दुश्मन से प्यार - भाग १
दुश्मन से प्यार - भाग १
दुश्मन से प्यार - भाग १
भानुप्रताप एक गांव के मुखिया थे ।उसका परिवार गांव का एक संपन्न परिवार था और यही परिवार कई पुश्तों से गांव पर एक तरह से राज कर रहा था ।भानुप्रताप वैसे एक अच्छा आदमी था और गांव वालों की मदद करता रहता था ।गांव वाले भी उसे बहुत मानते थे और उसे अपना राजा ही समझते थे ।पड़ोस के गांव के मुखिया अर्जुन सिंह की भी अपने गांव में ऐसी ही धाक थी ।दोनों वैसे तो एक दूसरे के पडोसी गांव के मुखिया थे पर दोनों में बड़ी जबरदस्त दुश्मनी थी ।ये दुश्मनी ना जाने कितनी पुश्तों से चली आ रही थी और इसने ना जाने कितनों की जान भी ले ली थी ।दोनों परिवारों की दुश्मनी के कारण दोनों गांव के निवासी भी आपस में किसी ना किसी बात को लेकर लड़ते रहते थे ।किसी को नहीं पता था कि ये दुश्मनी कब शुरू हुई या इसका क्या कारन था पर बस ये पीढ़ीओं से ऐसे ही चली चली आ रही थी ।भानुप्रताप के दो बच्चे थे, दोनों बेटे ।बड़ा बेटा अंकुश बारहवीं में था और शहर में पढता था ।वो मेडिकल की तैयारी कर रहा था ।छोटा बेटा अभी दस साल का ही था ।अर्जुन सिंह के भी दो बच्चे थे ।बड़ी लड़की बिंदु अंकुश की तरह मेडिकल की तैयारी कर रही थी और उसके साथ ही शहर में पढ़ती थी और छोटा बेटा अभी आठ साल का ही था ।
बच्चे भी बड़ों की तरह की एक दुसरे के परिवार से नफरत करते थे और जब कभी भी अंकुश और बिंदु का क्लास में आमना सामना होता तो एक दूसरे से मुँह फेर कर निकल जाते थे ।उनकी कभी आपस में बात तक नहीं हुई थी ।गांव में कभी किसी त्यौहार पर जब लोग इकट्ठे होते थे तो हमेशा इस बात का डर लगा रहता था कि दुसरे गांव की भीड़ भी सामने ना आ जाये और कोई झगड़ा ना शुरू हो जाये ।बच्चे भी जब एक दुसरे का सामने आते थे तो ऐसे देखते थे जैसे एक दुसरे को मार ही डालेंगे ।अंकुश और बिंदु पढ़ने में होशयार थे और मेडिकल की परीक्षा दे कर अब रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे ।
अंकुश ने जब अपना रिजल्ट देखा तो उसका सिलेक्शन मेडिकल में हो गया था ।उस ने जब अपने पापा भानुप्रताप को बताया तो उन्होंने अर्जुन सिंह को चिढ़ाने के लिए जलूस के रूप में भीड़ इकठ्ठा की और पास वाले गाँव की तरफ चल दिये ।जब वो गांव की सरहद पर पहुंचे तो देखा अर्जुन सिंह भी जलूस लेकर आ रहा था ।बिंदु का सिलेक्शन भी मेडिकल में हो गया था ।जब दोनों गांव वाले आमने सामने हुए तो लड़ाई तक की नौबत आ गयी ।कुछ बजुर्गों ने बीच में पडकर किसी तरह से उन्हें रोका ।
थोड़े दिनों बाद अंकुश और बिंदु को मेडिकल कॉलेज भी अलॉट हो गया ।दोनों को बॉम्बे के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला था ।दो दिन बाद ज्वाइन करना था ।गांव से बॉम्बे करीब पांच सो किलोमीटर दूर पड़ता था और शहर से रेलगाड़ी लेनी पड़ती थी ।अगले दिन भानुप्रताप और अर्जुन सिंह अंकुश और बिंदु को लेकर रेलवे स्टेशन पहुंच गए ।दोनों को अपने बच्चों के सिलेक्शन की खुशी से ज्यादा इस बात का दुःख था की उनके दुश्मन का बच्चा भी सेलेक्ट हो गया है ।इत्तेफ़ाक़ से दोनों का डिब्बा भी एक ही था ।करीब दस घंटे का सफर दोनों ने कुढ़ते कुढ़ते ही काटा ।जब दोनों मुंबई पहुँच गए तो दोनों ने मेडिकल कॉलेज के करीब होटल में कमरा ले लिया ।सभी लोग काफी थक चुके थे और अगले दिन जल्दी एडमिशन के लिए भी जाना था तो लेटते ही सब सो गए ।
to be continued
