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Charumati Ramdas

Horror Crime

4  

Charumati Ramdas

Horror Crime

धनु कोष्ठक - २

धनु कोष्ठक - २

7 mins
276

16।39

“ट्रेन सही समय पर है,” कपितोनव के कंधे के पीछे से उदासीनता से घोषणा हो रही है, जबकि कण्डक्टर तेज़ी से (दरवाज़ा खुल चुका है) हैण्डल को कपड़े से साफ़ कर रही है।

प्लेटफॉर्म पर खड़े लोगों में से कपितोनव ज़िनाइदा की बहन को अचूक पहचान लेता है। बाहर निकलते हैं – और वह अपने आप को एक अनजान किस्म के गुरुत्वाकर्षण के क्षेत्र में पाता है: इसमें आलिंगन हैं, आवाज़ें हैं, चुम्बन हैं – मगर ये सब कपितोनव की पीठ के पीछे हो रहा है: आगे बढ़ते हैं।

कम्पार्टमेंट की उमस के पश्चात् बर्फ़ीली हवा जमी हुई सी प्रतीत हो रही है, और बर्फ के अभाव में ये अप्रत्याशित लगता है, - एक छत इस जगह को फ़रवरी के आसमान से बचा रही है, सर्दियों वाली पोषाकें जँच नहीं रही हैं, मतलब, यदि कोई असंबद्ध व्यक्ति सिनेमा-दर्शक की तरह प्लेटफॉर्म की ओर देखे, तो सिर्फ एक ही बात उसे सर्दियों के मौसम का यक़ीन दिला सकती है: सांस छोड़ते समय निकल रही वाष्प – ऐसा किसी भी फ़िल्म में नहीं किया जा सकता। 

वाष्प के पहले ही बादल से फ़राओन ख़ुफ़ू का ख़याल आ गया,

स्कूल के दिनों में ही कपितोनव ने कहीं पढ़ा था, कि, सांस भीतर खींचते समय हम फ़राओन ख़ुफ़ू की मृत्युपूर्व छोड़ी हुई सांस का कम से कम एक अणु अपने भीतर खींचते हैं, और वह इतना घबरा गया था कि उसे ये बात ज़िन्दगी भर के लिए याद रह गई, इससे भी बुरी बात ये हुई कि – महान फ़राओन हमेशा के लिए दिमाग़ पर हावी हो गया: हर बार जब कपितोनव गर्माहट से ठण्ड में निकलता है, वह याद आ जाता है, - हालाँकि वह उसे फ़ौरन भूल भी जाता है।    

पिछली बार वह पीटरबुर्ग आया था चार साल पहले, कोस्त्या मूखिन की अंत्ययात्रा पर। मगर तब गर्मियाँ थीं।

पीटर में मेट्रो का किराया कितना है? हाँ, यहाँ टोकन्स हैं। वह भूल गया था कि पीटरबुर्ग की मेट्रो के टोकन्स कैसे दिखते हैं। काऊंटर पर क्यू चला जा रहा है, और, एकदम चार ख़रीद कर वह खिड़की में से चिल्लर के साथ लपक लेता है, जिसमें ज़्यादातर टोकन्स के ही जैसे दस–दस रूबल्स के सिक्के हैं। आसानी से गड़बड़ हो सकती है।  

जो कि हो ही जाती है – वह गड़बड़ा गया।

घुमौने दरवाज़े पे हमेशा की रुकावट। मॉस्को की आदत के अनुसार प्लास्टिक-टिकट पकड़े हाथ चेकिंग मशीन की ओर झुकने को तैयार (कपितोनव को मालूम है कि इस चीज़ को क्या कहते हैं), मगर, बस, उसके हाथ में टिकट नहीं है, - वह मशीन के भीतर टोकन डालता है, मगर असल में – भुलक्कडपन के कारण – दस रूबल्स का सिक्का डाल देता है और समझ नहीं पाता कि मशीन उसका सिक्का वापस क्यों लौटा रही है। दुबारा कोशिश करता है – वही परिणाम। कपितोनव झनझना जाता है और बगल वाले घुमौने दरवाज़े की ओर जाता है, और एक वैध टोकन का इंतज़ार कर रही मशीन में दूसरा दस रूबल्स का सिक्का घुसाता है, - फिर अगल-बगल देखता है (नमस्ते, बॉर्डर्स के, प्रवेश द्वारों के, और सफ़ेद ब्रेड के संदर्भ में ‘बन्स’ के शहर!)3, और उसकी आँखें पुलिसवाले की आँखों से मिलती हैं।

