धनतेरस
धनतेरस
धनतेरस के दिन था। सब सोना चाँदी बर्तन आदि। ले रहे थे। एक गरीब किसान था। वो बर्तन लेने गया पर उसकी कमाई से ज्यादा दाम थे। आज धनतेरस थी तो दाम भी बहुत उछल रहे थे। गरीब किसान ने एक चम्मच ली और घर की और चल दिया। कुछ पैसे बचे थे तो सोचा अपनी जमा पूंजी में डाल देंगे पर रास्ते में उसे मूली दिखाई देती तो सोचता है चलो बच्चों को मूली ले चलते है नये कपड़े तो होली पर दिलायेंगे। जब फ़सल आ जायेगी। वो मूली वाली के पास जाता है। और बोलता है आधा किलों मूली दे दो। मूली आधा किलो तोलती है तो सिर्फ़ तीन ही मूली मिलती है उसको। गरीब किसान बोलता है, घर में हम पांच लोग है तीन मूली कैसे खायेंगे? एक काम करो हमें पत्ते नहीं चाहिए आप मूली दे दो। मूली वाली पत्ते तोड़ लेती है और किसान को मूली देती है तो पांच मूली मिलती है। फिर किसान बोलता है। एक काम करो आप पत्ते तो फेंकोगी हमें दे दो। मूली वाली पत्ते भी दे देती है। जब किसान घर आता रात को खाना खाते समय मूली वाली बात सबको बताता तो सभी हँस-हँस के लोटपोट होते है। और ख़ुशी से धनतेरस के त्योहार मानते है।
