दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 2

दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 2

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एक दिन दिवस ने समाचारपत्र में सीधी पुलिसभर्ती का प्रचार देखा जिसमे लिखा था “ बस दौड़ निकालो और जॉब पाओ”।दिवस सीधी पुलिसभर्ती परीक्षा केंद्र पर पहुँच गया और जैसे ही उसने दौड़ना शुरू किया तो लोग देखते ही रह गये। पुलिस अधिकारी भी अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुये और कहा कि यह क्या ओलम्पिक का रेसर है? दौड़ पूरी होने के बाद पुलिस अधिकारी ने कहा कि बुलाओ इस लड़के को। जैसे ही पसीने से तर बतर दिवस उन अधिकारी के पास आया । तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे सभी शारीरिक मापदंड सीधी पुलिस भर्ती के अनुसार ठीक हैं और तुमने दौड़ भी मानक समय के अन्दर अच्छे समय के साथ पूरी की हैं इसलिए तुम अपना सिलेक्शन पक्का समझो। कागज़ों की प्रमाणिकता के लिए जैसे ही दिवस ने कागज़ात दिखाये तो वह चौंक कर बोले,'' तू किन्नर है?'' दिवस ने कहा," हाँ' तो उन्होंने कहा सॉरी मैं तुम्हें नहीं रख सकता। दिवस ने कहा, मैं आपकी परीक्षा में पास हुआ हूँ और क्या चाहिये। जब दूसरे लड़के, लड़कियाँ पुलिस में भर्ती हो सकते हैं तो हम किन्नर क्यों नहीं वह अधिकारी बोले, बात तो ठीक है पर रूल नहीं हैं,थर्ड जेंडर को पुलिस में भर्ती में लेने का हमारे पास कोई सरकारी अनुमति या ऑप्शन नही तो मैं क्या कर सकता हूँ।वैसे चिंता न करो अभी तुम जाओ बाद में मैं तुम्हें फोन ज़रूर करूगां।दरअसल इस सिलसिले में पहले हम अपने अपर के अधिकारी से भी मीटिंग कर लें। तू चिंता न करना। जब वह जाने लगा तो वहां बैठे सभी अधिकारियों ने वहाँ खड़े सभी लड़कों से कहा दिवस मल्होत्रा की शानदार दौड़ के लिये आप सभी तालियाँ बजाकर उसको सम्मान दें। पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा ,दिवस ने सभी अधिकारियों को प्रणाम किया और वापस अपने किन्नर मोहल्ले में लौट आया। किन्नर सरोज उसे परेशान देख लस्सी का कुल्हड़ देते हुये कहा लस्सी पी ले काफी थक गया होगा । वह लस्सी पीने लगा तो सरोज किन्नर ने कहा चिन्ता न कर कोई तुझसे कुछ नहीं बोलेगा जो मन करे सो कर। हाँ एकबात तय है कि हम सब दिल से तेरे साथ हैं । दिवस ने हाथ जोड़कर कहा, आप सभी का धन्यवाद। कुछ महीने बाद राष्ट्रीय साईकिल रेस प्रतियोगिता हुई जिसमें सभी देशों के साइकिल रेसर भाग ले रहे थे ,दिवस को अपनी प्रैक्टिस पर पूरा भरोसा था।सरोज किन्नर की कई बड़े लोगों, पत्रकारों से अच्छी पहचान होने के बावजूद बड़ी मुश्किल से दिवस को भी उस दौड़ में हिस्सा लेने दिया गया।

