दुश्मन से प्यार - भाग ४
दुश्मन से प्यार - भाग ४
कॉलेज में गाने बजाने की प्रतियोगिता की तैयारियां जोरों शोरों से चल रहीं थी। ये पूरे स्टेट के मेडिकल कॉलेजों की प्रतियोगिता थी और इस साल मुंबई में उनके मेडिकल कॉलेज में हो रही थी। अंकुश ने तो अपना नाम पहले से ही गिटार वाली स्पर्धा में दे रखा था। जो अध्यापक बच्चों को छांटने के लिए नियुक्त हुईं थीं वो उन की ही क्लास टीचर थी। जब उन्होंने गाने की स्पर्धा के लिए नाम पूछे तो बिंदु ने झिझकते झिझकते अपना नाम दे दिया। वो गांव में भी अपने स्कूल में बहुत अच्छा गाती थी पर थोड़ा शर्माती थी।
जोरों शोरों से रिहर्सल शुरू हो गईं। अंकुश और बिंदु का अपनी अपनी स्पर्धाओं में सिलेक्शन हो गया था और सभी बच्चों को उनसे उम्मीद भी काफी थी क्योंकि दोनों ही अपने फील्ड में बहुत अच्छे थे। जब प्रतयियोगिता को सिर्फ एक हफ्ता रह गया था तो एक दिन उन की क्लास टीचर आई और उन्होंने क्लास में बताया की इस बार एक और स्पर्धा बढ़ गयी है जिसमें की एक लड़का और लड़की का डुएट है जिसमें कि लड़की को गाना है और लड़के को गिटार बजाना है। उन्होंने ये भी बताया कि इसके लिए उन्होंने अंकुश और बिंदु का नाम पहले ही दे दिया है। बिंदु और अंकुश दोनों को बहुत असहज लगा पर वो टीचर को मना नहीं कर पाए।
रिहर्सल के समय शुरू में तो दोनों एक दुसरे से अच्छी तरह बात नहीं कर रहे थे पर जब टीचर ने एक दिन डांट कर कहा कि सिर्फ पांच दिन तो रह गए हैं और तुम एक दुसरे से अभी तक तालमेल नहीं कर पा रहे हो, तो दोनों ने थोड़ा सीरियसली लेना शुरू किया। अब दोनों की बातचीत भी शुरू हो चुकी थी। क्योंकि दिन कम रह गए थे इसलिए रिहर्सल भी रात को देर तक चलती थी। बिंदु अपनी एक सहेली के साथ ही हॉस्टल जाती थी। एक दिन जब उसकी सहेली नही आई तो टीचर ने अंकुश को उसे छोड़ कर आने को कहा। हॉस्टल तक का करीब दस मिनट का पैदल रास्ता था। पहले पांच मिनट तो दोनों बिलकुल चुप रहे पर फिर अंकुश ने बिंदु से पूछ ही लिया कि तुम्हे मेरे साथ आने में असहज तो नहीं लग रहा। बिंदु बोली तो कुछ नहीं पर उसने न में सिर हिला दिया। दुश्मनी का रंग धीरे धीरे फीका पड रहा था।
अब वो रिहर्सल में एक दूसरे से काफी खुल गए थे और एक दुसरे से मजाक भी करने लगे थे। अब अंकुश रोज ही बिंदु को हॉस्टल छोड़ने जाता था और दोनों दोस्तों की तरह बातें करने लग गए थे। एक दिन जब वो रात को हॉस्टल की तरफ जा रहे थे तो दूर से एक गाय भागी आयी। वो उनकी तरफ ही आ रही थी। वो बिंदु को सींग मारने ही वाली थी की अंकुश उसके आगे आ गया और उसने बिंदु को बचा लिया। ये सब इतना अचानक हुआ की दोनों को संभलने का मौका भी नहीं मिला। जब बिंदु ने अंकुश की तरफ देखा तो उसके माथे से खून बह रहा था। बिंदु झट से उसे इमरजेंसी में ले गयी और अमित को भी फ़ोन कर दिया।
अंकुश को कोई ज्यादा चोट तो नहीं आई थी पर छ टांके लगे थे। अंकुश अस्पताल में बेड पर लेटा था और बिंदु उसके बगल में बैठी थी। अचानक बिंदु की आँखों में आंसू आ गए। अंकुश ने उसका हाथ पकड़ कर ढांढस बंधाया। नफरत और दुश्मनी सारी आंसुओं में बह गयी थी और उसकी जगह शायद प्यार ने ले ली थी। इतने में अमित और अर्चिता भी वहां पहुँच गए। अमित मजाक में अंकुश से कहने लगा यार तुम्हे कुछ नहीं होना चाहिए तुम्हारे ऊपर तो प्रतियोगिता में हमारी सारी उम्मीदें टिकी हुई हैं। अर्चिता ने बिंदु की आँखों में आंसू देख कर कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है ये प्रतियोगिता तो हमें ही जीतनी है। दो घंटे बाद अंकुश को छुट्टी मिल गयी और सब अपने अपने हॉस्टल में आ गए।
o be continued