वह ग़लत नहीं था: एक ओर हटने का इशारा उसी के लिए है।

वे, सही कहें तो, दो हैं। पासपोर्ट दिखाने के लिए कहते हैं।

 “मैं मॉस्को से आया हूँ,” कपितोनव ने अनिच्छा से बाकी के साऊथ से आये यात्रियों से दूर होते हुए कहा, जो बड़ी मात्रा में घुमौने दरवाज़े में घुसे जा रहे हैं और किसी तरह का संदेह भी नहीं जगा रहे हैं।

 “तो फिर मॉस्को स्टेशन पर क्यों नहीं गए?”

 “क्योंकि लादोझ्स्की पे आया हूँ।”

 “मगर मॉस्को स्टेशन ज़्यादा सुविधाजनक है।”

 “हो सकता है।”

 “मॉस्को – हमारे देश की राजधानी है,” विचारों में खोए-खोए पुलिस वाला पासपोर्ट का आवास-स्थान वाला पन्ना खोलकर अपने साथी से कहता है (वे दोनों, निःसंदेह, उकता रहे हैं)। “यात्रा का उद्देश्य, अगर सीक्रेट न हो तो?”

 “कॉन्फ्रेन्स,” कपितोनव ने जवाब दिया। “आख़िर, बात क्या है? क्या हमारी सरकार पुलिस की हो गई है? या फिर मैं कुछ अलग-सा लग रहा हूँ?”

 “आप अजीब तरह से हरकतें कर रहे हैं। और ये कैसी कॉन्फ्रेन्स है? आप जवाब देने से इन्कार भी कर सकते हैं।”

 “एक संस्था की है,” कपितोनव सिर्फ इसलिए जवाब देता है, क्योंकि “जवाब देने से इनकार कर सकते हैं” गूंज उठा था, और ऊपर से उसने कागज़ पर छपा निमंत्रण भी दिखा दिया, ये सोचकर कि इससे वह अन्य स्पष्टीकरण देने से बच जाएगा।

 “मारा पापड़ वाले को!” पुलिस वाला कहता है, “जानी-पहचानी कॉन्फ्रेन्स है।”

 “क्या वाक़ई में?” कपितोनव को उस पर विश्वास नहीं हो रहा था। “क्या आपके पास इसकी कोई जानकारी है?”

 “ये वही तो है जिसे उड़ा देने वाले थे,” पुलिस वाला दूसरे पुलिस वाले को कपितोनव का निमंत्रण पत्र दिखाता है।

 “मतलब?” कपितोनव समझ नहीं पाया।

”मतलब भी, जानकारी भी,” पहले वाले ने सभी बातों का एकदम जवाब दे दिया, जबकि दूसरा पुलिस वाल निमंत्रण-पत्र पर इस तरह नज़र गड़ाए था, जैसे किसी भूत को देख रहा है। “मतलब, आपने न्यूज़ नहीं सुनी?”

 “कौन उड़ाना चाहता था?” कपितोनव एकदम चित हो गया।

 “वैसे ही जोकर्स, जैसे आप।”

 “ऐसे ही मैजिशियन्स,” दूसरे ने पुश्ती जोड़ी, और न जाने क्यों दोनों हँसने लगे।

कागज़ लौटाते हुए, उसे छोड़ते हैं, साथ में पहले वाले के मुँह से निकलता है:

 “अपना ध्यान रखिए।”

कपितोनव घुमौने दरवाज़े की तरफ़ लौटता है।

16।58

पुलिस की सूचना से कपितोनव के दिमाग़ में ऐसे ऊट-पटांग ख़याल आने लगते हैं, कि सच कहें तो, कपितोनव सोच ही नहीं रहा है। और जब कपितोनव सोचता नहीं है, तो सोच की प्रक्रिया ख़ुद-ब-ख़ुद होने लगती है – बेकार की, अनावश्यक, उसके लिए भी चुपचाप तरीक़े से। गहराई, जहाँ तक उसका एस्केलेटर जाता है, वो एस्केलेटर की लम्बाई का Sin300 , मतलब लम्बाई का आधा है, जिसके बारे में सोचने की ज़रूरत भी नहीं है : ये तो वैसे भी स्पष्ट है। नज़र, आदत के अनुसार, सामने से ऊपर आते हुए चेहरों पर उलझ जाती है जो अगर सुन्दरियों के नहीं, तो कम से कम ‘मिस एस्केलेटर’ मुक़ाबले की प्रतियोगियों के तो हों। लैम्प्स - क़तार में लगे – अपने आप गिन लिए जाते हैं। उतरते हुए: 21। तो, उनके बीच की दूरी और 300 का झुकाव, - ये हुई गहराई, 50 मीटर्स से कुछ ज़्यादा।