आज रेस हो रही थी वहाँ उपस्थित लोग दिवस को देख कर बोल रहे थे कि किन्नर ही मिला था क्या ? लो ये तो भारत की लुटिया डुबोने आ गया। रेस शुरू हुई फिर क्या था किन्नर दिवस ने रेस शुरू की तो उसकी रफ़्तार का कोई पीछा नहीं कर सका। दिवस हाथ छोड़कर साईकिल चला रहा था। यह देख हज़ारों की संख्या में बैठे दर्शकों ने दाँतों तले अंगुलियाँ दबा लीं। ऐसा लगता रहा था मानों कोई सुपर पॉवर उसकी मदद कर रही हो। वह बहुत ही कम समय में साईकिल रेस जीत गया और एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम भी कर लिया। चारों तरफ बस तिरंगे हीं तिरंगे लहरा रहे थे। यह देखकर वहाँ उपस्थित लोगों के मुँह खुले के खुले रह गये,पूरे देश- दुनियाँ में भारत का नाम रोशन हुआ और दिवस के चर्चे भी आम हो गये। सभी लोग बहुत खुश थे । मीडिया उससे सवाल पर सवाल पूछे जा रही थी। वह प्रणाम करते हुये भीड़ को चीरते हुये वहाँ से बाहर निकला कि तभी पहला फोन उसके फ़ौजी भाई अशिन का आया। वह बोला दिवस मुझे तुझ पर गर्व है मैं जल्द ही छुट्टी पर घर आ रहा हूँ घर पहुंच कर तुझे सरप्राइज़ दूंगा। मैं फोन रखता हूँ। दिवस ने कहा भैया चरणस्पर्श मुझे भी आपकी बहुत याद आती हैबड़े भाई आशिन से बातें कर के जैसे ही वह फोन जेब में रखा सरोज किन्नर ने आगे बढ़कर उसे उसे गले से लगा लिया और प्यार से कहा "हे मेरे बच्चे मैं आज मैं बहुत खुश हूँ। दिवस वहां से जाने लगा तो तो वहां के अधिकारी ने कहा अभी रूको कुछ पेपर वर्क कर लो। अरे भाई तुमको ईनाम की बहुत बड़ी रकम मिलने वाली है ।

ईधर श्रजित जी और उनकी पत्नि टीवी पर दिवस की कामयाबी देख बहुत खुश थे । श्रजित जी ने दिवस को मैसेज किया कि बेटा अब तो घर आजा। पिता जी का मैसेज देख दिवस ने फोन मिलाकर कर कहा, हाँ पिताजी जल्द ही आऊंगा ।

दूसरे दिन पेपर में आया कि कुछ आतंकी देश में घुस आये हैं। पूरे देश में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है और सीमा पर रात दिन फ़ायरिंग हो रही है। ऱोज-ऱोज यह सब सुन और पढ़कर श्रजित जी डर जाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि हे! भगवान कुछ ऐसा हो कि किसी का बुरा न हो । यह ख़बर पढ़ कर उन्होंने अपने फ़ौजी बेटे को फोन मिलाया, पर बात न हो सकी श्रजित जी अख़बार लेकर कस्बे के बाहर स्थित पौराणिक शिव मंदिर में जा बैठे और दिवस को फोन मिलाकर बोले बहुत याद आ रही बेटा। अगर तुम शिव मंदिर मे आ सको तो आ जाओ ,दिवस स्कूल के टीचर की मोटरसाईकिल लेकर तुरन्त शिव मंदिर पहुंचा तो श्रजित जी बोले," बेटा ये अख़बार देख बीस- पच्चीस बच्चे शहीद हो गये हैं। तेरे भाई से भी बात नहीं हो पा रही मैं बहुत परेशान हूँ । दिवस ने कहा मेरी बात हुई है उन्होंने कहा हैं कि वह जल्दी ही छुट्टी पर घर आ रहे है । श्रजित जी बोले, दिवस बेटा छुट्टी सभी की कैंसिल कर दी गयी है ।' यह सुन दिवस ने फोन मिलाया पर कॉल नही मिला,बात नही हो सकी।श्रजित जी बोले, बेटा यह सरकार सभी सैनिकों को बुलटप्रूफ जैकिट क्यों नहीं उपलब्ध करवाती कम से कम कुछ तो बचाव हो। जो आतंकी आधुनिक हथियार प्रयोग करते हैं वही हथियार अपने सैनिकों को उपलब्ध क्यों नहीं ?'' दिवस ने कहा," होना तो सचमुच यही चाहिये पिताजी।खैर ! शाम हो रही पिताजी आप घर पहुँचिये मुझे कुछ काम निपटाने हैं फिर मैं भी घर आ जाऊंगा।श्रजित जी मुस्कुराए, बोले, बेटा तू बहुत ज़्यादा समझदार हो गया है। तू क्या समझता है मुझे कुछ पता नहीं हैं कि तूने घर छोड़ दिया है, वो भी मेरे बेटे बहुओं और मेरी खुशी की ख़ातिर। इतना कहकर दिवस को गले से लगाकर बोले,तू घर छोड़ सकता है पर तेरा- मेरा रिश्ता कभी नहीं छूट सकता समझे। मैने कभी समाज की परवाह नहीं की।मैं तो हमेशा सत्य और न्याय का सेवक रहा हूँ । दिवस ने पाँव छूकर कहा,मेरे सबकुछ आप ही हो। मुझे समझिये और प्लीज़ मुझे जाने दीजिये ।आप जब भी पुकारेंगें मुझे मैं आप के पास हाज़िर हो जाऊँगा| इतना कहकर दिवस वहाँ से निकला आया।

श्रजित जी घर लौट आये और अपने सभी ज़मीन ज़ायदाद तीन हिस्सों में क़ानूनी लिखित तौर पर बाँट दिये और उन कागज़ों की एक-एक कॉपी, श्रजित जी ने अपने वकील मित्र को सबकुछ समझाकर सौंप दियइधर सरोज किन्नर ने कहा," दिवस तुमको रेस से बहुत बड़ी रकम मिली है तुमने कुछ सोचा है क्या करोगे ?

