दुश्मन से प्यार - भाग २
दुश्मन से प्यार - भाग २
सुबह उठकर अंकुश और बिंदु दोनों तैयार होकर एडमिशन के लिए मेडिकल कॉलेज की तरफ चल दिए।वो पहले कभी किसी मेट्रो सिटी में अभी तक नहीं गए थे।मुंबई की ट्रैफिक उन्हें बहुत अच्छी नहीं लग रही थी।वहां की पॉलूशन भी उन्हें बहुत तंग कर रहा था।वो दोनों तो गांव की शुद्ध हवा में सांस लेने वाले गांव के लोग थे।थोड़ी देर में वो मेडिकल कॉलेज पहुँच गए।भानुप्रताप और अर्जुन सिंह धोती कुरता पहने हुए थे और लोग उन्हें मुड़ मुड़ कर देख रहे थे।बिंदु सलवार कमीज में थी पर वहां ज्यादातर लड़किआं जीन्स टीशर्ट में घूम रहीं थीं और फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहीं थी।बिंदु को एक लड़की सलवार सूट में दिखी तो वो उसके पास चली गयी और उसे हेलो कहा।वो लड़की भी एडमिशन के लिए पास के गांव से आई थी।उस का नाम अर्चिता था।कुछ देर बातें करने के बाद वो दोनों सहेली की तरह हो गयीं।अंकुश को भी उसकी तरह का एक लड़का अमित मिल गया और उससे उसकी अच्छी दोस्ती हो गयी।
एडमिशन के बाद उन्हें हॉस्टल भी मिल गया और अंकुश और अमित रूम पार्टनर बन गए।उधर बिंदु और अर्चिता ने भी वार्डन से कह कर एक ही कमरा ले लिया।भानुप्रताप और अर्जुन सिंह अपने बच्चों को हॉस्टल में छोड़ कर गांव वापिस आ गए।अंकुश और अमित एक दुसरे को अपने घर और गांव के बारे में बताते रहे।बिंदु और अर्चिता भी रात भर बातें करती रहीं।
अगले दिन कॉलेज का पहला दिन था।अंकुश कॉलेज में पहुंचा ही था कि उसे दो सीनियर्स ने पकड़ लिया।वो अब उसकी रैगिंग करने वाले थे।अंकुश को हॉस्टल में पहले ही बता दिया गया था कि यहाँ रैगिंग बहुत भयंकर होती है और सीनियर्स जो भी कहें वो बेझिझक करना होता है नहीं तो बड़ी मार पड़ती है।तभी गेट के अंदर बिंदु और अर्चिता आ रहीं थी।एक सीनियर ने अर्चिता की तरफ इशारा करते हुए अंकुश को एक फूल देते हुए कहा कि उस लड़की को ये फूल देकर आ और उसका नाम पूछ कर आ।अंकुश भागा भागा अर्चिता के पास गया और उसे फूल देकर नाम पूछने लगा।बिंदु को ये बहुत बुरा लग रहा था और वो अंकुश को बहुत घृणा भरी नजरों से देख रही थी पर अर्चिता को पता था कि रैगिंग में ये सब होता है और उसने फूल लेकर अपना नाम बता दिया।जब अंकुश चला गया तो बिंदु ने अर्चिता से कहा की तुम्हे उसे थप्पड़ मार देना चाहिए था।मैं इस लड़के को जानती हूँ ये अच्छे परिवार से नहीं है।अर्चिता उसे समझाने लगी कि ये तो रैगिंग में होता रहता है पर बिंदु के दिमाग में तो दुश्मनी का भूत सवार था।
थोड़ी देर में सभी क्लास में थे।उन सबके चार चार लोगों के ग्रुप बन रहे थे जो एक ही टेबल पर होते हैं और उन्हें साथ साथ डेड बॉडी की डिसेक्शन करनी होती है।बिंदु, अर्चिता, अंकुश और अमित एक ही ग्रुप में आ गए थे।बिंदु ने टीचर से ग्रुप बदलने के लिए कहा पर टीचर ने कहा की ये नहीं हो सकता।थोड़ी देर में चारों एक टेबल पर खड़े थे।डेड बॉडी को कपडे से ढका हुआ था।बिंदु अंकुश से दूरी बनाये हुए थी और कोशिश कर रही थी कि उससे बात ना करनी पड़े।अंकुश भी बिंदु से बात करने में बिलकुल भी इंटरेस्टेड नहीं था।इतने में अमित ने डेड बॉडी से कपडा हटा दिया।बिंदु ने जब डेड बॉडी को देखा तो वो एकदम बेहोश होकर गिरने लगी।वो गिरने ही वाली थी कि अचानक अंकुश ने उसे अपने एक हाथ से पकड़ लिया और उसे गिरने से बचा लिया।इतने में अर्चिता ने उसे लेकर कुर्सी पर बैठा दिया और अमित उसके लिये पानी ले आया।एक दो मिनट में उसे होश आ गया।होश आने पर अर्चिता ने बताया कि तुम्हे अंकुश ने गिरने से बचाया है तो बिंदु कहने लगी कि इससे अच्छा तो मैं गिर ही जाती कम से कम मुझे दुश्मन का हाथ तो नहीं लगता।उधर अंकुश को भी बिंदु को बचाकर कोई ख़ास ख़ुशी नहीं हो रही थी, ये सब तो अकस्मात् हो गया था।
अर्चिता और बिंदु जब क्लास के बाद हॉस्टल आये तो अर्चिता ने बिंदु से पूछा की तुम अंकुश से इतनी नफरत क्यों करती हो तो बिंदु कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई बस इतना कहा की उससे मेरी खानदानी दुश्मनी है।अर्चिता ने बहुत समझाया कि आज कल ये सब बातों को हम दकियानूसी मानते हैं पर बिंदु समझने को तैयार ही नहीं थी।उसके उप्पर से गांव का रंग अभी उतरा नहीं था।
to be continued
