दर्द से मुलाकात

दर्द से मुलाकात

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एक दिन दर्द से मुलाकात हो गयी। 

दर्द ने कहा, कैसे हो ?

मैंने कहा, ‘‘जैसा तुमने रखा है चले क्यों नहीं जाते मेरी जिंदगी से।

दर्द ने हंसते हुए कहां, ‘‘ बहुत प्यार देते हो, तुम मुझे क्यों जाऊं मैं तुम्हारी जिंदगी से।

‘‘मैं और तुम्हें प्यार  कुछ समझा नहीं खैर छोड़ों मुझे अकेला छोड़ दो।’’ 

इस पर दर्द ने कहा, ‘‘अपनों से दूर जब तुम अकेले हो जाते हो तब मैं ही तो तुम्हारे पास होता हूँ जिसे तुम दर्द कहते हो।’’

दर्द की बात सुन कर मुझे एहसास हुआ, अब तक जो दर्द सह रहा था वह अपनो से दूर हो ने की वजह से था। 

दर्द ने आगे कहा, ‘‘अपनों से रिश्ता बनाएं रखों, मैं खुद ब खुद चला जाऊंगा’।’

अब दर्द मुझ से दूर है क्योंकि अब मैं अपनों के बीच रहने लगा हूँ। 


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