दिवस ने कहा, हाँ सब सोच लिया है कल बताऊँगा आपको इस रकम का क्या करना है। आभी वो सरोज से बात कर ही रह था कि तभी दिवस के फ़ोन पे एक कॉल आयी कि "आप दिवस मल्होत्रा हैं मैं आपकी गली में खड़ी हूँ" । दिवस ने सोच लगता है कोई मज़ाक कर रहा है क्या कोई लड़की मेरे लिए गली में खड़ी होगी ? उसने ये बात सरोज को बताया तो सरोज ने बाहर झांका तो गली में बेहद खूबसूरत अंग्रेज लड़की बाहर खड़ी दिखाई पड़सरोज को बड़ी हैरानी हुई कि उनकी गली में इतनी सुन्दर लड़की! वह उसे अंदर ले आयी । उस लड़की ने भारतीय अंदाज में नमस्ते किया। धानी रंग की साड़ी पहने वह गज़ब ढ़ा रही थी।दिवस भी उसे एकटक देखता ही रह गया ।वह बोली,दिवस मैने तुम्हारी साइकिल रेस देखी थी तुम उसके चैम्पियन रहे । मैं तुम्हारी फ़ैन हो गयी हूँ । मुझे भी रेस जीतनी है क्या आप मुझे साइकिल रेसिंग के कुछ टिप्स देगें।दिवस ने कहा कि कृपया आप अपना परिचय तो दीजिये। तो उसने अपना परिचय देते हुए वो कहा कि मेरी मदर अमेरिकन थी डैड इंडियन थे। अब दोनों नहीं रहे। मैं दिल्ली में अपने अंकल के घर रहती हूँ । क्या कल तुम मुझे स्टेडियम में मिल सकते हो प्लीज़? दिवस ने कहा, '' मैं आपको ज़रूर टिप्स दूंगा। '' यह सब बातें होती रहीं। सभी ने लस्सी पी और फिर सभी अपने अपने कार्यो में व्यस्त हो गये।

दूसरे दिन दिवस के पास बार – बार उस अंग्रेज लड़की का फोन आ रहा था तो दिवस न चाहते हुए भी स्टेडियम पहुँचा और स्टेडियम पहुँच कर उसकी तमाम बातें सुनने के बाद दिवस ने कहा ,” अरे! मैं तो आपका नाम पूछना ही भूल गया। वह बोली मेरा नाम जैनीफर है तुम मुझे जैनी कह सकते हो। वह साइकिल पर बैठ कर जैनी को रेस के टिप्स देने लगा। वह बोली दिवस में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। यह सुनकर दिवस चौंका और साइकिल का बैलेंस बिगड गया जिससे दोनों एक दूसरे के ऊपर ही गिर गये और साइकिल उनके ऊपर। वह लेटी हुई बोली, दिवस मैं तुमसे सच्चा प्यार करती हूँ।

दिवस ने हँसते हुये कहा, मुझसे ?

जैनीफर ने कहा हाँ तुम से.. यह जान कर भी कि तुम किन्नर हो, पर मुझे दिक्कत नही। तुमको विश्वास नहीं तो मैं भी किन्नर बन जाऊँ । चलो अस्पताल चलें,दिवस ने कहा कि नहीं जैनी, यह तो अन्याय होगा। वैसे भी तुम बहुत अच्छी लड़की हो। वह बोली मुझे तो सिर्फ तुम्हीं से शादी करनी है । दिवस बोला,नहीं.. मुझे नहीं करनी। यह कहता हुआ वह वहाँ से चला आया। दूसरे दिन सुबह दिवस ने देखा कि सामने बैठी किन्नर रोशनी वहाँ बैठी सभी किन्नरों को तैयार कर रही थी। ज़रा देर में ही उसने सभी के चेहरे और बालों पर चार चाँद लगा दिये। क्या हुनर, क्या जादू था रोशनी के हाथों में कि वह जिसको छू देती वह रौशन हो जाता। दिवस कुछ सोचने लगा तो रोशनी किन्नर ने कहा," क्यों रे! मैं देख रही हूँ तू मुझे फालतू में घूरे जा रहा है तभी दिवस बीच में ही बोल पड़ा रूको रूको सुनो! मैं तो आपका हुनर देख रहा था। वाह! क्या फुर्ती है।वह मुस्कुरायी और बोली वो तो है ।