मगर ये सब – बस, यूँ ही – अन्य बातों के अलावा। उसने ‘मिस एस्केलेटर’ चुना पहली ही लड़की को, घुंघराले लाल बालों वाली, जिसकी लटें उसकी फ़र की हैट के नीचे से बाहर निकल रही थीं। सामने से आने वाले एस्केलेटर से और किसी ने तो आँखों को ख़ुशी नहीं दी।

मॉस्को में एक गुम्बद वाले स्टेशन्स लगभग हैं ही नहीं, मगर ये, पीटरबुर्ग में बहुत बड़ा है। अंतिम छोर पर बेघर लोग बैठे गर्मा रहे हैं: उनके पास न तो कानून-व्यवस्था रखने वाले जाते हैं, न ही स्थानीय अण्डरग्राउण्ड ट्रेन के कर्मचारी। कपितोनव को भी प्लेटफॉर्म के उस छोर पर जाने की ज़रूरत नहीं है।

मॉस्को जाने से पहले उसे राजधानी के मुक़ाबले में पीटरबुर्ग की मेट्रो चरम सादगी और सुन्दरता का प्रतीक लगती थी, - अब तो उसे लाइनों और पारपथों से जूझना है। वह कम्पार्टमेंट में हैण्डल पकड़े खड़ा है और मेट्रो का नक्शा देख रहा है जो किसी बैंक के इश्तेहार से दब गया है। ट्रेन बदलने की आवश्यकता की जाँच कर लेता है। वहाँ एस्केलेटर पर : जब वह नीचे जा रहा था, तो एक महिला की आवाज़ चेतावनी दे रही थी “चलते-फिरते विक्रेताओं द्वारा ग़ैरकानूनी चीज़ों का व्यापार करने की बढ़ती हुई घटनाओं की”, - अब कम्पार्टमेंट में विक्रेता प्रकट होता है और पूरी योग्यता से अपना परिचय देता है: कामकाजी ढंग, स्मार्ट, बढ़िया सधी हुई आवाज़। उसके हाथों में पोलिथिन का पैकेट है, जो सामान से भरा है। अपनी जोशभरी और खनखनाती आवाज़ में अब जो वह कह रहा है, उससे अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि ये जुराबें साधारण नहीं हैं।

 “थर्मो-सॉक्स, रूस और बेलारूस में बनाए हुए!।।। ख़ुद ही पैरों के तापमान को नियंत्रित करते हैं, और चलते समय होने वाले घर्षण को कम करते हैं!।।। फ़ैक्ट्री के भाव पर दे रहा हूँ – 50 रूबल्स की जोड़ी, नो प्रॉफ़िट!।।।”

कम्पार्टमेंट में कपितोनव अकेला ही है, जो विक्रेता की उपस्थिति पर ग़ौर करता है।

विक्रेता ने भी देख लिया कि एक व्यक्ति ने जेब से पचास रूबल्स निकाल लिए हैं। वह सही दिशा में तेज़-तेज़ क़दम बढ़ाता है।

 “मैं ये नहीं पूछ रहा हूँ कि घर्षण कैसे कम होता है, मुझे इस बात में दिलचस्पी है”, कपितोनव विक्रेता की तरफ़ पैसे बढ़ाते हुए बोला, “कि चलते समय घर्षण कम क्यों करना चाहिए?”

 “क़दम की सुरक्षितता और पैरों को उच्च कोटि के आराम का एहसास दिलाने के लिए,” कपितोनव को जुराबें थमाते हुए, पलक झपकाए बिना विक्रेता जवाब देता है।

कहीं ये कोई फ़रिश्ता तो नहीं है, जो सिर्फ कपितोनव के ही सामने प्रकट हुआ है? क्योंकि ऐसा तो हो नहीं सकता कि किसी ने भी थर्मो-सॉक्स के विक्रेता की ओर न देखा हो: क्या कपितोनव के अलावा किसीने उसकी आवाज़ सुनी, उसे देखा?

दरवाज़े खुलते हैं और थर्मो-सॉक्स का विक्रेता कम्पार्टमेंट से बाहर निकल जाता है।


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