पर अच्छा खाना खा सकेगी। 

मल्लिका अपने" शान दिखाने" वाले बरताव के लिए बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थी, जब उसने कहा कि वो अपना इंतजाम ख़ुद कर लेगी और अमायरा को उसके लिए परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन अमायरा अड़ी रही और बोली कि वो जवाब में " ना" नहीं सुनेगी और वो कुछ ही देर में वो उसके लिए नाश्ता भेज रही है। अमायरा उसे लंच और डिनर का शेड्यूल बताने लगी , और मल्लिका से पूछा अगर उसे कोई फूड एलर्जी तो नहीं। अमायरा ने कहा कि जब मल्लिका पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती, वो उसकी पूरी तरह से देखभाल करेगी। मल्लिका  अमायरा के इस नेक खयाल से एकदम भावुक सी हो गई, उसकी आंखे नम पड़ गईं। उसके पास कोई शब्द नहीं बचे थे जिससे वो अमायरा का शुक्रिया अदा कर सके, उसने खुद को संभालते हुए " धन्यवाद " कहा।

मल्लिका अचानक एक अपनेपन का अहसास हुआ, और उसी जादू से उसका दर्द मानो कम हो गया। उसे इस बात का अहसास हुआ कि प्यार और लगाव का बंधन कहीं भी जुड़ सकता है, बंध सकता है, प्यार और परवाह से किया गया काम या देखभाल कोई भी दर्द को दूर कर सकता है। 

वो आश्चर्य में थी कि अमायरा जिसे वो कभी एक स्माइल तक नहीं देती थी, किस तरह उसके जरूरत के वक्त में वो उसके पास आई और पारिवार की तरह साथ निभाया। 

इस महामारी ने सारे बंधन पिछे छोड़कर सबको ऐसे ही ""प्यार की डोर " से बांधा है , ये डोर भले ही अदृश्य हो, लेकिन ये बहुत मजबूत और अमूल्य है।

इन मुश्किल भरे दिनों में, महिलाओं को भी आपस में इसी तरह के प्यार और सहानुभूति वश एक दूसरे की मदद के लिए, दोस्ती के लिए जुड़ना चाहिए। 

एक दूसरे से घुलिए मिलिए, जुड़िए और चारों ओर 

 " प्यार का जादू " बिखेरिए। 


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