दिवस ने उससे कहा," तुम ब्यूटी पार्लर चलाओगी क्या? बड़े-बड़े स्टार तक की लाईन लग जायेगी तुम अपने हुनर को पहचानो। वह बोली मैं तो बिल्कुल तैयार हूँ पर इतनी मंहगाई में बड़े पार्लर के लिये रूपया ....? तुम समझ तो रहे हो ना।

दिवस ने कहा, आप पहले एक वादा करो..

रोशनी ने पूछा क्या? तुम बोलो न.... रोशनी की हर बात पक्की ही होती है। मैं फालतू में झूठ नहीं बोलती।

दिवस ने कहा, तुम्हें क्या अच्छा लगता है सभी के शादी ब्याह में नाचना गाना पैसे मांगना या फिर अपनी अलग पहिचान बनाना? क्या तुम नही चाहोगी कि तुम्हारा यह पर्स मेहनत के पैसे से हमेशा भरा रहे और दिल गर्व से। रोशनी बोली," मैं समझ गयी तुम क्या चाहते हो, मैं वादा करती हूँ ज़्यादा से ज़्यादा किन्नरों को मैं हुनर व रोज़गार से जोडूंगी और जिसमें जो टैलेंट होगा उसकी मैं मदद भी करूँगी। यही चाहते हो ना। दिवस ने कहा, हाँ यही चाहता हूँ अगर तुम साथ दो तो बहुत कुछ बदल सकता है। हमारा गरीब पीड़ित वंचित किन्नर समाज भी समाज में सम्मान से जी सकता है। रोशनी बोली, दिवस आज किन्नर लोग नेता,मंत्री हैं यहां तक की महा मंडलेश्वर भी हैं। समय के साथ-साथ काफी सुधार हुआ हैं लेकिन आज भी एक तबका गरीबी और बेबसी की मार झेल रहा हैं। यही सब बातें चल ही रहीं थीं कि अचानक से पास आकर किन्नर सरोज ने पूछा," क्या बातें चल रही हैं दिवस ने सारी बात बतायी और बोला जो इनाम की धनराशि मिली है उससे एक शानदार ‘रोशनी ब्यूटी पार्लर’ खोलेगें और वो भी शहर में सबसे बड़ा पार्लर। आप साथ देंगी हमारा। सरोज को सब समझाने के बाद दिवस और रोशनी शहर चले गये और एक बिल्डिंग किराये पर ले ली और महीनेभर की कड़ी मेहनत के बाद शानदार ब्यूटीपार्लर शहर में खोला जो जल्दी ही बड़े पार्लरों में शुमार होने लगा। दिवस ने कहा, रोशनी तुम मुम्बई जाकर पार्लर मेकअप आर्ट का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा कर लो। यहाँ का कार्य ये सब लोग देख लेगीं। रोशनी बोली मैं यहीं पर ऑनलाईन सर्टीफिकेट कोर्स कर लूंगी और अपना पार्लर भी देखूगी यह लैपटॉप है ना और ''इंटरनेट गुरूजी'' सब सिखा देंगे। यह सुनकर दिवस हँस पड़ा।

दिवस ने देखा सभी ग्यारह किन्नर खुशी - खुशी पार्लर में काम करके खुश थीं। वह वहाँ टहल ही रहा था कि उसने देखा सामने दीवार पर खुद की और सरोज जी की बहुत बड़ी फोटो लगी है । यह देख, वह मुस्कुराया और बोला,रोशनी जी ग्रुप फोटो लगवाओ जिसमें हम सब हों।रोशनी बोली, उधर देखो। दिवस ने पीछे मुड़कर देखा तो उन सबकी बहुत ही बड़ी और सुन्दर ग्रुप फोटो लगी हुई थी।

दिवस बोला,बहुत ही सुन्दर सचमुच ।अभी बातें चल ही रही थी कि दिवस का फोन बजने लगा तो दिवस ने कॉल रिसीव किया ।कॉल उसके फौजी भाई आशिन की थी।दिवस ने पूछा, हाँ भैया आप कब घर आ रहे हैं ?

क्रमशः......


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