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ARUN DHARMAWAT

Tragedy

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ARUN DHARMAWAT

Tragedy

दूसरा पहलू

दूसरा पहलू

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"मत मारो ....मुझे मत मारो, मैंने कुछ नहीं किया... मैंने कुछ नहीं किया "


तुरंत इंजेक्शन दिया जाता है और वो धीरे धीरे शिथिल हो कर निढाल हो जाता है।

मानसिक चिकित्सालय के गहन चिकित्सा कक्ष में पिछले छः माह से भर्ती संदीप की हालत में कोई सुधार नहीं दिख रहा।

डॉक्टरों की तमाम कोशिशें नाकाम हो चुकी है । किसी को समझ नहीं आ रहा अब आगे क्या इलाज किया जाए। डॉक्टर फिर भी प्रयास में जुटे हुए हैं। 

इत्तेफ़ाक से मनोचिकित्सकों का विश्व सम्मेलन होने जा रहा है उसी में भाग लेने डॉक्टर रॉबर्ट भी भारत आये हुए हैं।

मनोचिकित्सालय के प्रमुख डॉक्टर देसाई परामर्श हेतु इस केस का उनसे ज़िक्र करते हुए बताते हैं।


डॉक्टर रॉबर्ट .... संदीप बेहद सामान्य घर का प्रतिभाशाली लड़का है। इसने आई आई टी टॉप किया था और बहुत बड़े पैकेज पे इसका प्लेसमेंट हुआ था। तमाम न्यूज पेपर और मीडिया में इसकी चर्चा थी। 

एक मल्टी नैशनल कंपनी में ऊँचे पद पर इसको नियुक्ति मिली। कुछ समय बाद बड़े बड़े घरों की बेटियों के रिश्ते आने लगे उनमें से ही एक है रीना जो बहुत बड़े बिजनेसमैन की बेटी है। जिनका देश में बड़ा नाम है। संदीप जैसे प्रतिभाशाली और ऊँचे पद पे आसीन युवा से रीना प्रेम करने लगी। दोनों का विवाह बड़े धूमधाम से सम्पन्न हुआ जिसमें नेता अभिनेता बिजनेसमैन भी आये थे।

शादी के कुछ समय तक सब अच्छा चल रहा था। दोनों बेहद खुश थे। लेकिन फिर दिक्कतें शुरू होने लगी। संदीप अपने माता पिता का इकलौता बेटा है जिन्होंने बहुत अभावों और गरीबी में रह कर भी संदीप को पढ़ाया लिखाया। संदीप भी अपने माता पिता को बहुत चाहता था और हमेशा अपने पास अपने साथ ही रखना चाहता था।

लेकिन रीना को वृद्ध सास ससुर को अपने साथ रखना पसंद नहीं था। शुरू शुरू में तो वो संदीप को समझाने का प्रयास करती रही कि उनके रहने का इंतज़ाम कहीं और जगह कर दिया जाए। रीना को लगता था वृद्ध सास ससुर के कारण उसे कई बंदिशों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए वो उन्हें अलग करना चाहती थी। धीरे धीरे रीना का अपने सास ससुर के प्रति व्यवहार बदलने लगा वो बात बात पर उनका अपमान करने लगी, उनके खाने पीने का भी ध्यान नहीं रखती। इस कारण घर में तनाव रहने लगा। संदीप भी बहुत आहत और परेशान रहने लगा। काम का बोझ और दिन रात रीना से विवाद के कारण संदीप अवसाद में रहने लगा। उसने कई बार रीना को समझाने का प्रयास भी किया कि उसके माता पिता का उसके अलावा कोई नहीं है और इस उम्र में उन्हें कहीं और स्थान पर रखना भी उचित नहीं।


जिन माता पिता ने उसे काबिल बनाया पुत्र होने के नाते उसका भी फ़र्ज़ बनता है कि उन्हें साथ रखे और उनकी सेवा करे। रीना को संदीप की बातें समझ नहीं आती और वो उन्हें अपनी स्वतंत्रता में बाधक समझने लगी। धीरे धीरे घर में अशान्ति रहने लगी और फिर कलह में बदल गई। पति पत्नी के बीच भी रिश्तों में कटुता आने लगी। एक दिन रीना ने संदीप को साफ साफ कह दिया कि अब उसे माता पिता अथवा पत्नी दोनों में से एक को चुनना पड़ेगा। संदीप द्वारा निर्णय न लेने की दशा में रीना घर छोड़ कर चली गई इस कारण संदीप और ज्यादा दुःखी रहने लगा।


और एक दिन ....

पूरे दल बल के साथ पुलिस की गाड़ियाँ संदीप के ऑफ़िस पहुंची और उसे अपमानित करते हुए गिरफ्तार कर के ले गई साथ ही संदीप के माता पिता को भी पुलिस पकड़ कर ले आई और बंद कर दिया।

रीना ने धारा 498 -A के तहत अपने पति और सास ससुर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसके अंतर्गत दहेज़ की मांग एवम प्रताड़ना का केस लगाया। इस धारा में जमानत एवं जांच का भी प्रावधान नहीं है बस एक शिकायत पर तमाम नामजद लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है।

संदीप और उसके माता पिता की हवालात में बेहद पिटाई भी हुई और मानसिक यंत्रणा भी दी गई। बड़ी मुश्किल से संदीप के माता पिता की आयु को देखते हुए उनकी जमानत हो पाई थी लेकिन संदीप को हवालात में ही रहना पड़ा।

इस प्रताड़ना और अपमान को संदीप के माता पिता सहन नहीं कर पाए और दोनों ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पूर्व उन्होंने एक पत्र भी छोड़ा जिसमें लिखा ...

प्रिय बेटी रीना ....

बिना किसी आशा और अपेक्षा के हमने अपने बेटे का जीवन सुखद बनाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। तुम को सदा अपनी बेटी ही समझा, लेकिन हम में ही कोई कमी रही होगी जिस कारण तुम हमें अपने माता पिता नहीं समझ पाई। हमारा बेटा संदीप निहायत सीधा सच्चा और संवेदनशील इंसान है वो तुम्हें कभी दुःखी नहीं रखेगा, हमारे जाने के बाद तुम वापस लौट आना और खुशी खुशी जीवन बिताना। हमें तुमसे कोई शिकायत नहीं बेटी शायद हमारी तक़दीर का दोष है अथवा नियति का, जो हम सब एक साथ खुशहाल जीवन नहीं जी पाये ...!!

तुम्हारे ही माता पिता !!


देखिए डॉक्टर रॉबर्ट ....अपने माता पिता की आत्महत्या, पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटाई और रीना द्वारा झूठे केस में फँसाने के कारण ये लड़का अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और अब जो भी इसके निकट जाता है उसमें इसको रीना ही नज़र आती है और ये भय से कांपने लगता है चीखता चिल्लाता है।

हाँ डॉक्टर देसाई .... दहेज़ जैसी कुरीति के कारण आपके देश में निसंदेह अनेक बेटियों का जीवन बर्बाद हुआ है किंतु दहेज़ प्रताड़ना रोकने हेतु उठाये गए कानून का दुरुपयोग भी हुआ है जिस कारण संदीप जैसे होनहार युवा का सर्वस्व तबाह हो गया। आपकी सत्ता और व्यवस्था को दहेज़ के दानव के इस दूसरे पहलू पर भी गौर करना चाहिए जिससे संदीप जैसे अनेक युवाओं का जीवन बर्बाद होने से बचाया जा सके।


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