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Akanksha Gupta (Vedantika)

Inspirational

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Inspirational

दलदल

दलदल

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“तुमने इस दलदल में कदम अपनी मर्जी से रखा था लेकिन तुम यहाँ से अपनी मर्जी से निकलना तो दूर साँस भी नहीं ले सकते। तुम हमारे गुलाम हो।”

“मैं अब कोई गलत काम नही करूँगा। मैं अपने घरवालों को और धोखा नहीं दे सकता।”

“तो अपने आप को कर दो पुलिस के हवाले और कर दो अपने परिवार की इज्जत को स्वाहा।”

जॉय सोच में पड़ गया कि अगर वह अपने तस्कर होने का सच अपने घरवालों को बतायेगा तो वे लोग उसे कभी माफ नहीं करेंगे लेकिन अगर वह उन्हें सच नही बतायेगा तो इस दलदल से कभी नहीं निकल पायेगा।

फिर उसने एक फैसला लिया जो उसकी जिंदगी बदलने वाला था। वह वहाँ से यह कहकर निकला कि वह उनका हर काम करने के लिए तैयार है लेकिन उसके परिवार को इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए।

वह सीधे अपने घर पहुंचा जहाँ पर सब लोग उसका इंतजार कर रहे थे। पहले तो उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह अपने काम के बारे मे बताये लेकिन जब उसने हिम्मत करके बताया कि वह प्रतिबंधित दवाओं की तस्करी करता है और अब इस गलत काम को छोड़ना चाहता है तो पूरा परिवार सकते में आ गया।

उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतने सुलझे हुए व्यक्तित्व का धनी जॉय इस तरह का कोई गलत काम भी कर सकता है। पहले तो सभी लोग जॉय से नाराज हुए और उसे अपने घर से निकाल दिया लेकिन जॉय के दादाजी के समझाने पर वह उसकी मदद को तैयार हो गए।

वह उसे लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे जहां उसने अपना जुर्म कबूल किया और अपने सभी साथियों के ठिकानों का पता भी बताया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने उसे सरकारी गवाह बना दिया। उसकी मदद से बाकी सभी तस्कर पकड़े गए।

कुछ महीनों की सजा काटने के बाद जॉय अपने घर लौट आया। बाकी सब ने उसको माफ कर दिया। जॉय खुश था कि वह सही समय पर इस दलदल से निकल आया नहीं तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो सकती थी।


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