दफ्तर में खून

दफ्तर में खून

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दफ्तर में खून 

भाग 1

 

दैनिक सबेरा अखबार के दफ्तर में रोज की तरह गहमा गहमी का वातावरण था। टेलीफोन की घंटियाँ लगातार घनघना रही थीं। हर तरफ से आ रही खबरों पर लगातार काम किया जा रहा था ताकि कल सुबह के पेपर का मैटर तैयार किया जा सके। अनेक संवाददाता जो फील्ड वर्क से लौट आये थे वे कॉन्फ्रेंस रूम में बैठे अपनी रिपोर्ट लिख रहे थे। अखबार के संपादक, विभूति नारायण अग्निहोत्री अपने केबिन में बैठे किसी गहन विचार में खोए हुए थे। ढेर सारे स्टॉफ को नियंत्रित रखना और उनसे मनचाहा काम निकलवा लेना मामूली काम नहीं था। विभूति नारायण छह महीनों से यहाँ संपादक बनकर नियुक्त हुए थे।  उनसे पहले के काफी पुराने उपसंपादक उनकी पोस्ट पाना चाहते थे पर मालिकों ने विभूति को बाहर से बुलाकर संपादक बना दिया था तो ये लोग भीतर ही भीतर असंतोष पाले हुए थे और असहयोग का रवैया अपनाकर काम में रोड़े अटकाने की कोशिश किया करते थे। स्टॉफ में भी किन्ही वजहों को लेकर तनातनी रहा करती थी। विभूति नारायण इन्ही समस्याओं का हल खोजने में लगे हुए थे। अभी कल शाम ही ऐसा वाकया हुआ कि ऑफिस में काफी हंगामा हो गया।  मालिनी ठाकुर ने इल्जाम लगाया कि शामराव विट्ठल जो दफ्तर का पुराना प्यून था ,उसने उसके साथ बदसलूकी की। मालिनी , एक आधुनिक विचारों वाली अविवाहित लड़की थी जो मास मीडिया का कोर्स करके अनुभव लेने के लिए दैनिक सबेरा से जुड़ गई थी और उसे स्थानीय समाचारों का प्रभार दिया गया था। शामराव पता नहीं क्यों उसे पसन्द नहीं करता था और उसकी अवहेलना करता। मालिनी अपनी अनदेखी और शामराव के अड़ियल रवैये से नाराज रहती और उसे पीठ पीछे खूसट बुलाती।  कल सैंडविच खाकर मालिनी ने पानी मांगा तो शामराव ने गिलास मेज पर ऐसे रखा कि थोड़ा पानी मालिनी की ड्रेस पर छलक गया इसपर उसने झुंझलाकर हाथ झटका तो शामराव के मुंह पर जा लगा। इसपर आग बबूला होकर बुजुर्ग ने मालिनी के बाल पकड़ लिए और फिर दोनों ऐसे गुत्थमगुत्था हुए कि मालिनी ने शीलभंग का आरोप लगाया और बात काफी आगे बढ़ गई।अग्निहोत्री को यह मामला।निपटाने में दांतो तले पसीने आ गए  लेकिन आगे जो कुछ होने वाला था  यह सब तो उसके सामने कुछ नहीं था।

 

क्या हुआ आगे।  

जानने के लिए पढ़िए कल


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